Raag Ratlami Traffic : शहर के बीच बाजारों में असर दिखाने लगी है बडे साहब की मुहिम / जिले का मुखिया बनने के लिए लगाईं दूर की कौड़ी
-तुषार कोठारी
रतलाम। जिला इंतजामिया के बडे साहब ने जब सड़कों को चौडा करने की मुहिम शुरु की थी,तब लोगों को लगा था कि बडे साहब दो-चार दिन जोश दिखाने के बाद दूसरे कामों में मसरूफ हो जाएंगे। लोगों को एक शंका ये भी थी कि बडे साहब,बडे लोगों के इलाकों में जाने की हिम्मत शायद नहीं दिखा पाएंगे। लेकिन लोगों के दोनो अंदाजे गलत निकले। बडे साहब अपनी मुहिम में ना सिर्फ लगातार लगे हुए है,बल्कि चांदनी चौक और चौमुखीपुल जैसे इलाकों में भी उनकी मुहिम असर दिखाने लगी है।
चौमुखीपुल इलाके में बीच सड़क पर बनी प्याऊ अब हट चुकी है। इस व्यस्ततम इलाके में ये प्याऊ,प्यास बुझाने के काम तो बिलकुल नहीं आती थी,बल्कि इसके बहाने अतिक्रमण जरुर हो जाता था। बडे साहब ने इस इलाके का दौरा किया,तो सबसे पहले प्याऊ हटाने का फरमान जारी किया। प्याऊ हटा दी गई है,और अब सड़क ठीक ठाक नजर आने लगी है।
लेकिन शहर के इन प्रमुख बााजारों में दो बडी समस्याएं है। बाजारों में बने व्यावसायिक काम्प्लेक्स बिना पार्किंग व्यवस्था के चल रहे है और बाजारों में रहने वाले तमाम लोगों नें अपने चार पहिया वाहनों के लिए सड़क को ही पार्किंग बना रखा है। खुद के रहने के लिए बडे बडे घर बनवाए है,लेकिन उनमें कार रखने की जगह नहीं बनवाई है। वे यह मानकर चलते है कि उनके घर के सामने वाली सड़क पर उन्ही का हक है,इसलिए उनकी गाडियां वहीं खडी रहती है।
अगर शहर के व्यावसायिक काम्प्लेक्सों में पार्किंग व्यवस्था चालू करवा दी जाए और घरों के बाहर खडी रहने वाली गाडियों को हटा दिया जाए,तो यकीन मानिए,बीच बाजार में भी कभी ट्रैफिक जाम की समस्या नहीं आएगी। बडे साहब का ध्यान अगर इस ओर चला गया,तो समझिए कि शहर की सारी ट्रैफिक समस्या चुटकियों में हल हो जाएगी।
कब होगी एफआईआर….?
पिछले कई दिनों से अवैध कालोनियां बनाने वाले जमीनखोरों पर एफआईआर किए जाने का शोर मचा हुआ है। दिन लगातार गुजरते जा रहे है लेकिन एफआईआर वाला मामला एक एक दिन करके आगे बढता जा रहा है। शहर के शक्तिशाली जमीनखोर एफआईआर वाले मसले को किसी ना किसी तरह लटकाने की चाहत रखते है। वे चाहते है कि किसी ना किसी तकनीकी कारण के चलते एफआईआर होने का खतरा टल जाए।
हांलाकि सूबे की सरकार ने इस बात के पुख्ता इंतजाम किए है कि अगर किसी अवैध कालोनी को वैध करना है,तो पहले कालोनाईजर के खिलाफ एफआईआर करना जरुरी है। अगर एफआईआर ना करवाई गई तो,कालोनी का वैध होना संभव नहीं होगा।
रतलाम पूरे मध्यप्रदेश में पहला शहर है,जहां अवैध कालोनियों को वैध करने का काम सबसे तेज गति से चल रहा है। लेकिन अब गाडी एफआईआर पर जाकर अटकी है। शहर सरकार के अफसर जानते है कि अगर बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी। एफआईआर सिर्फ कालोनाईजर पर नहीं होगी। जिस वक्त कोई अवैध कालोनी अस्तित्व में आ रही थी,उस वक्त,शहर सरकार के अफसरों की जिम्मेदारी थी,कि वे उसे बनने ही नहीं देते। लेकिन अफसरों ने उस वक्त अवैध कालोनियों को बनने से नहीं रोका और काम ना रोकने के एवज में जमीनखोरों से मोटी रकमें वसूली थी।
इन अफसरों को अब ये डर जरुर सता रहा होगा कि अगर जमीनखोरों पर एफआईआर दर्ज हुई तो ये सवाल जरुर पूछा जाएगा कि जिस अफसर ने खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? शायद यही वो डर से जिसकी वजह से जमीनखोरों पर होने वाली एफआईआर एक एक दिन टल रही है। शहर सरकार के अफसर हर दिन कोई नया तकनीकी बहाना ढूड लाते है और एफआईआर आगे बढ जाती है। एफआईआर आगे बढी तो तमाम अवैध कालोनियों को वैध किए जाने का मामला भी आगे बढ जाता है। ऐसा ही चलता रहा तो फिलहाल अवैध को वैध करने के मामले में पहले नम्बर पर चल रहा रतलाम पिछडते हुए आखरी नम्बर पर ना पंहुच जाए।
जिले का मुखिया बनने के लिए दूर की कौडी….
फूल छाप के तमाम नेता इन दिनों जिले का मुखिया बनने की जद्दोजहद में लगे है। चूंकि मामला जिले का मुखिया बनने का है,इसलिए शहर से लेकर देहात तक के नेता जद्दोजहद कर रहे है। नेताओं की ये जद्दोजहद भी बडी दिलचस्प है। देहात वाली फूल छाप में मामा भांजे की जोडीबेहद चर्चित रही है। किसी जमाने में मामा जिले के मुखिया हुआ करते थे,अब भांजे को जिले का मुखिया बनने का भूत सवार हुआ है। ये अलग बात है कि एक वक्त पर भांजे ने जिले की पंचायत पर कब्जा जमाने के लिए पूरी फूलछाप को ब्लैकमेल किया था और पंजा पार्टी में शामिल होने की पूरी तैयारी भी कर ली थी। पूरी पार्टी को ब्लैकमेल कर घुटनों पर लाने का काम करने के बावजूद अब भांजे को जिले का मुखिया बनना है।
भांजे को पता है कि इधर के लोग तो ज्यादा काम आएंगे नहीं। भांजे को पता है कि फूलछाप में काली टोपी वालों की चलती है और काली टोपी वालों का मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है,इसलिए भांजा जिले का मुखिया बनने के लिए इतनी दूर की कौडी लाया। भांजे ने अपना बायोडाटा सीधे नागपुर के एक नेता को भिजवा दिया। भांजे ने यही अंदाजा लगाया कि नेता अगर नागपुर का है,तो काली टोपी वालों के मुख्यालय में भी उसकी पकड होगी ही। और सीधे वहीं से निर्देश आ जाए तो फिर काम कौन रोक सकता है?
बायोडाटा भी गजब का है। इसमें बीस तो पार्टी के पद बताए गए है,जिसे सुशोभित किया गया है। इसमें पार्टी की सदस्यता लेने से लगाकर अद्र्धांगिनी के जिला पंचायत पर कब्जा करने तक की जानकारी दी गई है। हांलाकि ये नहीं बताया गया है कि इसके लिए पार्टी को किस तरह ब्लैकमेल किया गया था। इसके अलावा भी कई सारी उपलब्धियां गिनाई गई है। सामूहिक विवाह कराने को भी जिले का मुखिया बनने की योग्यता के रुप में दिखाया गया है।
कुल मिलाकर रतलाम का मुखिया बनने के लिए सीधे नागपुर तक जैक लगाने का ये शायद पहला मौका होगा। अब देखना ये है कि नागपुर तक बायोडाटा भेजना काम भी आएगा या नहीं…..?