Raag Ratlami Kashmir Files : रतलामी भी पीछे नहीं है,कश्मीर फाइल का इतिहास रचने मे,अब भी उमड रही है भीड,जमकर मनेगी रंगपंचमी
-तुषार कोठारी
रतलाम। कोरोना के कारण दो साल बरबाद हो जाने के बाद आने वाली होली धूमधडाके वाली तो होना ही थी,लेकिन इसके पहले ही यूपी मे बुलडोजर बाबा की वापसी हो गई। बुलडोजर बाबा की वापसी की खुशियां यूपी में जितनी रही उससे कुछ कम यहां भी नहीं थी। उसी के अगले दिन कश्मीर की फाइल खुल गई। कश्मीर की फाइल ने पूरे देश में एक नया माहौल खडा कर दिया। दर्शकों की कमी से जूझ रहे सिनेमाघरों की तो किस्मत ही खुल गई। बरसों बाद कोई फिल्म जय संतोषी मां का रेकार्ड तोडती हुई नजर आ रही थी। एक हफ्ता गुजरते गुजरते कश्मीर फाइल सौ करोड वाले क्लब में शामिल हो गई।
पूरे देश में इस फिल्म को लेकर जब ऐसा माहौल बन रहा था,तो रतलामी भला इसमें पीछे क्यो रहते? रतलामी के पहले मल्टीप्लेक्स को भी कई दिनों से भीड का इंतजार था और पहले दिन के बाद तो गायत्री मल्टीप्लेक्स में जो भीड उमडी,कि मल्टीप्लेक्स चलाने वालों को मजा आ गया। रही सही कसर मामा ने फिल्म को टैक्स फ्री करके और नरोत्तम दादा ने पुलिसकर्मियों को फिल्म देखने के लिए छुट्टी देने जैसी घोषणा करके पूरी कर दी।
पहले जब जय संतोषी मां फिल्म आई थी,तो बताते है कि दर्शक पर्दे पर संतोषी माता के आने पर श्रद्धावश सिक्के फेंकते थे। अब कश्मीर फाईल में लोग भारत माता की जय के नारे लगा रहे है। ये शायद पहला मौका है,जब शहर की दर्जनों संस्थाओं ने इस फिल्म के शो बुक करवा कर अपने सदस्यों को फिल्म दिखाई। फिल्म देखना भी एक इवेन्ट बन गया,जिसमें पहले गाजे बाजे के साथ रैली निकाल कर सिनेमाघर तक पंहुचा जाता है। फिर सिनेमाघर के बाहर फोटोग्र्राफी की जाती है। जमकर नारेबाजी करने के बाद लोग आखिरकार फिल्म देखने भीतर जाते है। भीतर जाने के बाद भी नारेबाजी बन्द नहीं होती। फिल्म देखकर आने के बाद लोग थियेटर के भीतर के फोटो और विडीयो शेयर करके अन्य लोगों को बताते है कि वे फिल्म देख चुके है। शहर के लोगों ने फिल्म के चक्कर में अब तक दो तीन रैलियां देख ली है।
सबसे बडी समस्या उन लोगों के लिए है,जो आमतौर पर विरोधी रुख रखने वाले है। वे समझ नहीं पा रहे है कि आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या है,जिसके पीछे लोग इतना पागल हो रहे है। कोई संस्था के सदस्यों को फिल्म दिखा रहा है,तो किसी ने आम लोगों को फ्री में फिल्म दिखाने के लिए शो बुक करवा दिया है। बडी खासियत ये भी है कि शहर में इस फिल्म का एक भी पोस्टर या बैनर नहीं लगा है। गायत्री मल्टीप्लेक्स वालों के मुताबिक फिल्म वालों ने फिल्म के केवल दस पोस्टर ही भेजे थे। ये सारे पोस्टर तो थियेटर में ही लग गए। अब शहर में पोस्टर कहां से लगाते? इसके बावजूद भीड उमडती जा रही है। इस फिल्म के साथ आई दूसरी बडे स्टारों की फिल्में इसके चक्कर में पिट गई है। ये सारे हिन्दुस्तान का हाल है,तो रतलाम में भी यही कुछ हुआ है। दूसरी फिल्मों को कोई देखना ही पसन्द नहीं कर रहा। कोई इसे जय संतोषी मां की टक्कर की फिल्म बता रहा है,तो कोई इसे दूसरी शोले बता रहा है। कश्मीर की ये फाइल भी इतिहास रचने वाली फिल्मों में शामिल हो चुकी है।
कुल मिलाकर रतलाम के लोगों ने भी वही जज्बा और जुनून दिखाया है,जो पूरे देश में नजर आ रहा है। इस फिल्म की सफलता यह भी प्रमाणित कर रही है,कि देश के अधिकांश लोग देश की समस्याओं के प्रति कितनी चिन्ता और संवेदनाएं रखते है। रतलाम के लोग भी इसमें पीछे नहीं है।
जमकर मनेगी रंगपंचमी…..
दो साल से मन मसोस कर बैठे लोगों को जैसे ही इस बार मौका मिला,उन्होने होली का जबर्दस्त धूम धडाका कर दिखाया। पिछले कई सालों से इतनी तगडी होली देखने को नहीं मिली थी। इसके पीछे जहां दो साल की रोक का असर तो था ही,देश के बदले हुए माहौल ने भी तगडा रोल निभाया। यूपी में बुलडोजर बाबा की जीत और इसके अगले ही दिन आई कश्मीर फाइल्स ने लोगों के उत्साह को सातवे आसमान पर पंहुचा रखा है। इसी का एक असर ये भी नजर आया कि इस बार होली पर पानी बचाने का ज्ञान बांटने वालों की दुकानें भी बन्द ही नजर आई। इस बार ना तो किसी ने सूखी होली का ज्ञान बांटने की हिम्मत दिखाई ना ही तिलक होली के फायदे गिनाए। इस तरह के बेवकूफी भरे एजेन्डे चलाने वालों को शायद समझ में आ गया कि इस बार अगर ज्ञान बांटा तो लेने के देने पड सकते है।
रतलाम की रंगपंचमी तो होली से भी ज्यादा तगडी होती है। दूर दूर तक रतलाम की रंगपंचमी की चर्चाएँ होती है। चूंकि होली धूम धडाके वाली थी तो रंगपंचमी इससे भी ज्यादा मस्तीभरी होना तय है। शहर में दो बत्ती चौराहे पर फिर से शानदार रंगीन फौव्वारे सजाने की तैयारियां चल रही है,तो डालूमोदी बाजार पर भी रंगों की बारिश कराने की व्यवस्था हो रही है। गेर के इंतजाम भी जोरों पर है। तैयारियों को देखकर लगता है कि इस बार की रंगपंचमी ऐतिहासिक साबित होगी।