May 10, 2024

Raag Ratlami Land Mafia : आ गया नया साल,अब बढेगी अवैध कालोनी बनाने वाले जमीनखोरो की मुश्किलें/अदालती फैसलों से बढी जेल की भीड

-तुषार कोठारी

रतलाम। नए साल की शुरुआत ही रविवार से हो रही है। कहीं ऐसा ना हो जाए कि नए साल का पूरा माहौल छुट्टियों जैसा रह जाए। वैसे शहर में अवैध कालोनियां बनाने वाले जमीनखोरो के लिए नया साल मुश्किलों भरा साबित होने की उम्मीदें है। इसकी वजह ये है कि अवैध कालोनियां बनाने वाले करीब डेढ सौ जमीनखोरों के खिलाफ नए साल में ही मुकदमें दर्ज होना है।

सूबे की सरकार ने पिछले कुछ वक्त से पूरे प्रदेश भर में अवैध कालोनियों को वैध करने का अभियान चालू किया है। रतलाम पूरे सूबे में पहला शहर है जहां ये अभियान तेज गति से आगे बढा है। सरकार ने जो नियम बनाए है, उसमें अवैध कालोनी को वैध करने की सबसे जरुरी शर्त ये रखी गई है कि सबसे पहले अवैध कालोनी बनाने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा, उसके बाद ही अवैध कालोनी को वैध करने की प्रक्रिया आगे बढेगी।

रतलाम में फूलछाप के भैया जी की मेहनत से अवैध को वैध करने की प्रक्रिया तेज गति से चालू हो गई थी। प्रक्रिया चालू हुई तो अवैध कालोनी बनाने वाले जमीनखोरो की लिस्ट बनाई गई। फिर इनके खिलाफ मुकदमें दर्ज करने की तैयारियां शुरु हई।

हर कोई ये बात जानता है कि बिना अफसरों की मिलीभगत से अवैध कालोनियां बन नहीं सकती थी। नगर निगम के अफसरों को पता था कि अगर बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी और हो सकता है कि मुकदमों का आंच कभी ना कभी उन तक भी पंहुच सकती है। यही वजह थी कि नगर निगम वाले जमीनखोरो की लिस्टे तो बना रहे थे, लेकिन इसमें उत्साह का अभाव था। वे चाहते थे कि मामला टलता जाए। लेकिन दूसरी तरफ उन पर दबाव बढता जा रहा था।

लम्बी टालमटोल के बाद आखिरकार मुकदमें दर्ज करने के पत्र वर्दी वालों को भेजे गए। अब गेंद वर्दी वालों के पाले में आ गई थी। चूंकि साल का आखरी वक्त आ गया था, इसलिए वर्दी वालों ने इतने सारे मुकदमे दर्ज करने के लिए नए साल का इंतजार करने का फैसला ले लिया था। यही वजह थी कि तमाम जमीनखोरो को कुछ वक्त के लिए फौरी राहत मिल गई थी।

लेकिन अब बाकायदा नया साल आ चुका है। नए साल की शुरुआत भले ही रविवार से हुई हो, रविवार के बाद सोमवार भी आएगा और दफ्तरों के ताले भी खुलेंगे। तो अब उम्मीद की जा रही है, कि अवैध कालोनियां बनाने वाले तमाम जमीनखोरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हो ही जाएंगे।

जेल में बढी भीड….

जिला जेल की हालत इन दिनों खराब हो रखी है। बीते साल के आखरी महीने में एक अदलिया ने दो तीन बडे बडे मामलों में दर्जनों अभियुक्तों को जेल भेजने का फरमान जारी कर दिया। साल के आखरी महीने के दूसरे हफ्ते में बारह साल पहले हुए दंगे के 35 मुजरिमों को जेल भेजा गया, आखरी हफ्ते में 15 साल पुरानी आगजनी के करीब 40 मुजरिमों को जेल जाने का हुक्म सुनाया गया। जेल में कैदियों को रखने की क्षमता से दुगुने तो वैसे ही बन्द रहते है। एक ही महीने में 75 मुजरिम और आ जाने से जेल का इंतजाम चरमराने लगा है। अब ताजा मामला जमीनखोरो का है। अवैध कालोनियां बनाने वाले डेढ सौ के करीब जमीनखोरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने की तैयारी आखरी दौर में है। डेढ सौ मुकदमे दर्ज होंगे तो इस मुलजिमों को वर्दी वाले पकडेंगे और अदालत के सामने पेश करेंगे। अगर अदालत ने इन सब को भी जेल भेजने का फरमान जारी कर दिया, तो जेल में पैर धरने की जगह तक नहीं बचेगी। जेल का इंतजामिया बढती भीड के मद्देनजर इंतजामों में जुटा है।

परभारी पर भारी पडे कार्यकर्ता…..

जिले पर भारी मंत्री जी लम्बे अरसे के बाद अपने प्रभार में आए थे। एक तो लम्बा अरसा उपर से कार्यकर्ताओं की अनसुनी,उनके खिलाफ नाराजी भरी हुई थी। इस पर भी जिले परभारी मंत्रीजी ने फूल छाप के एक बडे पदाधिकारी को अनदेखा करते हुए पहले अपने अफसर को तरजीह दे दी। बस फिर क्या था? बडे पदाधिकारी ने बैठक में जमकर भडास निकाली। मंच पर बैठने की बजाय पदाधिकारी जी नीचे बैठे ताकि जिले पर भारी मंत्री जी को खरी खोटी सुना सके। जिले पर भारी मंत्री जी चूंकि श्रीमंत के कोटे के है,इसलिए उन्हे फूल छाप के तौर तरीकों की जानकारी कुछ कम है। पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की खरी खरी सुनकर वे भी सन्नाटें में आ गए।

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