November 8, 2024

Raag Ratlami Road Politics : सड़कों के सहारे सेठ ने साधे कई सियासी निशाने /जेहादी जाहिलों पर नियंत्रण है बडी चुनौती

रतलाम। इस बात को लम्बा अरसा गुजर चुका था कि शहर के लोगों ने सेठ के तीखे तेवर नहीं देखे थे। लेकिन बीते हफ्ते सेठ ने शहर सरकार के दफ्तर में जाकर ऐसी धूम मचाई कि हर कोई हैरान रह गया। अपने पुराने पट्ठो के साथ शहर सरकार के दफ्तर में पंहुचे सेठ ने सड़कों की खस्ताहाल का मुद्दा जोरशोर से उठाया। कुछ अफसरों को लताड लगाई और चेतावनियां भी दे डाली।

अब सियासत के मैदान में सेठ के इस अंदाज को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है। वैसे तो सेठ ने शहर की खराब हो रही सड़कों का ही मामला उठाया था। उनका कहना था कि टैक्स देने वालों की गाढी कमाई से घटिया क्वालियी की सड़कें बनाई जा रही है,जो एक बरसात भी नहीं झेल पाती। शहर सरकार के अफसरों की ये लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होने अफसरों को चेतावनी दी कि अगर सड़कों की हालत और क्वालिटी सुधारी नहीं गई तो वे इस मामले को उपर तक ले जाएंगे।

लेकिन देखने वाले इस पूरे किस्से के पीछे की सियासत को समझने की कोशिश करने में जुटे है। लम्बे समय से सेठ कुछ निष्क्रिय से नजर आ रहे थे। फूल छाप पार्टी के कार्यक्रमों में भी उनकी मौजूदगी कम ही नजर आती थी। अभी हाल ही में जब फूलछाप वालों ने अपनी सदस्यता का अभियान चलाया,तब जरुर सेठ मंच पर नजर आए थे,लेकिन इसके अलावा वे कम ही नजर आ रहे थे।

ऐसे में जब सेठ ने पहले तो सड़कों की हालत को लेकर शहर के प्रथम नागरिक को चिट्ठी लिखी और बाद में खुद शहर सरकार के दफ्तर में चले गए तो राजनीति गर्म तो होना ही थी। सेठ की इस सक्रियता को लेकर अब कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है।

सियासत पर नजर रखने वालों का मानना है कि कभी सड़क मंत्री रहे सेठ ने शहर की सड़कों के सहारे कई सियासती निशाने एक साथ साधे है। एक तरफ तो उन्होने शहर सरकार के मुखिया और दूसरे नेताओं को आईना दिखाया है,तो दूसरी तरफ फूल छाप पार्टी को भी सन्देश दिया है कि उन्हे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वे जमीनी नेता रहे है और आज भी पकड रखते है।

सेठ के कई समर्थक ऐसे है,जो फूल छाप पार्टी में तो है,लेकिन उन्हे महत्व नहीं दिया जा रहा। सेठ की इस सक्रियता को इस तरीके से भी देखा जा रहा है कि सेठ इस बहाने से अपने समर्थकों को फूल छाप में ठीक ठाक जगह पंहुचाना चाहते है। अटकलें तो ये भी है कि आने वाले दिनों में सेठ की सक्रियता और भी बढ सकती है। ताकि फूलछाप पर उनकी पहले जैसी पकड बन सके।

ये वास्तविकता है कि शहर में बनाई जा रही सड़कों की क्वालिटी बेहद घटिया है और ये सड़के बहुत जल्दी खराब हो रही है। वास्तव में ऐसे मामले विपक्ष को उठाना चाहिए,लेकिन पंजा पार्टी मृतप्राय हो चुकी है और उससे अब विपक्ष होने की उम्मीद भी नहीं लगाई जा सकती। ऐसे में सेठ ने बिलकुल सही वक्त पर निशाना लगाया है। सेठ के इस निशाने से फूल छाप में क्या उठापटक हो सकती है इसका पता आने वाले दिनों में लग पाएगा। लेकिन इतना तय है कि सेठ की सक्रियता के चलते फूलछाप के नेताओं को अब सेठ से सावधान रहना पडेगा और उन्हे नजर अंदाज करने से बचना पडेगा। देखिए आगे आगे क्या होता है?

वर्दी वाला महकमा अब नए कप्तान की कप्तानी में चलने लगा है। नए कप्तान ने अपने नए नए प्लान बताए है और नए प्लान उन्होने लागू करना भी शुरु कर दिए है। नए कप्तान ने महकमे के अफसरों से कहा है कि वे लोगों से ज्यादा से ज्यादा मेलजोल रखे,ताकि वर्दीवालों का आम जनता से संवाद बना रहे और बढता रहे। कप्तान खुद जिले के अलग अलग इलाकों में जाकर लोगों से मिल रहे है और उनके सुझाव भी ले रहे है। ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने पर भी उनकी नजर है।

बीते पखवाडे के दौरान वर्दीवालों के खिलाफ जनता का जो गुस्सा फूटा था,उसे दूर करने के लिए नए कप्तान ने यही फार्मूला निकाला है कि जनता से सीधे संवाद को बढाया जाए। कप्तान की इस पहल का असर भी जल्दी ही देखने को मिलेगा। लेकिन वर्दीवालों की चुनौती इससे कहीं बडी है। जिले में जेहादी जाहिलों की मौजूदगी के प्रमाण अक्सर सामने आते रहते है। गणेश प्रतिमा के जुलूस पर पथराव का मामला हो या सर तन से जुदा के नारे लगने का। शहर के चुनिन्दा इलाकों में जेहादी जाहिलों की तादाद बढती जा रही है। सिमी से लेकर सूफ्फा तक के मामले रतलाम में हो चुके है।

ऐसे में जेहादी जाहिलों पर नजर रखना और उन्हे नियंत्रण में रखना ही सबसे जरुरी काम है। वैसे नए कप्तान ने इस तरह की सभी चुनौतियों से निपटने की मंशा दिखाई है,इसलिए उम्मीद की जाना चाहिए कि जनता से संवाद के साथ साथ, जेहादी जाहिलों पर नियंत्रण रखने में भी वे सफल होंगे।

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