November 18, 2024

Raag Ratlami Jihad : जिले में जोरों पर है जेहादी जहालत,वर्दी वालों के लिए जरुरी है ज्यादा सतर्कता / बेमतलब होकर रह गए गणतंत्र दिवस के ईनाम

-तुषार कोठारी

रतलाम। जेहादी जहालत के मामले जिले में बढते जा रहे है। पहले रतलाम में सूफ्फा वाले जेहादी पकडे गए थे। अब गांवों में भी ये जहालत फैलती दिखाई दे रही है। पहले सुराना में विवाद,फिर दिवेल में मन्दिर में घुसकर तोडफोड और चिकलाना में जुलूस पर पथराव। लगता है गांव गांव में पाकिस्तान पनपने लगे है। ऐसे में बेहद जरुरी है कि वर्दी वाले पहले से ज्यादा सतर्क रहें।

सुराना में कुछ महीनों पहले यूपी के कैराना जैसी कहानी सामने आई थी। हिन्दूओं के सामने पलायन का खतरा मण्डराने लगा था। जिला इंतजामिया और वर्दी वालों ने सख्ती दिखाई। एक दो जेहादियों के अवैध अतिक्रमण ढहाए गए,तब कहीं जाकर स्थिति काबू में आ पाई थी।

लेकिन गणतंत्र दिवस वाला दिन फिर से डरावनी खबरें लेकर आया। पास के गांव दिवेल में कुछ दुस्साहसी जेहादी मन्दिर में घुस आए और इतना ही नहीं तोडफोड के साथ साथ पुजारी के साथ मन्दिर के भीतर मारपीट की गई। कहानी बिलकुल वैसी थी,जैसी पाकिस्तानी गांवों से सामने आती है। मन्दिर जैसे पवित्र स्थल पर घुसकर जहालत फैलाने के मामले पाकिस्तान बांग्लादेश जैसी जगहों से सुनने में आते है,जहां हिन्दुओं के लिए जीवन जीना खतरे से खाली नहीं है। लेकिन ऐसे दृश्य भारत मे और वो भी रतलाम जैसी जगहों पर देखने को मिल सकते है,ये कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था। लेकिन ऐसा हुआ। मर्यादा पुरुषोत्तम के मन्दिर में जाकर मर्यादा तार तार कर दी गई।

गणतंत्र दिवस वाली रात को हुए इस हंगामें के बाद आसपास के गांवों के लोग एकत्रित हो गए। जिला इंतजामिया के बडे साहब को जैसे ही खबर मिली वे,वर्दी वालों के कप्तान को साथ लेकर भारी अमले के साथ दिवेल जा पंहुचे। उन्होने फौरन हालात को काबू में किया। मन्दिर में घुसने वाले जाहिलों को दोपहर होते होते धर लिया गया। फूल छाप के माननीय भी गांव में पंहुचे। उन्होने भी गांववालों से मुलाकात कर हालात का जायजा लिया।

मौके पर जेहादियों के अतिक्रमण नेस्तनाबूद करने की घोषणाएं भी की गई। लेकिन बाद में मामला शान्त हो गया। यूपी के योगी वाला फार्मूला लागू करने में इंतजामिया झिझक सा गया। जबकि इनसे निपटने के लिए वही फार्मूला सबसे बेहतर है।

लेकिन मामला सिर्फ दिवेल का ही नहीं था। चिकलाना में भी जेहादियों ने अपनी जिहालत का प्रदर्शन किया। धार्मिक जुलूस में बजाए जा रहे भजनों को रोकने के नाम पर न सिर्फ विवाद किया गया बल्कि पथराव भी किया गया।

जाहिर है जिले में जेहादी जहालत जोरों पर है। सूफ्फा के आंतकियों की एनआईए द्वारा की गई धरपकड से ये साफ हो चुका है कि हालात गंभीर होते जा रहे है। अब भी ना जाने कितने जेहादी जिले में सक्रिय है। वर्दी वालों को इनका पता तभी लगता है जब ये कोई हरकत करते है,वरना जिले को आग में झोंकने की इनकी तैयारियां लगातार चल रही होती है। जहां कहीं मौका मिलता है,ये अपना कमाल दिखा ही देते है।

वैसे भी इन दिनों बेतरतीब दाढी,जालीदार गोल टोपी,नीचा कुर्ता और उंचा पायजामा वाले युवा कुछ ज्यादा ही दिखाई देने लगे है। इस तरह के ज्यादातर लोगों के दिमाग में जेहादी जहालत ही पनप रही होती है,जो मौका मिलने पर सामने आ जाती है। ऐसे में बेहद जरुरी है कि इन पर तीखी नजर रखी जाए। इस तरह के लोगों में जमात के नाम पर बाहर से आने वालों की तादाद भी बढ रही है। बाहर से आने वाले ये जमाती लोकल लोगों को जेहाद की राह पर ले जाने की कोशिशों में ही लगे रहते है। अगर वक्त रहते इन पर अंकुश ना लगाया गया तो किसी भी वक्त कोई बडा हादसा पेश आ सकता है।

बेमतलब हो गए पुरस्कार……

गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम की आखरी कडी का तमाम सरकारी कारिन्दों को इन्तजार रहता है,क्योकि आखिर में पुरस्कार बांटे जाते है,और जिस कारिन्दे को इनाम मिलता है,उसके लिए ये बडी खुशी का मौका होता है। लेकिन इस बार के ईनामों ने कारिन्दों को बेहद निराश कर दिया। जिला इंतजामिया के अफसरों ने इस बार इतने ज्यादा ईनाम बांटे कि उसका महत्व ही खत्म हो गया। वैसे ये ईनाम उत्कृष्ट कार्य के लिए दिए जाते है,लेकिन जब गधे घोडे का फर्क ही समाप्त हो जाए तो ईनाम का क्या फायदा। पोलोग्र्राउण्ड पर मौजूद लोग उस वक्त हैरान रह गए,जब पुरस्कारों की घोषणा शुरु हुई। एक एक विभाग से पांच पांच या इससे भी ज्यादा पुरस्कार घोषित किए जा रहे थे। इतनी ज्यादा तादाद में पुरस्कार थे,तो गडबडियां होना भी जायज था। किसी का प्रमाणपत्र किसी और को दिया जा रहा था। मंत्री जी भी पुरस्कार बांट बांट कर परेशान हुए जा रहे थे। पक्की गिनती का तो पता नहीं लेकिन अंदाजा है कि कम से कम तीन सौ पुरस्कार दिए गए। इनमें कई ऐसे लोग भी ईनाम ले गए,जिन्हे लापरवाही और ढीले ढाले रवैये के लिए सजाएं मिलना चाहिए थी। शहर की तहसील सम्हालने वाली मैडम से वहां जाने वाला हर कोई इंसान परेशान है। लेकिन इन मैडम को भी उत्कृष्ट कार्य का ईनाम दे दिया गया। ऐसे और भी कई उदाहरण है। ऐसे हालात में पुरस्कार बेमतलब होकर रह गए।

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