Raag Ratlami Bus Operator : “मामा जी” का रतलाम आना,मिलेगी करोडो की सौगाते;शहर में खुशी लेकिन बस वालों में मातम का माहौल
-तुषार कोठारी
रतलाम। सूबे के मामा जी रतलाम आ रहे है। शहर को दो ढाई सौ करोड की सौगातें मिलने वाली है। पूरे शहर में खुशी का महौल है। मामा का इंतजार है। लेकिन शहर के बस वालों में मातम का माहौल छाया हुआ है। अब बताईए मामा जी के आने से बस वालों के मातम का क्या सम्बन्ध है। बस यही सवाल समझने का है कि बस वाले मामा जी के आने से मातम क्यो मना रहे है?
वैसे तो बस वाले भी इसी शहर के बाशिन्दे है,इसलिए उन्हे मामाजी की सौगातों से खुश होना चाहिए लेकिन जब जब मामा जी का बुलावा आता है या जब जब मामा जी आते है बस वाले मातम मनाने लगते है। ऐसा क्यो होता है? इस लाख टके के सवाल का जवाब महू रोड पर शहर से करीब पाच किमी दूर गाडियों वाले महकमे के दफ्तर में छुपा है।
बस,ट्रक,कार और दोपहिया वाहनों वाले इस महकमे के साहब की कारगुजारियों से बस वालों का जीना हराम हो रखा है। वैसे तो बस वाले ही नहीं,ट्रक,ट्राले और टैक्सियां चलाने वालों की भी साहब ने जान ले ही रखी है,लेकिन उनका सबसे ज्यादा कहर बस वालों पर ही टूटता है।
इधर मामा जी के आने की खबर पक्की हुई,उधर गाडियों वाले महकमे को फरमान दिया गया कि मामा जी के प्रोग्राम के लिए जिले भर के लोगों को रतलाम लाना है। लोगों को रतलाम लाने के लिए बसों की जरुरत है,इसलिए साहब ने शहर के तमाम बस वालों की मीटींग बुलाई। साहब ने बस वालों को तान दिया कि मामा जी आ रहे है,इसलिए सबको अपनी बसें लगानी पडेगी।
बसें लगाने से बस वालों को वैसे तो कोई एतराज नहीं होता,लेकिन गाडियों वाले महकमे के साहब के तौर तरीकों से बस वालों को भारी एतराज है। “मामा जी” जब भी किसी भी प्रोग्राम के लिए बसें लगवाते है तो बसों का किराया बाकायदा सरकारी खजाने से महकमे के पास भिजवा देते है। बस वालों की समस्या ये है कि बस वालों के हक के किराये पर साहब कुण्डली मार देते है। सरकार बस वालों के लिए पर्याप्त किराया भेजती है,लेकिन साहब अपनी दादागिरी के चलते इसमें से आधे का कट लगा देते है।
इस बार तो साहब ने हद ही कर दी। उन्होने फरमान सुना दिया कि चूंकि बसें जिले के जिले में ही चलेगी,इसलिए किराया किलोमीटर के हिसाब से देंगे। साहब का फरमान सुनकर बस वाले सन्न रह गए। छोटी दूरी के सफर में प्रति किलोमीटर के हिसाब से अगर उनकी बस लगेगी,तो उन्हे जबर्दस्त नुकसान होगा। बस बेहद कम दूरी का सफर करेगी,तो किराये की रकम भी छोटी होगी,लेकिन दूसरी तरफ सारा दिन बस खडी रहेगी और लाइन पर गाडी नहीं चलने का नुकसान भी बस वाले को ही झेलना पडेगा।
बस वालों की मीटींग में जब महकमे के साहब ने ये फरमान सुनाया,तो सारे के सारे सन्न रह गए। फिर डरते डरते एक ने कहा कि मालिक इससे तो हमें जबर्दस्त नुकसान होगा,एक बोला तो फिर कुछ और भी बोले। तब ताहब ने दरियादिली दिखाते हुए एक तय रकम देने का एलान सुना दिया। हांलाकि ये तय रकम भी सरकार की रकम से काफी कम होगी। सरकार की दी हुई रकम साहब के काम आएगी और साहब इसमे कट लगाकर बस वालों को दे देंगे।
बस वालों के मातम की कहानी सिर्फ इतनी ही नहीं है। साहब ने तय रकम देने का एलान तो कर दिया,लेकिन बस वाले जानते है कि ये रकम उन्हे कब मिलेगी कोई नहीं बता सकता। साहब का मन हुआ तो दो चार महीनों में मिल जाएगी,मन नहीं हुआ तो रकम के लिए सिर्फ इन्तजार ही करना पडेगा।
बस वालों को पांच साल पहले भोपाल जाने के लिए लगाई गई बसों का किराया मिलने का आज तक इन्तजार है। सरकार तो ये रकम ना जाने कब की दे चुकी है,लेकिन बस वालों तक ये रकम आज तक नहीं पंहुची है।
बस वालों के दुखडें यही खत्म नहीं होते। साहब का आतंक इतना जबर्दस्त है कि कोई वस वाला कुछ बोल भी नहीं सकता। साहब तो चूंकि साहब है,इसलिए मनमर्जी के मालिक है। पिछले दिनों साहब लम्बी छुट्टी पर थे। साहब की गैरमौजूदगी में बसों के फिटनेस जारी करने का काम महकमे ने बन्द कर दिया था। बस वालों की दिक्कत ये थी कि बगैर फिटनेस के गाडी चलाना उनके लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता था। कायदे से तो साहब की गैरमौजूदगी में किसी दूसरे साहब को जरुरी कामों के लिए चार्ज दिया जाता है। लेकिन ये वाले साहब किसी को चार्ज भी नहीं देते,क्योकि अगर चार्ज देंगे तो बस वालों से मिलने वाली फीस का भी बंटवारा करना पडेगा। बहरहाल इस बात का रोना किसी ने सीएम हेल्पलाइन पर सुना दिया।
सीम हेल्पलाइन पर बस वालों ने अपना दुखडा क्या सुनाया,भूचाल सा आ गया। साहब ने ताबडतोड बस वालों को बुलाया और इतना दम दिया कि बस वालों का दम ही निकल गया। आखिरकार उन्हे अपनी शिकायत वापस लेना पडी।
ुकुल मिलाकर मामा जी आ रहे है। पूरा शहर खुश है। केवल बस वाले मातम मना रहे है। मामा जी के आने के वक्त जब हर कोई मामा जी के स्वागत में लगा होगा और मामा जी से सौगातें पाकर खुश होगा,तब बस वालें अपने नुकसान की गिनती लगाकर खून के आंसू पी रहे होंगे।
शहर को मिलेगी करोडों की सौगातें
हफ्ते के आखरी दिन मामा जी का आना तय हुआ है। मामा जी आएंगे तो शहर को करोडों की सौगातें देंगे। मामा जी अपने च घण्टे के छोटे से दौरे में जिला अस्पताल की नई ईमारत,गोल्ड़ काम्प्लेक्स और आडिटोरियम जैसी बडी बडी योजनाओं की आधारशिला रखेंगे। अच्छी बात ये है कि आजकल जिन कामों की आधारशिला रखी जाती है,उनके उद्घाटन पïट्टों का अनावरण भी तय समय पर हो जाता है। कुछ दशकों पहले तब पंजा पार्टी का राज हुआ करता था,तब आधारशिलाओं की बाढ आ जाती थी,लेकिन उद्घाटन पïट्ट लग ही नहीं पाते थे। तो कुल मिलाकर शहर के बाशिन्दों के लिए अच्छी अच्छी सौगातें आ रही है। शहर वाले तो खुश है,लेकिन फूल छाप पार्टी के कई नेता बेहद मायूस है। जिन जिन नेताओं ने आरडीए और जिले के मुखिया जैसी कुर्सियों पर नजर गडा रखी है,उन्हे सौगातें मिलने की कोई खुशी नहीं है। उन्हे केवल एक बात का दुख है कि चुनाव नजदीक आते जा रहे है और मामा जी इन दमदार कुर्सियों पर बैठने वालों का कोई फैसला ही नहीं कर रहे है।
नए कप्तान,नए अन्दाज
वर्दी वालों के नए कप्तान आए तो महकमे में नए अन्दाज दिखाई देने लगे है। नए कप्तान ने आते ही सक्रियता भी दिखा दी। किसी को ऐसी उम्मीद नहीं थी,मगर उन्होने रातोरात न सिर्फ चार्ज भी ले लिया बल्कि कामकाज भी शुरु कर दिया। साहब रात को ही थानों का मुआयना करने निकल पडे। उन्होने दो थानों पर अपनी हाजरी दर्ज करवाई। इतना ही नहीं नए कप्तान ने तमाम दारोगाओं का फरमान सुना दिया कि अब सब के सब शाम से लेकर आधी रात तक सड़कों पर पैदल गश्त करेंगे। लोगों को अब वर्दी वालों की मौजूदगी का एहसास होने लगा है। वरना कुछ दिनों पहले तक तो ऐसा लगता था,जैसे वर्दी वाले कहीं है ही नहीं।
तो,नए कप्तान के आने के बाद अब वर्दी वाले सड़कों पर दिखाई देने लगे है और उनके सडकों पर दिखाई देने के असर भी दिखाई दे रहे है। जिलाबदर किए जाने के बावजूद जिले में बैखौफ घूम रहे कुछ बदमाशों को सींखचों के पीछे भेजा गया है,तो कुछ और भी बदमाश भी इसी सक्रियता के चलते गिरफ्त में आए है।