September 29, 2024

Raag Ratlami Navratri Mela – आधी अधूरी तैयारियों में कैसे होगा माता का मेला-बच्चियों की सुरक्षा को लेकर उठने लगे है ढेरों सवाल ,वर्दी वालों को लगता है खबरों से डर

रतलाम। अगला हफ्ता खत्म होने से पहले श्राध्द पक्ष की समाप्ति हो जाएगी और किसी जमाने में पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध रहने वाला नवरात्रि मेला प्रारंभ हो जाएगा। शहर सरकार के कर्ता धर्ताओं की सुस्ती अब तक दूर नहीं हुई है। मेले को लेकर तैयारियां आधी अधूरी पडी है। यहां तक कि मन्दिर के सामने की मुख्य सड़क तक खुदी पडी है। इधर बीते तीन दिनों से शहर पर इन्द्रदेव मेहरबान है। ऐसे में बडा सवाल यही है कि माता का मेला इस बार किस तरह सम्पन्न हो पाएगा?

शहर सरकार के अफसरों की सुस्ती बडी देर से दूर होती है। इसकी सबसे ताजा उदाहरण कालिका माता मन्दिर परिसर है। पूरे शहर को पता है कि नवरात्रि में यहां मेला लगता है,जिसमें रोजाना हजारों लोग आते है। शहर सरकार के कर्ता धर्ताओं को कालिका माता मन्दिर का रोड ठीक करना था। लेकिन रोड को ठीक करने का काम सुस्ती के चलते टलता रहा। अब जब मेला बिलकुल सिर पर आ गया तो सड़क की खुदाई कर दी गई।

इन्द्रदेव पिछले तीन दिनों से शहर पर मेहरबान है। बादल जमकर बरस रहे है। मौसम का ये हाल अभी कितने दिन और रहेगा कोई नहीं जानता। लेकिन नवरात्रि का मेला शुरु होने में अब महज तीन दिन बचे है। ऐसे में मन्दिर परिसर की सड़क का काम कैसे पूरा हो पाएगा। इतना ही नहीं मेला परिसर की दूसरी तमाम व्यवस्थाएं भी अधर में लटकी पडी है।

शहर के प्रथम नागरिक से लगाकर शहर सरकार के बडे साहब तक किसी को इस बात की चिन्ता हो ऐसा दिखाई नहीं पडता। पिछले कुछ सालों से शहर सरकार की उदासीनता के चलते किसी जमाने में पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध रह चुका नवरात्रि मेला अपनी चमक खोता जा रहा है। किसी जमाने में दूर दूर के व्यापारी व्यवसायी इस मेले में आकर व्यवसाय करने को इच्छुक रहा करते थे,लेकिन शहर सरकार के कारिन्दों की लूट खसोट और सुविधाओं की कमी के चलते अब व्यापारी व्यवसाईयों में भी इस मेले में आने की इच्छा कम होने लगी है।

नवरात्रि मेंले के मंचीय कार्यक्रमों की भी कुछ सालों पहले तक बडी धूम हुआ करती थी,लेकिन बिना बैल की गाडी के सहारे शहर के प्रथम नागरिक बने एक नेताजी के आने के बाद मंचीय कार्यक्रमों का ऐसा कचरा हुआ जो आजतक ठीक ही नहीं हो पाया है। झुमरु के नाम से पहचाने जाने वाले नेताजी ने मंचीय कार्यक्रमों को ठेके पर देने का जो तरीका इजाद किया था,उसके चलते कालिका माता का मंच अश्लील और फूहड कार्यक्रमों का मंच बनकर रह गया था। बाद के नेताओं ने भी इसके स्तर को सुधारने की कोई कोशिश नहीं की। नतीजा ये है कि कालिका माता के मंचीय कार्यक्रम भी अब बेकार होकर रह गए है।

इस बार तो सारी व्यवस्थाएं अस्त व्यस्त ही पडी है। कालिका माता ही जाने उनके मेले का क्या होगा?

शहर के अस्सी फीट रोड पर एक निजी स्कूल की नन्ही बच्ची के साथ हुई घटना ने शहर के बाशिन्दों को झकझोर कर रख दिया है। बच्ची के साथ स्कूल के ही एक कमरे में स्कूल टाइम में यौन शोषण की वारदात हो गई। ये गनीमत है कि बच्ची ने आरोपी को पहचान लिया और वर्दी वालों ने उसे उसके स्थान पर भी तुरंत भिजवा दिया। लेकिन इस वारदात ने कई सवाल खडे कर दिए है।

मोटी फीस वसूलने वाले स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के सारे इंतजाम होने चाहिए। कहने को तो अस्सी फीट रोड वाले स्कूल में भी दर्जनों कैमरे लगे हुए बताए जाते है। लेकिन सवाल ये है कि कैमरे वाले कमरों में दिन के वक्त कोई आरोपी एक नन्ही बच्ची के साथ हरकत कर देता है,तो इसकी जानकारी तुरंत क्यों नहीं मिल पाती? स्कूल के कमरे में कोई बडा लडका एक नन्ही बच्ची को अकेले ले जाता है,तो स्कूल के स्टाफ और कर्मचारियों को इसका पता क्यो नहीं लग पाता? स्कूल के कमरे दिन के वक्त इस तरह सूने कैसे छोड दिए जाते है कि इन कमरों में इस तरह की कोई घटना कारित की जा सके? सवाल कई है,लेकिन जवाब नदारद है।

ये तो गनीमत रही कि घटना कारित करने वाला आरोपी भी कम उम्र का ही था और स्कूल का ही छात्र था,लेकिन अगर इसके स्थान पर कोई और होता तो क्या होता? क्या बच्ची सुरक्षित भी रह पाती? इस तरह के तमाम सवालों के जवाब ढूंढना बेहद जरुरी है।

वर्दी वालों को खबरों से डर लगता है। कुछ सालों पहले तक वर्दी वाले मीडीया वालों को जिले भर में दर्ज होने वाले तमाम अपराधों की पूरी जानकारी मुहैया कराते थे। पहले वाले अफसरों को पारदर्शिता से कोई डर नहीं लगता था। इसलिए जिले भर के थानों पर दर्ज होने वाले अपराधों की पूरी जानकारी खबरचियों तक पंहुचाई जाती थी। लेकिन अभी हाल में जिले से बिदा हुए कप्तान ने आने के बाद खबरों को सेंसर करना शुरु कर दिया था। खबरचियों को दी जाने वाली सूचनाओं में उन सारे अपराधों को गायब करने की व्यवस्था कर दी गई थी,जो गंभीर प्रकृति के होते थे। चोरी,हत्या,हत्या के प्रयास और यौन अपराधों को खबरचियों से छुपाने की कोशिश की जाती थी।

वर्दी वाले केवल उन्ही अपराधों की जानकारी खबरचियों तक पंहुचाते थे,जिसमें वर्दी वालों को वाहवाही मिल सके। इसमें सार्वजनिक स्थान पर मदिरा पान करने वाले या लापरवाही से हुई दुर्घटनाओं जैसे मामलू अपराध तो दर्ज रहते है लेकिन गंभीर अपराध गायब कर दिए जाते थे।

अब जब नए कप्तान आए,तो खबरचियों ने अपनी समस्या उन्हे भी बताई। नए कप्तान ने ये तो कहा कि वे इस मामले को देखेंंगे,लेकिन उन्होने एक बात ऐसी कही,जिससे लगा कि वर्दी वालों को खबरों से डर लगने लगा है। कप्तान ने कहा कि पहले वे इस बात का पता लगाएंंगे कि गंभीर अपराधों को छुपाना क्यो शुरु किया गया? ये बात तो हर कोई समझ सकता है कि खबरों को छुपाया क्यो जाता है? छबि बिगडने का एकमात्र डर है,जिसकी वजह से जानकारियां छुपाई जाती है।

इतनी मामूली बात नए कप्तान न समझे ऐसा हो नहीं सकता। इसका सीधा सा मतलब यही है कि वर्दी वालों को खबरों से डर लगता है और इसीलिए खबरें छुपा ली जाती है।

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