Raag Ratlami Market -फूल छाप वालों के दबाव के बाद माने वर्दी वाले और इंतजामिया,अब आधी रात तक खुलेंगे बाजार
-तुषार कोठारी
रतलाम। आखिरकार इंतजामिया को समझ में आ गया कि त्यौहारी मौसम मेंं बाजारों को देर रात तक खुला रखा जाना चाहिए। नवरात्रि की रातों में दुकानों को डण्डे के जोर पर बन्द कराने पर तूले वर्दी वालों को अब कहा गया है कि वो आधी रात तक किसी को हलाकान ना करें।
ये बात नवरात्रि के पहले भी हुई थी। इंतजामिया ने तो देर रात तक दुकानें चालू रखने की इजाजत दे दी थी,लेकिन वर्दी वालों पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था। वर्दी वालें रात को दस साढे दस बजे ही निकल पडते थे। दुकानों पर डण्डे चमकाने और दुकानदारों को शाब्दिक अत्याचारों से नवाजने का सिलसिला चालू हो जाता। सडकों पर तैनान वर्दी वालों से जब इस बारे में पूछा जाता,तो वो कहते कि अफसरो का हुकुम है हमें तो मानना ही पडेगा।
अफसर से पूछने पर वो कहते,हमने किसी को चमकाने को नहीं बोला है,केवल निवेदन करने को कहा है। आम लोग जानते है कि वर्दी वालों का निवेदन कैसा होता है। उनका तो निवेदन भी गालियों से भरा होता है।
बहरहाल ये मसला खबरचियों ने जोर शोर से उठाया। नवरात्रि तो निपट गई,लेकिन अब दीवाली नजदीक आ रही है। वर्दी वाले इस बात को समझने को ही तैयार नहीं थे। उनको केवल इस बात से मतलब था किआम लोगों में वर्दी वालों का खौफ बना रहना चाहिए। लेकिन फिर बात चुने हुए नेताओं के पास आई। व्यापारियों ने जाकर फूल छाप के नेताओं से गुहार लगाई और फिर भैयाजी ने जिला इंतजामिया के बडे साहब से चर्चा की। आखिरकार बडे साहब ने फरमान जारी कर दिया कि बाजार आधी रात तक खुले रखे जा सकते है। वर्दी वालों के कप्तान को भी बताया गया।
कुल मिलाकर फरमान तो जारी हो गया है,लेकिन अब देखने वाली बात ये है कि जमीन पर इस फरमान का असर दिखाई देता है या नहीं। वरना वर्दी वाले समय के एक घण्टे पहले से निकल पडेंगे और डण्डे बजाने लगेंगे। कोई पूछेगा तो कहेंगे कि हम तो बस सूचना देने आए थे कि दुकानें बन्द करने का समय होने वाला है। अगले एक दो दिनों में सच्चाई सामने आ जाएगी। देखिए क्या होता है…?
हैलमेट का हल्ला
सूबे की बडी अदालत ने तमाम दोपहिया वाहन चलाने वालों को हेलमेट पहनने का फरमान सुना दिया है। अदालत ने सरकार को भी हुक्म दिया है कि इस फरमान को पूरी सख्त से लागू करवाया जाए। सरकार ने वर्दी वालों को इस फरमान को लागू करवाने के काम पर लगा दिया और शहर शहर सड़कों पर दोपहिया वाहन चलाने वालों की जेबें ढीली होने लगी। सडकें सम्हालने वाले सफेद और खाकी वर्दी वाले चौराहों चौराहों पर डायरियां लेकर बैठ गए और चौराहे से गुजरने वाले इस दोपहिया वाहन को ढाई ढाई सौ का जुर्माना लगाने लगे।
लोग परेशान होने लगे,तो सरकार चलाने वाली फूल छाप पार्टी के नेताओं को लगा कि बात बिगड सकती है। बडी अदालत के कई फरमान है,जो आज तक लागू नहीं करवाए जा सके है। देश की सबसे बडी अदलिया केभी कई फरमान सरकारें लागू नहीं करवा पा रही है। देश की सबसे बडी अदालत ने सुबह छ बजे से पहले लाउड स्पीकर नहीं बजाने का फरमान बरसों पहले से जारी कर रखा है। कई सारे लोग अदलिया के इस फरमान को लागू करवाने के लिए कई बार सरकारों को कह चुके है और कहते रहते है,लेकिन सरकारें इस फरमान को लागू नहीं करवा पा रही। हर शहर के लोग सुबह सुबह तेज आवाज में अजान सुनने के लिए मजबूर है।
लेकिन अब सूबे की बडी अदलिया के फरमान को लेकर हल्ला मचा हुआ है। फूल छाप पार्टी के नेताओं ने जब इंतजामिया के अफसरों पर दबाव बनाया तो अब यह तय हुआ है कि कम से कम दीवाली तक चालान नहीं बनाए जाएंगे। लेकिन बडा सवाल ये है कि छोटे से शहर में छोटी छोटी दूरी तय करने वाले दो पहिया सवार को बार बार हेलमेट उतारना और पहनना पडेगा,जो कि पूरी तरह अव्यावहारिक है। वास्तविकता यह है कि ज्यादातक सडक दुर्घटनाएं हाईïवे पर होती है,जहां दोपहिया और चार पहिया तमाम वाहन बेहद तेज रफ्तार से चलते है। शहर की भीतरी सड़कों पर ना तो वाहन तेज रफ्तार से चल पाते है और ना ही गंभीर दुर्घटनाएं अधिक होती है। हाईवे और शहर की भीतरी सडंकों की तुलना की जाए,तो हाईवे के मुकाबले शहर की भीतरी सडकों पर होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या काफी कम है। ऐसे में हैलमेट की सख्ती हाईवे के लिए अनिवार्य होना चाहिए,जबकि शहर के भीतर इसकी अनिवार्यता ना भी हो तो ये अधिक खतरे की बात नहीं होगी। मजेदार बात यह है कि हेलमेट की सारी सख्ती जब भी होती है,शहरों की भीतरी सडकों पर होती है। हाई वे पर कभी भी किसी को रोका टोका नहीं जाता।