May 10, 2024

Raag Ratlami Drug Mafia : जेहादी आतंक से लेकर ड्रग माफिया तक सारे खतरे शहर में है मौजूद, लेकिन वर्दी वालों का नज़र नहीं आता कोई वजूद

-तुषार कोठारी

रतलाम। हमारा पूरा इलाका जबर्दस्त खतरों से घिरा हुआ है। यहां जेहादी आतंकियों की पनाहगाहें भी है और ड्रग माफियाओं के अड्डे भी। गली गली में ड्रग्स का कारोबार हो रहा है और ना जाने कितने जेहादी आंतंकी बेखौफ यहां पनप रहे है। लेकिन जिनपर इन्हे रोकने की जिम्मेदारी है उन वर्दी वालों को इसकी कोई चिन्ता नहीं है। शहर के बाशिन्दे खुद सक्रिय है। वर्दी वालों को नशे के कारोबारियों का ना सिर्फ सुराग भी देते है,बल्कि नशेडियों को पकड कर वर्दी वालों के हवाले भी कर देते है। मगर वर्दी वाले ऐसे मामले को भी बदल देने की कलाकारी दिखा देते है। ड्ग्स जहरीली शराब में बदल जाती है और मुलजिम चार की बजाय दो ही रह जाते है। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि कई सारे खतरे मौजूद है और ऐसा लगता है जैसे वर्दी वालों का कोई वजूद ही नहीं रह गया है।

अभी कुछ ही वक्त गुजरा है जब रतलाम का नाम पूरे हिन्दुस्तान में छाया हुआ था। यहां के पंाच जेहादी राजस्थान के वर्दी वालों ने विस्फोटकों के साथ पकडे थे। रतलाम के वर्दी वालों को उस दिन पता चला था कि शहर में अल सूफा जैसी आतंकी तंजीम फल फूल रही है। वरना तो बेचारे रतलामी वर्दी वालों को तो कुछ पता होता ही नहीं है। अल सूफ्फा का मामला आया तो एनआईए और ना जाने कौन कौन सी एजेंसियों के पांव रतलाम में पडे। एजंसियों ने रतलाम में दुनिया भर की खोजबीन की। मगर रतलामी वर्दी वालों को कुछ भी पता नहीं चला।

अब नई खबर ड्रग माफियाओं से जुडी है। बेचारे रतलामी वर्दी वालों को इसके बारे में भी कुछ पता नहीं है। जालीदार गोल टोपी वालों के मोहल्ले के लोगों ने नशे का कारोबार करने वाले चार नशेडियों को नशे की पुडियाओं के साथ पकडा और वर्दी वालों को बुलाकर उनके सुपुर्द कर दिया। इस पूरे वाकये का विडीयो भी मोबाइल मोबाइल फैल गया। लेकिन वर्दी वालों की दीदादिलेरी देखिए कि विडीयो में साफ नजर आ रहे ड्रग्स के पैकेट उन्हे नजर नहीं आए। उन्हे इन चार नशेडियों के पास ड्रग्स की बजाय जहरीली शराब मिल गई। नशेडी चार थे मगर उनमें से एक तो हाल में सडक नाली वाला चुनाव जीते एक नेताजी के साहबजादे थे,इसलिए उनकी मामले से छुïट्टी हो गई। इसके अलावा एक और नशेडी के कनेक्शन भी मजबूत थे। इसलिए लोगों के पकडे हुए चार में से वर्दी वालों को दो ही समझ में आए। नतीजा ये हुआ कि वर्दी वालों को दो बन्दों से जहरीली शराब मिल गई। ड्रग्स और दो बन्दे वर्दी वालों की कलाकारी से गायब हो गए।

कुल मिलाकर खतरे कई तरह के है। बडे मजे में फल फूल रहे है। चोरों की भी मौज है। रोजाना ताले चटक रहे है,लोगों की मेहनत की कमाई पर डाका डाला जा रहा है। लेकिन वर्दी वाले कलाकारी करने में व्यस्त है। लोग सवाल पूछ रहे है कि ड्रग्स की जगह जहरीली शराब और चोर की बजाय दो आरोपी कैसे हो गए? सवाल ये भी है कि कितने जेहादी कहां कहा मौजूद है? चोरी करने वालों को क्या पता चल गया है कि आजकल वर्दी वाले कुछ भी कर पाने की हालत में नहीं है इसलिए आसपास और दूर दराज के चोर उठाईगिरों ने भी यहां आकर डेरा डाल दिया है?

सवाल तो ढेर सारे है। लेकिन लोगों के पास इसके जबाव भी है। जानने वाले बताते है कि शहर की कई गलियों में बेहिचक ड्रग्स बेचे जा रहे है। वर्दी वालों को सब पता है लेकिन कारोबारियों से मिलने वाली भारी भरकम उजरत उनकी आंखे बन्द कर देती है। यही वजह थी कि ड्रग्स के विडीयो वायरल होने के बाद भी मामला आबकारी का बन गया नारकोटिक्स का नहीं बना। कहने वाले तो यहां तक कह रहे है कि वर्दी वालों के महकमे में भंग उपर से नीचे तक घुल चुकी है। ड्रग्स को जहरीली शराब बनाने की कलाकारी में उपर से ही इशारा किया गया था। चोरी की वारदातों पर वर्दी वालों को कोई चिन्ता ही नहीं है। सारी चिन्ताएं गड्डियां गिनने की है। यही हाल रहा तो इस शहर के बाशिन्दों का भगवान ही मालिक है।

निवेश का विरोध

आन्दोलनजीवी,अराजकता वादी,अनार्किस्ट अब बडे शहरों से चलते चलते रतलाम और सैलाना बाजना तक आ पंहुचे है। सरकार कोई भी अच्छा काम करे उसका विरोध करना और विकास की योजनाओं को किसी ना किसी तरीके से रोकना ही उनका लक्ष्य होता है। वनवासी क्षेत्रों से हजारों लोग मजदूरी के लिए हर साल पलायन करते है। लम्बे समय से मांग उठती रही है कि वनवासी इलाकों का औद्योगिकरण किया जाए ताकि मजदूरी के लिए किसी को पलायन ना करना पडे। अब जब ठीक यही मौका आ रहा है कि एटलेन प्रोजेक्ट के साथ निवेश क्षेत्र विकसित किया जाना है,तो आन्दोलनजीवी,अराजकतावादी और अनार्किस्ट नए नए नाम और बैनर लेकर विरोध के लिए खडे हो रहे है। हाल ही में जिला पंचायत चुनाव मे जीत हासिल कर बडी पार्टियों को झटका देने वाले युवा नेता अगर आन्दोलनजीवी बन जाएंगे तो ना सिर्फ खुद का बल्कि पूरे समाज का भारी नुकसान करेंगे। हांलाकि वनवासियों में से बडे हिस्से को ये बात समझ में आ रही है कि निवेश क्षेत्र बनना विकास की राह खोलना है। अब देखना ये है कि विकास का विरोध करने वाले आन्दोलनजीवी कितना समर्थन जुटा पाते है?

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