May 15, 2024

Raag Ratlami MLA Master : वसूली को लेकर चर्चाओं में है मास्साब से माननीय बने
फूल छाप वाले नेताजी,पुरानी मैडम से नई मैडम का काम्पिटिशन

-तुषार कोठारी

रतलाम। शहर से सटे एक गांव के घोटाले पिछले दिनों बडे चर्चित रहे। गाव के लोगों ने सरपंच के घोटालों की जांच के लिए धरना भी किया और आत्मदाह की धमकिया भी दी। गांव वालों की लगातार कोशिशों को बाद जिला इंतजामिया के बडे साहब ने गांव वालों की बात सुनकर घोटालो की जांच के लिए बाकायदा एक टीम बना दी और टीम को पन्द्ह दिनों के भीतर जांच पूरी करने के भी निर्देश जारी कर दिए। इस बात को एक की बजाय तीन पखवाडे गुजर चुके है। जांच अब तक पूरी नहीं हुई है।

जांच पूरी ना होने की वजह ढूंढने वालों का कहना है कि इसके पीछे सरकारी स्कूल के मास्टर से माननीय बने फूल छाप वाले नेता का बडा रोल है। कहने वाले कहते है कि गांव के घोटाले में सरपंच ने भारी भरकम रकम कमाई। अब,जब इस घोटाले की शिकायतें होने लगी और नौबत जांच तक पंहुची,तो सरपंच ने बडे नेताओं को टटोलना शुरु किया। उसकी खोज मास्साब से माननीय बने नेताजी के पास जाकर खत्म हुई। पूर्व मास्साब और आज के माननीय के बारे में कहा जाता है कि वो जब से माननीय बने है,तब से उनका पूरा ध्यान वसूली में ही लगा हुआ है। तबादले से लेकर योजनाओं तक हर मामले में उनका खुला खाता है। हिसाब किताब के पक्के है। जैसे ही हिसाब सही हो जाता है। मास्साब तुरंत चिट्ठी तैयार कर देते है।

गांव के घोटाले का मामला जैसे ही माननीय के पास पंहुचा,लेन देन की बातें हुई। मामला तय हुआ तो माननीय ने जांच करने वाले अफसरों को चमकाना शुरु कर दिया। नतीजा जल्दी ही सामने आने लगा। एक पखवाडे में जो जांच पूरी हो जानी चाहिए थी,वह कछुए की चाल से चलने लगी और तीन पखवाडे से ज्यादा वक्त बीत जाने पर भी आगे नहीं बढ सकी। माननीय ने राजधानी के नेताओं को बीच में डाल दिया। मामला लटका हुआ है। माननीय मजे में है। जांच की मांग करने वाले गांव वाले हैरान है कि आखिर मामला अटका तो क्यो? कुल मिलाकर मास्साब से माननीय बने नेताजी के ऐसे कई किस्से आजकल लगातार सामने आ रहे है। सियासत की समझ रखने वालों का मानना है कि अगर ये ही आलम रहा तो माननीय को अगले चुनाव में फिर से माननीय बनना बेहद कठिन हो जाएगा।

पुरानी मैडम से नई मैडम का काम्पिटिशन

शहर सरकार की दो नम्बर वाली मैडम इन दिनों चर्चाओं में है। ये मोहतरमा,अपने से पहले वाली मोहतरमा से काम्पिटिशन कर रही है। पहले वाली मोहतरमा भी खासी चर्चाओं में रहा करती थी। वैसे तो शहर सरकार के दफ्तर में जाने वाले तमाम लोग जानते है कि इस दफ्तर में कोई भी काम लिए दिए बिना हो नहीं सकता,लेकिन पहले वाली मोहतरमा ने आते ही रेट काफी उंचे कर दिए थे। दफ्तर में अपने काम करवाने के लिए आने वाले नागरिक पुराने रेट के हिसाब से जेबें भर कर
आते थे,लेकिन बढे हुए रेट के कारण उनके काम नहीं हो पाते थे। धीरे धीरे पहले वाली मोहतरमा काफी चर्चाओं में आ गई और आखिरकार उन्हे रतलाम से रवाना कर दिया गया। फिर उनकी जगह अभी वाली मैडम जी आ गई। शहर से सटे गांव में रहने वाली ये मैडम जी,अपने से पहले वाली मैडम से पीछे कैसे रह सकती थी। इसलिए मैडम जी ने नया फार्मूला निकाला। शहर के भीतर की सम्पत्तियों,मकान प्लाट आदि के नामांतरण का जिम्मा मैडम जी के पास है। मैडम जी की टेबल पर इन फाईलोंं के अम्बार लग रहे है,लेकिन मैडम जी है कि किसी भी फाईल पर अपनी चिडिया बैठाने को राजी ही नहीं हो रही। शहर सरकार के दफ्तर में भटकने वाले जानकारों के मुताबिक अभी वाली मैडम जी पिछली वाली मैडम जी के रेट से भी उंचे रेट चाहती है,इसलिए फाईलें निपट नहीं रही है। जानकारों का यह भी कहना है कि शहर सरकार के बडे साहब भी मैडम जी की पालिसी से राजी है,इसीलिए मैडम जी की हरकतों पर वे ना तो ध्यान दे रहे है ना ही इन फाईलों को समयसीमा में निपटाने के कोई निर्देश जारी कर रहे है। नतीजा यह है कि जिन आवेदकों को जल्दी है,वे मैडम के बढे हुए भाव भी चुकाने को तैयार हो रहे है।

कायम है खबरचियों की परम्परा…..

शहर के खबरची अपनी परम्परा को किसी भी कीमत पर कायम रखते है। इसका ताजा उदाहरण खबरचियों ने रविवार को दिखाया। वर्दी वालों के मैदान पर खबरचियों और वर्दीवालों का मैत्री मैच हुआ। मैच में खबरचियों ने हर बार हारने की अपनी परम्परा को पूरे जोर शोर से कायम रखा। इस परम्परा को कायम रखने के लिए कई जतन किए गए। वर्दी वालों की कप्तानी तो उनके कप्तान के पास ही थी,लेकिन खबरचियों के पास तीन-चार या पांच कप्तान थे। वैसे तो मैदान में मौजूद तमाम खबरची खुद को कप्तान ही समझ रहे थे,इसलिए मैच के बालिंग बैटिंग और फिल्डींग जैसे तमाम फैसले सारे कप्तान अपने अपने हिसाब से कर रहे थे। एक कप्तान वाली टीम से तीन चार कप्तान वाली मजबूत टीम की भिडन्त में सीधे सीधे नतीजा उसी के पक्ष में जाना चाहिए,जिनके पास कप्तान ज्यादा होते है। लेकिन खबरचियों का बडप्पन ही कहा जाएगा कि ज्यादा कप्तान होने के बावजूद उन्होने अपनी हार की परम्परा को कायम रखा। वर्दी वालों को भी खबरचियों के इस बडप्पन की तारीफ करना चाहिए। मैच के नतीजे को देखकर अब जिला इंतजामिया के अफसर भी उत्साहित है। वे जानते है कि खबरची अपनी परम्परा को किसी कीमत पर टूटने नहीं देंगे,इसलिए अगले हफ्ते अफसरों ने भी खबरचियों को मैच की चुनौती दे दी है।

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