Raag Ratlami Land Mafia : आखिरकार टांय टांय फिस्स हो गई अवैध कालोनियों के जमीनखोरों को घेरने की मुहिम/पंजा पार्टी ने कर दिखाया,फूल छाप वाले कर रहे हैैं इंतजार……
-तुषार कोठारी
रतलाम। पिछले महीनों में बडे जोर शोर से एलान किए गए थे कि अवैध कालोनियों को वैध करने के पहले अवैध कालोनियां बनाने वाले जमीनखोरों को कानूनी घेरे में ले लिया जाएगा,लेकिन अब लगता है कि जमीनखोर ही ज्यादा ताकतवर साबित हुए है। जमीनखोरों को घेरने की मुहिम टांय टांय फिस्स होती हुई नजर आ रही है।
वैसे तो अवैध कालोनियों को वैध करने की मुहिम पूरे सूबे में चालू की गई थी,लेकिन रतलाम इसमें अव्वल साबित हो रहा था। रतलाम में सबसे पहले कार्रवाई शुरु की गई थी। जिले की कई सारी अवैध कालोनियों को वैध करने की योजना शुरु की गई थी। इस मुहिम में पेंच ये था कि जिन लोगों ने ये अवैध कालोनियां विकसित की थी,उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाना थी,ताकि उनके गुनाह के लिए उन्हे सजा दी जाती।
जिला इंतजामियां ने बाकायदा जांच करवा कर ऐसे करीब सौ डेढ सौ लोगों की लिस्ट बनाई थी,जिन्होने जिले में अवैध कालोनियां काट कर सीधे साधे लोगों को प्लाट बेचे थे। लिस्ट बनाने के बाद इन लोगों को नोटिस जारी किए गए और इन्हे अपना पक्ष रखने को भी कहा गया था। इस तरह की तमाम मशक्कतों के बाद आखिरकार इन लोगों के नाम वर्दीवालों को भेज दिए गए थे,ताकि इन पर एफआईआर दर्ज की जा सके।
ये सब कुछ होते होते पिछला साल गुजरने को आ गया था। बीते साल के आखरी हफ्ते में जब वर्दी वालों के पास ये लिस्ट पंहुची तो उन्होने कहा कि इतने सारे लोग है इसलिए इनके खिलाफ नए साल में एफआईआर की जाएगी। फिर देखिए नया साल भी आ गया। नए साल का एक पखवाडा गुजर गया। फिर जब वर्दी वालों से पूछा गया कि एफआईआर का क्या हुआ? वर्दी वालों ने बडी चतुराई से गेंद नगर निगम के पाले में डाल दी। वर्दी वालों का कहना था कि नगर निगम ने नाम तो दे दिए,लेकिन इन लोगों से जुडे जरुरी दस्तावेज वर्दी वालों को नहीं दिए। बिना जरुरी दस्तावेजों के मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता। अब नए साल का पहला महीना भी गुजर चुका है। कहानी वहीं की वहीं अटकी है।
दूसरी तरफ अवैध कालोनियों को वैध करने की मुहिम लगातार आगे बढ रही है। लेकिन अवैध कालोनियों के गुनाहगार जमीनखोर मजे में है। उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। धीरे धीरे साबित होता जा रहा है कि जमीनखोर बेहद ताकतवर है इसलिए उनके खिलाफ शुरु की जाने वाली मुहिमें अक्सर टांय टांय फिस्स हो जाती है। इस बार भी ऐसा ही होता हुआ नजर आ रहा है।
पंजा पार्टी ने कर दिखाया,फूल छाप वालों को इंतजार….
चाहे जैसे किया हो,करने के बाद चाहे जितने विवाद हुए हों लेकिन पंजा पार्टी ने जिलाध्यक्षों की घोषणाएं कर डाली। सूबे के कई जिलों में घोषणा के बाद विवाद भी हुए और संगठन को घुटनों पर भी आना पडा,लेकिन जो कुछ भी हुआ हो,पंजा पार्टी ने आखिरकार कर दिखाया। वैसे रतलाम में कोई खास बदलाव नहीं हुआ। रतलाम में पंजापार्टी वाले भैया दोबारा से कुर्सी पक्की करवा लाए। इधर फूल छाप वाले टकटकी लगाकर इंतजार कर रहे हैैं। लम्बे वक्त से बदलाव की बातें हो रही है,लेकिन जमीन पर कोई बदलाव होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। पंजा पार्टी को देख देख कर अब फूल छाप वाले बातें कर रहे है कि इस मामले में हमसे अच्छे तो ये है कि विवादों की चिन्ता किए बिना इन्होने कर दिखाया। फूल छाप के तमाम दावेदार इसी इंतजार में है कि उपर वाले कब सुनेंगे और कब बदलाव होगा….?