Raag Ratlami Police Brutality : गणपति भक्तों पर वर्दी वालों की बर्बरता के बाद महकमे में चली बदलाव की बयार ; बहुत बडी है आने वाले दिनों की चुनौती
-तुषार कोठारी
रतलाम। नवरात्रि और गणेशोत्सव दो ऐसे त्यौहार है जो एक दो नहीं बल्कि पूरे दस दिनों तक चलते है और इसी वजह से दोनो त्यौहारों को लेकर लोगों में जबर्दस्त उत्साह होता है। लेकिन इस बार गणेशोत्सव का उत्साह वर्दी वालों की बर्बरता के कारण सहम सा गया। वर्दी वालों की बर्बरता की कीमत एक आदिवासी बालक को अपनी जान देकर चुकानी पडी। बप्पा के कई भक्तों की हड्डियां तोड दी गई । और ये सबकुछ केवल ये दिखाने के लिए किया गया कि वर्दी वालों के पुराने कप्तान की शहर पर जबर्दस्त पकड है। इतना ही नहीं ये भी दिखाने की कोशिश की गई कि गणपति भक्तों ने बेवजह पथराव की अफवाहें फैलाकर शांति भंग करने की कोशिश की।
लेकिन गणपति भक्तों पर हुए पुलिसिया अत्याचार के बाद जब समाज सक्रिय हुआ,तो महकमे में बदलाव की बयार चलने लगी। सबसे पहले वर्दी वालों के कप्तान को रतलाम से रवाना किया गया। कप्तान को राजधानी में रेलवे पुलिस की कप्तानी सौंपी गई थी। लेकिन जब वहां के बजरंगियों को इसका पता चला तो उन उन्होने वहां भी जमकर विरोध जताया और अब खबर ये है कि कप्तान से कप्तानी छीनकर हेडक्वार्टर में जमा कर दिया गया है।
नए कप्तान ने रतलाम में आने के बाद उन वर्दी वालों को बदल दिया जो इस पूरे काण्ड के जिम्मेदार थे। थाने के मुखिया को लाइन में भेज दिया गया। कहानी की शुरुआत थाने के मुखिया की लापरवाही से ही हुई थी। बप्पा के जुलूस पर पथराव की शिकायत लेकर जब बप्पा के भक्त थाने पंहुचे तो दो तीन घण्टों तक तो थाने के मुखिया ने इस पर ध्यान तक नहीं दिया। फिर जैसे तैसे अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की,लेकिन जब बप्पा के भक्त थाने से लौट रहे थे,उन पर कहर बरसा दिया गया। दो बत्ती थाने पर अब नए मुखिया को तैनात कर दिया गया है।
सारी कहानी का असर आने वाले दो तीन दिनों में नजर आएगा। एक तरफ बप्पा के विसर्जन का मौका होगा और उससे पहले जालीदार गोल टोपी वालों के बडे जुलूस का आयोजन होगा। वर्दी वाले और जिला इंतजामिया के लिए ये बडी चुनौती का समय है। बप्पा के जुलूस पर हुए पथराव के बाद वर्दी वालों के लिए चुनौती ये है कि गोल टोपी वालों का जुलूस बिना किसी विवाद के शांति के साथ पूरा हो जाए और उससे अगले दिन बप्पा का विसर्जन भी शांतिपूर्ण ढंग से हो जाए।
इसके लिए वर्दी वालों ने गोलटोपी वालो के जुलूस का नया मार्ग बनाया है। कोशिश ये की जा रही है कि जुलूस में शामिल होने वाले तमाम लोग शांतिपूर्ण ढंग से निकल जाए। इनमें शामिल शरारती तत्वों पर पूरा नियंत्रण रखा जाए। क्योकि इन्ही में शरारती तत्वों की तादाद ज्यादा है। बप्पा के जुलूस पर हुए पथराव के बाद अब तक ऐसे शरारती तत्वों को दबोचा नहीं जा सका है और तमाम शरारती तत्व शहर में सक्रिय ही नजर आ रहे है। कहीं झण्डों को लेकर विवाद खडे किए जा रहे है,तो कहीं और किसी कारण से विवाद की स्थितियां बनाई जा रही है।
होना तो ये चाहिए था कि बप्पा के जुलूस पर पथराव के बाद इस तरह की हरकतें करने वालों पर कडी कार्यवाही होती,लेकिन हुआ इसका उलटा। इसी वजह से आने वाले दिनों की चुनौती बडी हो गई है। वर्दी वालों के शहर के मुखिया ने वैसे तो अपने स्तर पर बडे इंतजाम किए है। उन्होने गोल टोपी वालों के जुलूस के आयोजकों को बुलाकर समझाईश दी है कि वे अपने शरारती तत्वों को काबू में रखे वरना इसके परिणाम गंभीर हो सकते है। इन लोगों ने वर्दी वालों के अफसर को भरोसा भी दिलाया है कि सब कुछ शांति से ही होगा,लेकिन इसके बाद भी सावधानी और सतर्कता बेहद जरुरी है। उम्मीद की जाए कि आने वाले दिनों के त्यौहार बिना किसी विघ्नबाधा के निपट जाएंगे और विघ्नहर्ता बप्पा की बिदाई सुव्यवस्थित तरीके से हो जाएगी।
जांच पूरी होने का इंतजार…
बप्पा के भक्तों पर हुई निर्दयता के बाद जब समाज के लोग सक्रिय हुए और बडी संख्या में लोग जिला इंतजामिया के बडे साहब के पास शिकायत लेकर पंहुचे,तो पूरा इंतजामिया हरकत में आया और बडे साहब ने फौरन मामले की मजिस्ट्रियल जांच की घोषणा भी कर डाली। बडे साहब की घोषणा हो गई तो लोगों का गुस्सा थोडा कम हुआ और उन्हे उम्मीद बंधी कि अब न्याय होगा।
लेकिन सरकारी दफ्तरों के रिवाज के मुताबिक जांच का काम कछुआ चाल से ही चल रहा था। सबसे पहले तो जांच का आदेश अधिकारिक तौर पर जारी होना था। यह भी तय होना था कि जांच किन बिन्दुओं पर की जाएगी? दो दिन गुजरने के बाद जब ये मामला मीडीया ने उठाया,तब जाकर बडे साहब ने फौरन आदेश भी जारी किया और ये भी तय कर दिया कि जांच एक महीने में पूरी की जाएगी।
अब माना जा रहा है कि जांच तेज गति से होगी और निर्धारित समय में पूरी भी होगी। जांच के बाद ही ये तय होगा कि किसने गलती की है और किस तरह की गलती की गई है। एक आदिवासी बच्चे की दुखद मौत के लिए जिम्मेदार कौन है? दोषियों को जब सजा मिलेगी तभी इस बात का भरोसा बनेगा कि भविष्य में इस तरह की गलतियां दोहराई नहीं जाएगी और वर्दी वाले जिम्मेदारी से काम करेंगे।