December 25, 2024

Raag Ratlami Groupism : फूलछाप के नेताओं ‘पर-भारी’ रहे ‘प्रभारी’,श्रीमंत के खेमे वालो को दी तरजीह,फूलछाप में भी शुरु हो गई खेमेबाजी

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-तुषार कोठारी

तलाम। जिलेके प्रभारी मंत्री जिले के दौरे पर आए,तो साफ साफ जता गए कि वो श्रीमंत के खेमे के है,इसलिए श्रीमंत से जुडे लोगों की पूछपरख ज्यादा करेंगे। श्रीमंत के साथ साथ पंजा पार्टी को छोडकर फूलछाप में आए नेताओं को भी पहली बार अपनी हैसियत बढी हुई महसूस हुई। फूलछाप के पुराने नेता मायूस भी नजर आए। बिना खेमो वाली फूलछाप पार्टी में अब श्रीमंत का खेमा अधिकारिक तौर पर बन गया है।

जब श्रीमंत फूलछाप में आए थे,तो श्रीमंत के खेमे वाले लोकल नेता भी फूलछाप में शामिल हो गए थे। शुरुआत में फूलछाप वालों ने इन्हे ज्यादा महत्व नहीं दिया था। श्रीमंत समर्थक भी धैर्य धरे बैठे थे। लेकिन धीरे धीरे श्रीमंत का असर नजर आने लगा। फूलछाप की प्रदेश कार्यसमिति में जावरा वाले दरबार और रतलाम के युवा नेता का नाम आने के बाद रतलामी फूलछाप वालों को जोर का झटका भी लगा। रतलाम के फूलछाप वालों को रतलाम के युवा नेता के प्रदेश कार्यसमिति में पंहुच जाने की उम्मीद बिलकुल नहीं थी। रतलाम के युवा नेता,जब तक पंजा पार्टी में थे उनकी हैसियत पूर्व पार्षद से ज्यादा की नहीं थी। युवा नेता ने पंजा पार्टी के कल्चर को समझते हुए श्रीमंत का दामन थाम कर रखा था,कि जब कभी भी श्रीमंत का मौका लगेगा,उनकी पूछ परख बढ जाएगी। ऐसा ही हुआ भी। लेकिन ये काम पंजा पार्टी में ना होकर फूलछाप में हुआ। श्रीमंत अपने पूरे लवाजमे के साथ फूलछाप में आए और फूलछाप की सरकार भी बन गई।

जैसे ही मंत्रियों को जिले के प्रभार दिए गए,रतलाम श्रीमंत के खेमे वाले मंत्री जी को मिल गया। बस श्रींमंत समर्थकों के चेहरे खिल गए। उन्हे पता था कि अब उनके अच्छे दिन आ गए। उनकी उम्मीदें जल्दी ही सच साबित हो गई। प्रभारी मंत्री आए तो फूलछाप पर भारी पड गए। उन्होने श्रीमंत समर्थकों को खास तरजीह दी। सिर्फ तरजीह ही नहीं दी,बल्कि साफ साफ जता भी दिया,कि उनके लिए श्रीमंत समर्थक पहले है,फूल छाप वाले बाद में। डेढ दिन के दौरे में उन्होने श्रीमंत समर्थक नेताओं को पूरे समय अपने साथ रखा। सांसद विधायक,जिलाध्यक्ष को जितनी तवज्जोह दी,उससे कम अपने साथियों को भी नहीं दी। पे्रस कान्फ्रेन्स हो या सरकारी मीटींग युवा नेता हर जगह उनके साथ ही नजर आए।

इंतजामिया के अफसरों को भी साफ जाहिर हो गया कि प्रभारी पर किसका असर ज्यादा है। जाहिर है इंतजामिया भी अब प्रभारी के खास लोगों को खास नजर से देखेगा। इसका अहसास फूलछाप के नेताओं को भी है। प्रभारी के दौरे के बाद फूलछाप के कई नेता यह कहते हुए भी सुने गए कि अब प्रभारी से कोई काम होगा तो इन नए नवेले नेताओं की मदद लेना पडेगी। फूलछाप में ये खेमेबाजी आगे क्या असर दिखाएगी? इसका जवाब आने वाले वक्त में ही मिलेगा।

इंतजामिया में सख्ती

इतंजामिया के बडे साहब ने अब सख्ती दिखाना शुरु कर दिया है। बच्चों और औरतों की देखभाल वाले महकमे के चार अफसरों को आगंनवाडियों की बदइंतजामी के चलते नोटिस जारी कर दिए गए है। आंगनवाडियों की बदइंतजामी बेहद पुराना मर्ज है। महकमे में नीचे से उपर तक कागजी खानापूर्ति पर ही ध्यान दिया जाता है,जबकि आंगवाडियों के लिए मिलने वाला पोषण आहार बाजारों में बिक जाता है। बडे साहब की सख्ती से उम्मीद बन्धी है कि इतंजामों में सुधार आएगा। साहब की देखादेखी जिला पंचायत वाली मैडम जी भी फार्म में नजर आ रही है। मैडम जी ने लापरवाही और भ्रष्टाचार करने वाले दो पंचायत सचिवों को फ्री कर दिया है। इंतजामिया में सख्ती का ये सिलसिला कायम रहा तो जनता को इसका फायदा जरुर मिलेगा।

ढा सुरूर उतरी वर्दी

वर्दी वाले महकमे के बाबा को सुरूर चढा तो ऐसा चढा कि बाबा ने बडे साहब को ही खुदकुशी की धमकी दे डाली। बडे साहब ने इस चढे हुए सुरूर को उतारने के लिए सीधे वर्दी ही उतरवा दी। कोई जमाना था कि कुछ वर्दी वाले वर्दी पहने बगैर पूरे शहर में धूम मचाए फिरते थे। कभी क्राइम ब्रान्च के नाम से कभी किसी स्क्वाड के नाम से ये वर्दी वाले बिना वर्दी पहने छाए रहते थे। धीरे धीरे इन लोगों की वर्दी पहनने की आदत ही छूट गई। लेकिन जब से बडे साहब आए,वर्दी पहनने की आदत छोड चुके लोगों को वर्दी पहनना पड गई। साहब ने इन सब सूरमाओं को शहर से हटाकर दूर दराज के थानों पर तैनात कर दिया। शहर से दूर जाने के बाद भी इन सूरमाओं की आदतें नहीं बदली। वसूली की शिकायत पर जब साहब ने मुअत्तिली का फरमान जारी किया,तो इससे नाराज जवान ने सीधे खुदकुशी की धमकी दे डाली। नतीजा वर्दी उतरने के रुप में सामने आया। महकमे में इस खबर का जबर्दस्त असर है और वर्दीवाले जवान सोच रहे है कि साहब के रहते गडबडियों से जितने दूर रहेंगे उतना ही अच्छा।

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