May 12, 2024

Raag Ratlami BJP politics : सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है फूल छाप में, दो नेताओं को मिले नोटिस, सेठ जी ने भी दिए झटके, इंदौरी आका का शक्ति प्रदर्शन

-तुषार कोठारी

रतलाम। फूल छाप पार्टी को वैसे तो बडी अनुशासित पार्टी कहा जाता है,लेकिन पिछले हफ्ते में हुई घटनाएं ये साबित करने के लिए काफी है कि फूल छाप में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

उपर से भले ही फूल छाप वाले सब ठीक ठीक बताने की कोशिशें करें लेकिन भीतर भीतर बहुत सारी गडबड है। फूल छाप पार्टी के दो नेताओं को पिछले हफ्ते में दो नोटिस जारी किए गए है। एक नोटिस दाढी रखने वाले नेताजी को दिया गया है,जो खुद को रतलाम का माननीय बनाने की कोशिशों में लगे थे। नेताजी के कुछ पट्ठों ने फेसबुक पर अपने नेता जी को शहर का अगला माननीय बनाने के लिए नेताजी को फोटो डाला था। दूसरे नेताजी ने इन्दौरी आका को चुनौती दी थी कि उन्हे रतलाम के मामलों में टांग नहीं फंसाना चाहिए। फूल छाप पार्टी के इन्दौरी आका ने अभी कुछ ही दिन पहले अपने पट्ठे को विकास वाली दुकान की अध्यक्षी दिलवाई है। इन्दौरी आका ने सिर्फ अघ्यक्षी नहीं दिलवाई,बल्कि अपने पट्टे को केबिनेट का दर्जा भी दादागिरी से दिलवाया।

फूल छाप के दोनो नेताजी उन्हे मिले नोटिस का जवाब देने के चक्कर मे उलझे हुए है। फूल छाप के इन्दौरी आका आज ही यानी रविवार को रतलाम भी आ रहे है। उनके पट्टों ने शक्ति प्रदर्शन की जबर्दस्त तैयारियां भी की है। इन्दौरी आका का शहर में कई जगहों पर स्वागत किया जाएगा। शहर मेंं जिस रास्ते से वो गुजरेंगे उस रास्ते पर बैनर होर्डिंग्स की भरमार हुई पडी है। इन्दौरी आका रविवार शाम को शहर में आने वाले है। जिस वक्त ये पंक्तियां आप पढ रहे होंगे उसी के कुछ देर बाद इन्दौरी आका शहर में प्रवेश करेंगे। फिर उनका काफिला शहर के कई मार्गों से गुजरेगा और वे जगह जगह स्वागत के हार पहनने के बाद वहां पंहुचेंगे जहाँ उन्हे जाना है।

बहरहाल इन्दौरी नेता के रतलाम में सक्रियता के कई मायने ढूंढे जा रहे है। कुछ वक्त पहले इन्दौरी नेता ने खुद को शोले वाला ठाकुर बताया था जिसके दोनो हाथ काट दिए गए थे। किसी जमाने में इन्दौरी नेता सूबे के सूरमा बनने के चक्कर में लामबन्दी कर रहे थे,लेकिन मामा ने उनकी सारी कोशिशों पर पानी फेर दिया था। उसके बाद से इन्दौरी नेता काफी समय तो बंगाल में लगे रहे लेकिन जब लौटे तो फिर से इधर उधर अपने पट्ठों के लिए जोर आजमाईश करने लगे। शायद उनके अरमां फिर से जवां होने लगे है। यही वजह है कि वो इन्दौर के साथ साथ दूसरी जगहों पर भी जोर आजमाईश करने लगे है।

अब वे रविवार को रतलाम में आ रहे है। उनके पट्ठे शक्ति प्रदर्शन की तैयारियों में जुटे है। जगह जगह स्वागत मंच लगाए गए है। कहने को तो फूल छाप वाले इस सारी कवायद को सामान्य ही बताएंगे, लेकिन सियासत की समझ रखने वाले जानते है कि मामला इतना सीधा नहीं है। इन्दौरी आका अपने तौर तरीकों से यही जाहिर कर रहे है कि सूबे की सियासत में उनका दम अब भी बाकी है। वे खाली इन्दौर के माईबाप नहीं है, बल्कि रतलाम में भी दम रखते है। फूल छाप के रतलामी नेताओं को इन्दौरी नेता की सीधी सीधी चुनौती है। इस चुनौती का आने वाले दिनों में क्या असर पडेगा, इसी पे सबकी नजरें लगी है।

सेठ जी पर सवाल….

फूल छाप पार्टी की बवालें कम होने का नाम नहीं ले रही है। दो नेताओं को कारण बताओ नोटिस की कहानी चल ही रही है कि पैलेस रोड वाले सेठ पर सवाल उठने लगे। बागली वाले जोशी जी के पिता जी सूबे के मुखिया थे, जोशी जी खुद भी पिछली बार तक मंत्री थे। लेकिन वक्त गुजरने के साथ उनकी हैसियत में बदलाव आता गया और उन्हे लगा कि फूल छाप पार्टी में उनकी पूछ परख खत्म हो गई है। उन्हे हाशिये पर डाल दिया गया है। नतीजा ये हुआ कि उन्होने फूल छाप छोडकर पंजा पार्टी पकड ली। इधर पैलेस रोड वाले सेठ जी का हाल भी कुछ कुछ ऐसा ही था।

पैलेस रोड वाले सेठ एक दिन अचानक से सूबे की राजधानी के लिए रवाना हो गए। उनके साथ उनके कुछ नए पुराने पट्ठे भी थे। सेठ जी ने सूबे की राजधानी में पंहुचकर मामा जी से मुलाकात की और शहर के कई मुद्दों पर बात की।

सेठ जी की भोपाल यात्रा ने फूल छाप की सियासत में फिर से गरमाहट ला दी। खबरचियों के पूछने पर सेठ जी ने जवाब भी कुछ इस अंदाज से दिए कि फूल छाप वाले टेंशन में आ गए। उन्हे लगा कि कहीं सेठ जी भी बागली वाले जोशी जी की राह तो नहीं पकडने वाले है? रतलाम से लेकर भोपाल तक ये सवाल फिजाओं में फैलने लगे।

हांलाकि सेठ जी का ऐसा कोई इरादा नहीं है, लेकिन वो भी फूल छाप में अपनी हैसियत बरकरार रखना चाहते है और इसीलिए वे फूल छाप वालों को झटके दे रहे है।

कुल मिलाकर चुनाव आते आते फूल छाप में और भी जोरदार उठापटक देखने को मिल सकती है। ये उठापटक चुनाव के नजदीक आने के साथ बढती जाएगी। फूल छाप का हर वो नेता जिसका महत्व कम हो गया है, चुनावी सीजन में उठापटक करवा कर अपनी हैसियत में इजाफा करने की कोशिशों में जुटे है। आने वाले दिनों में फूल छाप में इस तरह की और भी कई सारे वाकये देखने को मिलेंगे।

आग बरसाती गर्मी में कहां जाएं बच्चे.. ?

शहर के प्रथम नागरिक का दर्जा वाटर पार्क वाले भैया के पास है। यही वजह है कि गर्मी का मौसम आते ही भैया ने अपनी पार्टी के तमाम चुने हुए नेताओं की मीटींग वाटर पार्क में ही रखी ताकि जिस किसी को जल क्रीडा का आनन्द लेना हो वो बेरोकटोक ले सके। लेकिन सवाल ये है कि शहर के बच्चे क्या करें? सरकार ने करोडों खर्च करके स्विमिंग पुल तैयार करवा दिया। लेकिन शहर सरकार के नाकारा मालिकों को उसे चलाना तक नहीं आ रहा हैं। सूरज आग बरसा रहा है, बच्चे जलक्रीडा करना चाहते है, लेकिन कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है। कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकारी स्विमिंग पुल चालू हो जाने से दूसरो का धन्धा खराब होने लग जाएगा। इसी वजह से कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

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