December 24, 2024

Ratlam Foundation Day: टिकट बयां करते है रतलाम का इतिहास,1930 तक रुटलाम (RUTLAM) कहलाता था रतलाम (RATLAM)

rtm4

रतलाम,16 फरवरी (इ खबरटुडे)। बसन्त पंचमी के दिन रतलाम राज्य की स्थापना की गई थी। रतलाम की स्थापना का श्रेय महाराज रतनसिंह को जाता है,जिन्होने अपनी बहादुरी के बल पर रतलाम की रियासत हासिल की थी। लेकिन क्या आप जानते है कि 1930 के पहले तक रतलाम का नाम रतलाम (RATLAM) ना होकर रुटलाम (RUTLAM) था। प्रख्यात टिकट संग्राहक फिलैटेलिस्ट शैलेन्द्र निगम के संग्रह में इस बात के पुख्ता प्रमाण मौजूद है। इतना ही नहीं श्री निगम के बेशकीमती टिकट संग्रह में मौजूद रतलाम रियासत के टिकट रतलाम का पूरा इतिहास बयां करते है।

Seal of RUTLAM

रतलाम स्थापना दिवस के मौके पर फिलेटैलिस्ट श्री निगम ने अपने टिकट संग्रह में मौजूद रतलाम रियासत के ऐतिहासिक दस्तावेज और टिकट इ खबरटुडे के साथ साझा किए। रतलाम रियासत के जो ऐतिहासिक टिकट (स्टाम्प) श्री निगम के पास मौजूद है उनमें सभी या तो रेवेन्यू टिकट है या फिर कोर्ट फीस के टिकट है। रतलाम रियासत में डाक टिकट कभी भी नहीं छापे गए। रतलाम रियासक के रेवेन्यू और कोर्ट फीस के टिकट में जहां महाराजा सज्जन सिंह का चित्र छपा करता था,वहीं रतलाम रियासत के ईष्ट देवता हनुमान जी भी इन टिकटों पर मौजूद रहा करते थे। एक आना और दो आना के रेवेन्यू टिकट पर हनुमान जी के चित्र छपे थे,जबकि चार आना कोर्ट फीस के टिकट पर महाराजा सज्जनसिंह का चित्र हुआ करता था। इसी तरह चार आना मूल्य वाले स्टाम्प पेपर पर रतलाम रियासत की राजमुद्रा अंकित होती थी और रतलाम की राजमुद्रा में हनुमान जी का चित्र होता था।

रतलाम को 1930 तक रुटलाम (RUTLAM) कहा जाता था। कुछ इतिहासकारों का मत है कि रतलाम के पुराना नाम रुटलाम (RUTLAM) था,क्योंकि इसे युद्ध पर जाने का मार्ग कहा जाता था और रुट का अर्थ रास्ता व लाम का अर्थ युद्ध क्षेत्र होता है,इसलिए रतलाम का नाम रुटलाम (RUTLAM) था। श्री निगम के संग्रह में वो ऐतिहासिक दस्तावेज मौजूद है,जिस पर लगी कोर्ट रजिस्टार की सील में रतलाम (RATLAM) का नाम रुटलाम(RUTLAM) अंकित है। इस सील में 1930 का सन भी अंकित है,जिससे यह स्पष्ट होता है कि 1930 तक रतलाम (RATLAM) रुटलाम(RUTLAM) कहलाता था। इसी तरह एक और दस्तावेज है जिसमें संवत 1949(सन 1892) अंकित है और इसमें भी रतलाम (RATLAM) के स्थान पर रुटलाम(RUTLAM) लिखा हुआ है।

श्री निगम के संग्रह में सन 1888 का दस्तावेज (स्टाम्प पेपर ) भी है जिस पर रतलाम रियासत की राजमुद्रा अंकित है और इस पर सर न्यायाधीश की सील लगी हुई है जिस पर सन 1888 लिखा हुआ है। श्री निगम के औसर इसी दस्तावेज में छपी राजमुद्रा में महाराजा सज्जन सिंह की स्पेलिंग SAJJAN के स्थान पर SUJJAN प्रिंट किया है। श्री निगम के अनुसार यह शोध का विषय है कि महाराजा सज्जन सिंह के नाम की स्पेलिंग जानबूझ कर इस तरह लिखी जाती थी या ये त्रुटिवश इस तरह लिखी गई है।

Logo of SAJJAN MILl

श्री निगम के संग्रह में रतलाम की पहचान रही सज्जन मिल का एक लोगो भी मौजूद है। इस लोगों में रतलाम के अंतिम महाराज लोकेन्द्र सिंह के बचपन की रंगीन तस्वीर छापी गई है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds