Raag Ratlami : फूल छाप और पंजा पार्टी की जोर आजमाईश से हो गया चुनावी सरगर्मियों का आगाज
-तुषार कोठारी
रतलाम। बीता हफ्ता सियासत के लिहाज से बडा गरमागरम रहा। दोनो ही पार्टियों के आयोजन हुए। पंजा पार्टी ने किसान पंचायत ते नाम पर अपनी ताकत दिखाने की नाकाम कोशिश की,तो फूल छाप पार्टी वालों ने अपनी पार्टी के मुखिया के दौरे को ताकत दिखाने का मौका बनाया। इन वाकयों ने सियासत को पूरी तरह गरम कर दिया। अब लगने लगा है कि सडक नाली वाली सरकार के चुनाव का माहौल शुरु हो गया है।
पहले बात पंजा पार्टी की। पंजा पार्टी ने किसान कानूनों के नाम पर मजबूती हासिल करने के लिए किसान पंचायत का दांव खेला। पूरे सूबे में किसान पंचायत का पहला मौका रतलाम को मिला था,इसलिए इस पर ज्यादा ताकत खर्च की गई। खुद दिग्गी राजा रतलाम पंहुचे और दो दिनों तक यहीं डेरा डाले रहे। पहले ऐसा माना जाता था कि पंजा पार्टी में अकेले दिग्गी राजा में ही दम है कि उनके पीछे भीड चलती है। लेकिन इस बार दिग्गी राजा के दौरे से ये भ्रम भी टूट गया। दिग्गी राजा की मौजूदगी भी भीड को नहीं खींच पाई। दिग्गी राजा ने यह भी कहा था कि किसान पंचायत,किसानों की है,इसलिए पंजा पार्टी ना तो अपने झण्डे लगाएगी और ना पंजा पार्टी के नेता भाषणबाजी करेंगे।
दिग्गी राजा बेचारे दो तीन घण्टे तक भीड के बीच श्रोता बनकर बैठे रहे। पंजा पार्टी ने भीड जुटाने का दूसरा दांव यह भी खेला था कि दिल्ली में डेरा डाले बैठे हरियाणा के किसान नेता को भी लेकर आए थे. उन्होने सोचा होगा कि शायद इसकी वजह से थोडी भीड बढ जाएगी। लेकिन अन्नदाता को इससे कोई फर्क नहीं पडा। डेलनपुर का मैदान ठीक से भर भी नहीं पाया।
पंजा पार्टी की भीतरी जानकारी रखने वालों का कहना है कि जिले में भीड जुटाने की ताकत सैलाना वाले भैय्या के पास है। लेकिन सैलाना वाले भैय्या डेलनपुर में खुद तो आए,लेकिन अपनी भीड लेकर नहीं आए। जिले की पंचायत में दूसरे नम्बर पर रह चुके धाकड नेता के बारे में पहले ऐसा माना जाता था कि वो भी भीड जुटाने के मामले में मजबूत है,लेकिन डेलनपुर की पंचायत ने उनकी पोल खोल कर रख दी। गनीमत रही कि आलोट वाले एमएलए साहब अपने साथ साफे वालों की ठीक ठाक सी रैली लेकर आ गए वरना तो डेलनपुर में पंजा पार्टी का पूरा कचरा ही हो जाता।
कुल मिलाकर पंजा पार्टी के नाम के बगैर करवाई गई किसान पंचायत पंजा पार्टी को कौडी भर का फायदा नहीं दिलवा पाई। इतना जरुर हुआ कि पंजा पार्टी के जो नेता सडक नाली वाली सरकार के चुनाव में जोर आजमाईश करना चाहते है,उन्हे दिग्गी राजा की नजरों में आने का एक मौका जरुर मिल गया। हांलाकि फिलहाल पंजा पार्टी में यह भी तय नही ंहै कि पंजा पार्टी के टिकट दिलाने में दिग्गी राजा का कितना रोल रहेगा,लेकिन पंजा पार्टी वाले मानते है कि दिग्गी राजा की कृपादृष्टि हो जाए तो टिकट मिलना तय हो जाता है। बस इसी चक्कर में सर्किट हाउस पर थोडी बहुत भीड जमी रही।
दावेदारों का शक्ति प्रदर्शन
एक तरफ जहां पंजा पार्टी वाले दिग्गी राजा की नजरों में चढने की कोशिशें कर रहे थे,तो उसी के अगले दिन फूल छाप के नेताओं को भी अपने आका की नजरों में चढने का मौका मिल गया। फूल छाप के मुखिया पूरे एक दिन और एक रात के लिए रतलाम आ पंहुचे। फूल छाप के पास दावेदारों की लम्बी कतारें है। चुनावी मौसम में बडे नेता आए और दावेदार शक्ति प्रदर्शन ना करें ऐसा तो हो ही नहीं सकता। पूरे शहर में हर कहीं बैनर पोस्टर नजर आने लगे। सडकों का कोई ऐसा बिजली पोल नहीं बचा,जिस पर किसी दावेदार का पोस्टर ना चढा हो। यहां तक कि बैनर पोस्टर लगाने के मामले मेंं फूल छाप वाले आपस में भिड भी लिए। मामला दो बत्ती और घोडे का था। घोडे को सबसे प्राइम लोकेशन माना गया। नेताओं का खयाल था कि भाई सा. की नजर और कहीं पडे ना पडे। घोडे पर जरुर पडेगी और जब घोडे पर नजर पडेगी तो वहां लगे पोस्टर बैनर पर भी पडेगी। जमीनों से जुडे टिकट के एक दावेदार ने अपने पोस्टर घोडे के चारों ओर लगा दिए थे,लेकिन इसी जगह पर दाई जी की नजरें भी लगी हुई थी। जैसे ही दाई जी को पता चला कि घोडे पर किसी दूसरे दावेदार के पोस्टर लगे है,उनका पारा सातवें आसमान पर जा पंहुचा। आखिर में जीत दाई जी की हुई और घोडे पर दाई जी ने कब्जा कर लिया।
महूरोड फौव्वारे से सर्किट हाउस तक हर दावेदार का अपना एक स्वागत मंच मौजूद था। हर मंच पर ज्यादा से ज्यादा भीड जुटाने की होड थी। जिन वीडी भाई सा. ने प्रदेश का मुखिया बनते ही भोपाल में लगे तमाम बैनर पोस्टर हटाने का फरमान जारी कर दिया था,वे ही सडक पर ढेरों की तादाद में लगे बैनर पोस्टर देखते हुए चलते रहे और करीब करीब हर मंच पर पंहुच कर फूलमालाएं पहनते रहे। इतना भारी भरकम स्वागत देखकर कई फूल छाप वाले कह रहे थे कि इतना तगडा स्वागत तो कभी मामा का भी नहीं हुआ। वजह साफ है कि हर दावेदार को उम्मीद थी कि जिसका जितना तगडा स्वागत होगा,उसकी दावेदारी उतनी ही मजबूत होगी। अब सचमुच में ऐसा होगा या नहीं ये तो फूल छाप वाले ही बता सकते है। लेकिन इतना जरुर है कि फूल छाप का इतना तगडा माहौल देखकर शहर वालों को फूल छाप की स्थिति अभी से मजबूत लगने लगी है।
कुल मिलाकर दोनो पार्टियों की जोर आजमाईश के बाद अब सडक नाली वाले चुनाव की सरगर्मियों का आगाज हो गया है। आने वाला महीना डेढ महीना शहर में सियासत ही हावी रहेगी।