November 26, 2024

Raag Ratlami women Empowerment : सूबे के मामा जी जुटे स्त्री सशक्तिकरण मे लेकिन जिले की पंचायत वाले नए साहब को ये पसन्द नहीं

-तुषार कोठारी

रतलाम। सूबे के मामा जी हर वक्त स्त्री सशक्तिकरण में जुटे रहते है। अभी हाल ही में उन्होने इसी दिशा में एक जबर्दस्त कदम उठाते हुए लाडली बहना योजना भी शुरु की है। मामाजी पूरे सूबे में घूम घूम कर अपनी बहनों के सम्मेलन कर रहे है और बहनों को बता रहे है कि मामा जी को उनकी कितनी चिन्ता है? लेकिन जिले की पंचायत को सम्हालने के लिए हाल ही में आए नए साहब को ये काम बिलकुल पसन्द नहीं। जिले की पंचायत को नए साहब से अमन की आशा थी,लेकिन नए साहब ने आते ही वो झटका देकर दिखाया कि अमन की आशा बदअमनी में बदल गई और जिले की पंचायत में स्त्री सशक्तिकरण का उदाहरण बनाकर लाई गई लाडली बहनों की उम्मीदों पर पानी फिरने लगा।

यूं तो जिले की बडी पचंयात की इमारत कई सालों से खडी है,लेकिन कुछ सालों पहले जिला इंतजामिया की कमान जब एक लाडली बहना के हाथ में थी,तो उन्होने लाडली बहनों के सशक्तिकरण के लिए एक नई मिसाल कायम करने की तैयारी की थी। उन्होने पंचायत की इमारत में खाली पडी जगह बहनों के स्व सहायता समूह को दे दी ताकि वो,उस जगह पर एक केन्टीन चलाएं,लोगों को सस्ती दरों पर चाय नाश्ता उपलब्ध कराएं और खुद को सशक्त करें। सूबे के मामा की मौजूदगी में बहनों के सशक्तिकरण के इस प्रकल्प को चालू किया गया था।

बहनों ने भी उनके इस सपने को बखूबी पूरा किया। बहनें ना सिर्फ सशक्त हुई बल्कि इस इलाके में आने वाले लोगों को भी अच्छा चाय नाश्ता मिलने लगा। इतना ही नहीं बहनों ने भोजन की व्यवस्था भी प्रारंभ कर दी,और लोगों को बिलकुल घर जैसा भोजन भी मिलने लगा। कुल मिलाकर बहनों का स्व सहायता समूह जिले की बडी पंचायत की मदद से बहनों को सशक्त करने की दिशा में अच्छे से चलने लगा।

लेकिन अब बदलाव आ रहा है। जिले की पंचायत में आए नए साहब को आते ही बहनों की ये दुकान आंखों में खटकने लगी। पहले वाले साहब लोगों ने बहनों को जो जो सुविधाएं दी थी,नए साहब ने वो तमाम की तमाम सुविधाएं समाप्त करना शुरु कर दिया। नए साहब ने सबसे पहले तो ये पता किया कि ये बहनें जिस जगह का उपयोग कर रही है,उसका किराया दे रही है या नहीं? उन्हे पता चला कि ये जगह बहनों को निशुल्क दी गई है,तो नए साहब ने फौरन किराया शुरु करनेका फरमान जारी कर दिया। फिर बात आई बिजली कनेक्शन की। पुराने साहब लोगों ने आफिस के कनेक्शन से ही बहनों को बिजली दिलवा दी थी। नए साहब को ये बात भी नहीं जंची। उन्होने फौरन बिजली का कनेक्शन काटने का फरमान जारी कर दिया। बहनों को कहा गया कि वे अपना कनेक्शन अलग से ले। बिजली कट गई तो मजबूरन बहनों ने नया कनेक्शन लिया।

कुल मिलाकर नए साहब को स्री सशक्तिकरण का ये प्रकल्प बिलकुल पसन्द नहीं आया। सूबे के मामा जी भले ही लाडली बहनों के लिए पूरे सूबे में गीत गाते फिर रहे है,लेकिन नए साहब को मामा जी का ये अन्दाज बिलकुल पसन्द नहीं आ रहा है। उन्होने अपने ही महकमे में सशक्त की जा रही लाडली बहनों के सशक्तिकरण पर पानी फेरने की पूरी तैयारी कर ली है। उन्हे लगता है कि बहनों का स्व सहायता समूह व्यावसायिक गतिविधियां चला रहा है,तो उन्हे व्यावसायिक तौर तरीकों से ही चलाया जाना चाहिए। उन्हे लगता है कि उनके दफ्तर की इमारत में अगर बहनों की व्यावसायिक गतिविधि चल रही है तो उनके महकमे को भी इससे कमाई मिलना चाहिए। यही वजह है कि उन्होने किराया शुरु कर दिया है।

दूसरी ओर व्यावसायिक तौर तरीके से अंजान ग्र्रामीण बहनें,अपने समूह पर आए इस अतिरिक्त आर्थिक बोझ के बाद अब इस गतिविधि को चलाने में दिक्कतें महसूस करने लगी हैैं। उन्हे लगने लगा है कि मामा जी का बहनों के लिए गीत गाना महज दिखावा है। मामा जी के राज में उनके सशक्तिकरण के लिए चालू किए गए प्रकल्प पर अफसरी नजर लग गई है और उन्हे इससे बचाने वाला कोई नहीं है। ऐसे में अब बहनें यही सोच रही है कि इस प्रकल्प को बन्द ही कर दिया जाए। आने वाले कुछ दिनों में ये पता चल जाएगा कि स्त्री सशक्तिकरण का ये प्रकल्प चालू रहेगा या नहीं…?

पंजा पार्टी वालों की चमक बढी….

जब से झाबुआ वाले साहब को पंजा पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान की कमान दिए जाने की घोषणा हुई है, पंजा पार्टी के कई नेताओं की आंखों की चमक बढ गई है। नेताओं का गणित है कि झाबुआ वाले साहब को पूरे सूबे के प्रचार अभियान की कमान मिली है तो कम से कम दो चार छ: टिकट देने का हक भी उन्हे मिलेगा ही। वैसे ज्यादातर पंजा पार्टी वाले जानते है कि रतलाम में पंजा पार्टी के लिए उम्मीदें ना के बराबर है,लेकिन टिकट मिलना भी सियासत का एक बडा मुकाम ही होता है। टिकट मिलता है तो पार्टी का फण्ड भी मिलता है और आगे के लिए हैसियत भी बडी हो जाती है। यही वजह है कि पंजा पार्टी में टिकट के दावेदारों की अच्छी तादाद है।

पंजा पार्टी के नेताओं की उम्मीदें भले ही जाग गई हो,अभी ये तय नहीं है कि झाबुआ वाले साहब की असल हैसियत कितनी रहने वाली है? उनका जलवा रतलाम तक भी कायम रहेगा या झाबुआ जिले तक ही सिमट जाएगा? इसका पता आने वाले कुछ दिनों में चलेगा जब झाबुआ वाले साहब की सक्रियता झाबुआ के बाहर कहीं नजर आएगी।

टूट गए सपने…..

रतलामी बाशिन्दे ना जाने कब से ये सपने देख रहे थे कि रतलाम को जिले से संभाग बना दिया जाएगा। कुछ उत्साही लोगों ने तो इस मांग को लेकर व्हाट्सएप ग्रुप भी बना रखे थे। इसी सपने का एक हिस्सा ये भी था कि जावरा जिला बनेगा। रतलामियों को पूरी उम्मीद थी कि मामा जी जावरा को जिला बनाने की घोषणा जल्दी ही करने वाले है। रतलाम को संभाग बनाने के लिए तमाम व्यवस्थाएं पहले से मौजूद भी थी। कलेक्टोरेट की नई ईमारत जब बनी,तो पुरानी इमारत को संभागायुक्त कार्यालय की नजर से देखा जाने लगा था। लोगों को लगता था कि जब भी रतलाम बनेगा संभागायुक्त के लिए कार्यालय के इंतजाम पहले से ही है। रतलाम को संभाग बनना था,तो जावरा को जिला भी बनना था।

लेकिन पिछले दिनों मामाजी के नागदा जाने से रतलाम और जावरा का सपना टूट कर बिखर गया। मामा जी ने नागदा को जिला बनाने की घोषणा कर डाली। अब अगर नागदा को जिला बनना है,तो जावरा का नम्बर कट होना जरुरी है। मजेदार बात ये है कि नागदा को तो बरसों तक तहसील का दर्जा भी नहीं दिया गया थी। बडा शहर होने के बावजूद नागदा तहसील की बजाय टप्पा ही बना रहा था। बाद में इसे तहसील बनाया गया। तहसील बना तो अब जिला बनाने की तैयारियां होने लगी है।

रतलाम और जावरा के सपने टूटने के साथ ताल आलोट को भी बडा झटका लगा है। ताल को अब रतलाम जिले से निकालकर नागदा जिले में जोडने की तैयारियां की जा रही है। ताल के लोग इससे भडके हुए है। वे भी जावरा को जिला बनने के ख्वाब देख रहे थे और उन्हे लगता था कि जब जावरा जिला बनेगा तो जिला मुख्यालय उनके नजदीक होगा। लेकिन जब उन्हे पता चला कि उन्हे तो नागदा के दहेज में दिया जा रहा है,तो ताल के लोग भडके हुए है। नागदा में मिलाए जाने के विरोध में ताल बन्द हो चुका है और आन्दोलन अभी आगे भी चलने वाला है।

ना सिर्फ ताल बल्कि जावरा और रतलाम के बाशिन्दों को भी अब सक्रिय हो जाना चाहिए। नागदा को जिला बनाने की अभी सिर्फ घोषणा हुई है,अभी जिला बन नहीं गया है। रतलाम और जावरा को ताल के साथ मिलकर आन्दोलन करना चाहिए ताकि रतलाम संभाग और जावरा जिला बन सके ताकि ताल नागदा में जाने से बच सके।

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