November 22, 2024

Raag Ratlami Congress – जनाक्रोश रैली में धराशायी हुए “दादा” से लेकर “आपा” तक पंजा पार्टी के तमाम बडे नेता,नहीं मिली मंच पर जगह

-तुषार कोठारी

रतलाम। आमतौर पर ऐसा होता नहीं। पंजा पार्टी में तो कभी भी नहीं। पंजा पार्टी का कोई प्रोग्राम हो और मंच पर भीड ना हो,ये तो संभव ही नहीं। लेकिन इस बार शहर के तमाम बडे बडे दिग्गज,”दादा” से लेकर “आपा” तक मंच पर चढने को तरस गए। तमाम बडे नेता चेहरे लटकाकर मंच के सामने आम कार्यकर्ताओं के साथ बैठे रहे।

लगभग अनाथ हो चुकी पंजा पार्टी के सूबे वाले “नाथ” आए,तो बरसों बाद पंजा पार्टी का कोई बडा आयोजन देखने को मिला। वरना पिछले कई सालों से तो शहर के लोग पंजा पार्टी के आयोजन देखने को तरसने लगे थे। पोलोग्राऊंड के आधे मैदान पर पंजा पार्टी ने अपना मजमा जमाया। मैदान पर ताने गए शामियाने के भीतर जमाई गई कुर्सियां लगभग भर चुकी थी और पंजा पार्टी के नेता इसे देखकर राहत की सांस ले रहे थे,कि कम से कम अब फ्लाप शो का ठप्पा तो नहीं लगेगा।

वैसे तो पंजा पार्टी का ये प्रोग्राम बढती हुई महंगाई के खिलाफ जन आक्रोश दिखाने के लिए रखा गया था। इसके साथ ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के अभियान की शुरुआत भी इसी प्रोग्राम के जरिये किए जाने की घोषणा की गई थी।

लेकिन महंगाई जैसे मुद्दे पर भी जनता पंजा पार्टी का साथ देने को राजी नहीं दिखाई देती। ये तो भला हो गुड्डू भैय्या का,जो आदिवासी अंचल से कई सारी बसें भर कर ले आए थे। वरना पाण्डाल खाली ही रह जाता। थोडा दम जावरा और आलोट वालो ने भी लगाया था। लेकिन जिस रतलाम में महंगाई का विरोध किया जा रहा था,उस रतलाम के करीब 151 लोग ही मौजूद थे। इन 151 में से 131 तो पंजा पार्टी की शहर इकाई के पदाधिकारी है,और बाकी संख्या खबरचियों ने कर दी थी। इसके अलावा तो रतलाम के आम लोगों ने महंगाई को लेकर कोई गुस्सा नहीं जताया।

शायद यही वजह थी कि इस बार पंजा पार्टी का मंच इस बार बेहद अनोखा था। आमतौर पर पंजा पार्टी के मंच पर इतनी भीड होती है कि कई बार तो मंच ही टूट जाते है। लेकिन इस बार मंच पर चढने वालों के नाम पहले से तय कर दिए गए थे। शहर के कई बडे बडे नेताओं को मंच पर जगह नहीं मिली। प्रोग्राम रतलाम में हो रहा था,लेकिन मंच पर रतलाम के केवल एक नेता को जगह मिली थी। पंजा पार्टी के शहर के मुखिया को छोडकर तमाम दिग्गज बेचारे मंच के नीचे थे। “दादा” हो या “आपा”,सब के सब मंच के नीचे थे। हाल ही में किसान नेता के रुप में उभरे एक नेताजी ने मंच पर चढने की कोशिश की,तो नौबत हाथापाई तक जा पंहुची। किसी जमाने में किसान नेता की मोटर साइकिल पर पप्पू खुद बैठ चुके है। तभी से किसान नेता बडे नेताओं में शामिल हो गए थे। लेकिन इस प्रोग्राम में उनके बडप्पन की कोई कदर नहीं की गई। पंजा पार्टी के “नाथ” मंच पर पंहुचे,तो किसान नेता ने मंच पर चढने की कोशिश की। लेकिन उन्हो रोक दिया गया। इसके बाद किसान नेता ने नया पैैंतरा आजमाया। उन्होने प्याज और लहसुन की एक माला हाथ में ली और अपने नेता को पहनाने के बहाने से फिर मंच पर चढ गए। लेकिन इस बार उन्हे धकिया कर मंच से उतार दिया गया। नौबत मारपीट तक पंहचने ही वाली थी कि किसान नेता खुद ही मंच से उतर गए।

भाषण देने का मौका भी गिने चुने नेताओं को ही मिला। सैलाना और आलोट के “माननीयों” के अलावा आसपास के जिलों के “माननीयों” ने भी भाषण दिए। इस बार की एक खासियत ये भी रही कि किसी वक्त रतलाम के एकछत्र मालिक रहे झाबुआ वाले नेताजी को इस बार कोई खास तवज्जोह नहीं दी गई। झाबुआ वाले साहब के डाक्टर पुत्र चूंकि पंजा पार्टी की युवा ईकाई के सूबे के मुखिया है इसलिए वो मंच पर मौजूद थे,लेकिन दोनो ही पिता पुत्र का जलवा इस बार न के बराबर था। नेतागिरी का असर है कि झाबुआ वाले साहब अपने भाषण में अपने ही पुत्र को भैय्या कहकर संबोधित कर रहे थे।

पंजा पार्टी के इस आयोजन में जालीदार गोलटोपी वालो ने भी दूरी बनाकर रखी थी। गोल टोपी वाले कुछ नेता प्रोग्राम में पंहुचे जरुर थे,लेकिन नेताजी को हार पहनाकर चलते बने।

रतलाम में की जनाक्रोश रैली में पंजा पार्टी के “नाथ” ने चुनावी अभियान की शुरुआत तो कर दी,लेकिन इस शुरुआत ने पंजा पार्टी के भविष्य की रुपरेखा भी सबके सामने साफ कर दी। पंजा पार्टी के इस आयोजन से यह साफ हो गया कि शहर में अब पंजा पार्टी की कोई पूछ परख नहीं बची है। गोल टोपी वाले भी पंजा पार्टी से खुश नहीं है। पंजा पार्टी का अब जो कुछ असर बचा है वह सैलाना में बचा है। आलोट में पंजा पार्टी के “माननीय” है लेकिन आलोट मे पंजा पार्टी की हालत खस्ता है। जावरा की पंजा पार्टी जैसे तैसे दम भर रही है। रतलाम के बडे बडे दिग्गज अब बेअसर हो चुके है। “दादा” हो या “आपा”,पंजा पार्टी के तमाम नेता अपना आधार खोते जा रहे है।

पण्डित जी की कथा-नेताओं को मिला मौका…..

सीहोर वाले पण्डित जी की कथा से जहां श्रद्धालुओं को शिवपुराण सुनने का सौभाग्य मिला वहीं कई सारे नेताओं को अपनी नेतागिरी चमकाने और फोटो छपवाने का मौका भी मिला। नेताओं को पता है कि पण्डित जी की कथा में हजारों की भीड उमडना है,ऐसे मौके बार बार नहीं आते। ऐसे मौके भुनाने जरुरी है। नेताओं को पता होता है,कि बडे वीआईपी को आना नहीं है,लेकिन आमंत्रण देने के बहाने बडे नेता से मिलने और फोटो छपवाने का काम तो हो ही जाएगा। फूल छाप के कुछ नेताओं ने जमकर इस मौके को भुनाया। सूबे के मुखिया से लेकर फूल छाप पार्टी के बडे नेताओं के पास आमंत्रण पत्र लेकर जा पंहुचे। उन्हे पता था कि नेताजी आ नहीं सकते,लेकिन इसी बहाने झांकीबाजी तो हो ही जाएगी।

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