November 23, 2024

Raag Ratlami Vaccination-दस दिन का टीकाकरण महाअभियान,एक दिन टीके का,बाकी दिन परेशानी के

-तुषार कोठारी

रतलाम। जिला इंतजामिया रोज अपनी पीठ थपथपा रहा है कि टीकाकरण में कमाल कर दिया। 21 जून से शुरु हुए वैक्सीनेशन के महाअभियान में जिले के हजारों लोगों को वैक्सीन के डोज लगा दिए। लेकिन हकीकत ये भी है कि बडी तादाद में लोग टीके को लेकर परेशान होते रहे। टीका लगाने के अभियान में फैली बदइंतजामी ने सैकडों लोगों को हैरान परेशान और चक्कर लगाने को मजबूर किया। दस दिन के टीकाकरण महाअभियान में टीके के लिए तो एक ही दिन था,बाकी के दिन तो सिर्फ परेशानी के थे।

इंतजामियां को असल में ये उम्मीद नहीं रही होगी कि टीका लगवाने के लिए इतनी बडी तादाद में लोग घरों से निकल कर टीकाकरण केन्द्रों तक पंहुच जाएंगे। इंतजामियां ने पहले दिन के लिए तो पूरी ताकत झोंकी थी। फूलछाप पार्टी के नेताओं ने भी इसका फायदा लेने की पूरी तैयारी की थी। शहर के हर वार्ड में टीकाकरण सेन्टर बनाए गए थे। फूल छाप के नेताओं ने इन सेन्टरों पर चाय पानी तक का इंतजाम किया था। लोग जब इन सेन्टरों पर पंहुचे तो अपनी आवभगत देख कर दंग रह गए। जमकर टीके ठोके गए। शाम को बताया गया कि रेकार्ड तोड दिया गया है।

जो लोग पहले दिन नहीं पंहुच पाए थे,टीकाकरण केन्द्रों पर की गई आवभगत की बातें सुन कर बडे उत्साह से अगले दिन टीकाकरण के लिए घरों से निकल पडे। लेकिन उन्हे क्या पता था कि सारी झांकी एक ही दिन की थी। अगले दिन तो टीका लगना ही नहीं था,क्योंकि अगला दिन मंगलवार था और मंगलवार को टीका नहीं लगाया जाता। मंगलवार को चक्कर खाने के बाद जब अगले दिन फिर से लोग टीका लगवाने के लिए निकले तो उन्हे पता चला कि सोमवार को जहां टीके लगाए गए थे,वो सेन्टर ही बन्द हो गए है। टीका लगवाने की उम्मीद लेकर आए लोगों के सामने नई चुनौती टीकाकरण केन्द्र ढूंढने की थी। एक दिन पहले तक शहर में 49 जगहों पर टीके लगाए जा रहे थे लेकिन महज एक दिन बाद केन्द्रों की संख्या गिनती की रह गई थी। लोगबाग जैसे तैसे ढूंढ ढांढ कर इन दूर दराज के टीकाकरण केन्द्रों पर पंहुचे तो पता चला कि वहां पहले से लम्बी कतारेंं लगी हुई थी। इन कतारों में घण्टों गुजारने के बाद जब तक उनका नम्बर आता,टीके ही खत्म हो गए।

मामला फिर अगले दिन तक के लिए टल जाता। अगले दिन की कहानी भी उतनी ही विचित्र रहने वाली थी। बुधवार को जिन स्थानों पर टीके लगाए गए,गुरुवार को ये केन्द्र भी बन्द करके दूसरे स्थानों पर लगा दिए गए थे। गुरुवार का दिन महज उनके लिए रखा गया था जिन्हे पहला डोज लग चुका था और दूसरा डोज लगना बाकी था। चीके का पहला डोज लगवाने के इच्छुक लोग तो भटक ही रहे थे। दूसरा डोज लगवाने के इच्छुक लोग भी परेशान हो रहे थे। दूसरा डोज लगाने की व्यवस्था भी केवल दो जगहों पर रखी गई थी। इनमें से रेलवे आफिसर क्लब के सेन्टर पर तो सैकडों बुजुर्गों को लम्बे इंतजार के बाद खाली हाथ घर लौटना पडा। यहां भी महज साढे तीन सौ टीके आए थे,जबकि लगवाने वालों की तादाद दुगुने से ज्यादा थी।
शुक्रवार का दिन फिर टीका लगवाने वालों के लिए निराशा भरा दिन था,क्योकि शुक्रवार को टीकाकरण नहीं करने का दिन तय होता है। जो लोग घरों से टीका लगवाने के लिए निकले उन्हे निकलने के बाद पता चला कि शुक्रवार को टीका लगेगा नहीं। और फिर आया शनिवार। लोगों को उम्मीद थी कि चलों हफ्ते के आखरी दिन ही सही टीका तो लगेगा। लेकिन क्या करेंं,टीके थे ही नहींं,तो लगते कैसे? जितने थे,वो तो दोपहर के पहले ही खत्म हो गए।
फूल छाप वालों ने जो आवभगत की थी,वो भी सिर्फ एक दिन की ही थी। बाकी के पांच दिनों मेंं ना तो कोई आवभगत थी,ना पूछ परख। केवल लम्बी कतारें और कतार में लगने के बाद भी गारंटी नही कि टीका लग ही जाएगा।

जिला इंतजामियां के टीकाकरण के इंतजाम पहले दिन को छोडकर पूरी तरह गडबडाए हुए नजर आते रहे। इंतजामियां के उम्मीदों के उलट लोगों में टीके को लेकर पर्याप्त जागरुकता आ चुकी है,लेकिन इतनी तादाद में टीके मिल नहीं रहे हैैं। अगर ईमानदारी बरती जाती तो कहा जा सकता था कि टीके कम है इसलिए जल्दी खत्म हो गए। लेकिन इसके उलट खबरें ये दी जा रही है कि लोगों में जबर्दस्त उत्साह है और टीके दोपहर के पहले ही खत्म हो गए।

इस मामले में पंजा पार्टी जरुर सक्रिय नजर आई। ऐसे कम ही मौके आते है जब पंजा पार्टी अपना रोल सही से निभा पाती है। लेकिन कम से कम टीके के मामले में पंजा पार्टी ने अपना रोल बाखूबी निभाया। पंजा पार्टी ने जिला इंतजामिया के हेडक्वार्टर पर पंहुच कर इस बात के लिए ज्ञापन दिया कि टीकों की ज्यादा से ज्यादा व्यवस्था की जाना चाहिए। टीकाकरण के दस दिन वाले महाअभियान के नाम पर केवल एक दिन ही व्यवस्थित टीकाकरण किया गया। बाकी के दिन तो लोगों को बेवजह परेशान करने के दिन थे। अगर पहले से लोगों को बताया जाता कि ज्यादा टीके उपलब्ध नहीं है,तो लोग कतारों में लग कर अपना वक्त तो बरबाद ना करते।

दफ्तर ही मैखाना

देहाती इलाकों में इंजीनियरिंग करने वाले महकमे के बडे साहब इन दिनों चर्चाओं में है। इस महकमे के तमाम ठेकेदार साहब की पठानी वसूली से खासे परेशान है और एक ठेकेदार ने तो इस बात की शिकायत सीधे सूबे के मामा को कर दी है। ठेकेदार ने मामा जी को बताया है कि साहब भारी भरकम रकम लिए बिना बिल पास करने को राजी नहीं है। वैसे बडे साहब है बडे रंगीले। उनके रहते महकमे का दफ्तर शाम तक तो दफ्तर रहता है,लेकिन शाम होते ही मैखाने में तब्दील हो जाता है।

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