November 22, 2024

Raag Ratlami Congress BJP : पहले अकेले भैया ने ढोया,अब 131 लोग ढोएंगे पंजा पार्टी का बोझ,अफसरों से दुखी फूल छाप वाले

तुषार कोठारी

रतलाम। भैया ने अकेले ही करीब दो साल तक अपने कन्धों पर पंजा पार्टी का बोझ ढोया। पंजा पार्टी के बाकी के नेता भैया के पीछे लगे रहे कि बोझा ढोने में वो भी मदद करने को राजी है,लेकिन भैया अकेले ही बोझ ढोते रहे। आखिरकार पिछले हफ्ते भैया ने अपने कन्धों का बोझ उतारकर थोडे बहुत नहीं पूरे 131 लोगों के कन्धों पर धर दिया है। लोग कह रहे है कि ये सारे भी अगर पंजा पार्टी के किसी प्रदर्शन कार्यक्रम में हाजिर हो जाएंगे तो पार्टी के कार्यक्रम सफल कहलाने लग जाएंगे।

पंजा पार्टी लम्बे इंतजार के बाद भैया के कन्धों पर बोझ डाला था। भैया ने भी करीब दो साल तक अपने कन्धों का बोझा दूसरे नेताओं में बांटने की कोई तैयारी नहीं दिखाई। पंजा पार्टी के जो दूसरे नेता,भैया का बोझा बांटने के लिए बेताब हो रहे थे उनके सब्र का बान्ध टूटने लगा था। उन्होने नीचे से उपर तक गुहार लगाई कि वे पंजा पार्टी का जो बोझ है उसे बांटना चाहते है। आखिरकार उपर वालों ने भैया को कहा कि लम्बा वक्त गुजर चुका है उन्हे अकेले पंजा पार्टी का बोझ उठाते उठाते,इसलिए अब उन्हे इस बोझ को दूसरे नेताओं में भी बांट देना चाहिए।

आखिरकार भैया ने अपने कन्धों का बोझ बांटने का मन बना लिया। लेकिन बडा सवाल अब सामने था कि आखिर किन नेताओं के कन्धों पर पंजा पार्टी का बोझ डाला जाए। पंजा पार्टी के नेताओं की ये खासियत है कि बोझ चाहे हो या ना हो,उसे बांटने वालों की लाइन लगी रहती है। एक कहावत है सूत ना कपास,जुलाहों में लठ्मलठ्ठा। बस ऐसी ही हालत पंजा पार्टी के खद्दरधारियों की है। पार्टी को भले ही कोई पूछ ना रहा हो,लेकिन पार्टी का बोझ उठाने के लिए भीड अब भी बरकरार है। इसी खींचतान का नतीजा था कि नेताओं को बोझा ढाने वालों की लिस्ट में शामिल करने की जद्दोजहद लम्बे वक्त तक चलती रही। आखिरकार वो दिन भी आ गया,जब भैया ने अपना बोझा बांटने वाली टीम का एलान कर दिया।

जैसे ही लिस्ट आई,लोग हैरान रह गए। दस बीस नहीं पूरे एक सौ इकतीस लोगों को भैया ने अपने कन्धों का बोझा बांटने के लिए शामिल किया था। दूसरी तरफ देखिए तो फूल छाप भले ही दुनिया की सबसे बडी पार्टी बन गई हो,उसका बोझ उठाने वालों की तादाद गिनती की होती है। फूल छाप वाले पूरे जिले की पार्टी का बोझ महज बारह पन्द्रह लोगों में बांटते है। लेकिन पंजा पार्टी सबसे पुरानी पार्टी है। अब उसका बोझ भले ही बेहद कम हो गया हो,लेकिन उसे बांटने के लिए सवा सौ से ज्यादा लोग शामिल किए गए।

भैया ने एक कलाकारी और दिखाई। जो बडे बुजुर्ग नेता थे,उन्हे सलाह देने वालों की लिस्ट में शामिल कर दिया। किसी वक्त पर पंजा पार्टी की तरफ से प्रथम नागरिक रहे पोपी सेठ से लगाकर पंजा पार्टी के टिकट पर हार हासिल करने वाले दादा तक सारे बुजुर्ग इसमें शामिल कर लिए गए है। हालांकि सलाह देने वालों में सारे के सारे बुजुर्ग नहीं है,लेकिन सलाह देने का काम ही बुजुर्गियत का है,इसलिए इन सब को बुजुर्ग माना जा सकता है। पंजा पार्टी के लिए पराजय का रेकार्ड बनाने बनाकर जमानत जब्त कराने वाले नेताजी का नाम भी सलाह देने वालों में शामिल था,लेकिन उन्हे ये पसन्द नहीं आया,इसलिए एक बार लिस्ट जारी होने के बाद इसे संधोधित भी किया गया।

कुल मिलाकर अब पंजा पार्टी के पास कुल एक सौ चौंतीस लोगों की टीम है। लोगों का मानना है कि ये सारे लोग भी पंजा पार्टी के किसी प्रदर्शन में मौजूद रह लेंगे तो कम से कम पंजा पार्टी की इज्जत तो बच जाया करेगी।

अफसरों से दुखी फूल छाप वाले

फूल छाप वालों का दुखडा ये है कि दो दशक से सरकार में रहने के बावजूद अफसर उन्हे भाव नहीं देते। ये तकलीफ सिर्फ छोटे नेताओं की ही नहीं है,बल्कि बडे नेता भी इसी वजह से दुखी रहते है। ताजा किस्सा एक जनपद पंचायत का है,जिसके सीईओ ने फूल छाप वाले नेताओं का काम करने से साफ इंकार कर दिया। फूल छाप के नेताओं ने सीईओ को ठीक करने के लिए जिले के बडे किसान नेता को बुलवाया। बडे किसान नेता काफी बडे नेता है,वे तो किसान आयोग तक सम्हाल चुके है। बडे नेताजी सीईओ के पास पंहुचे। सीईओ ने उन्हे भी टका सा जवाब दे दिया। बात बढी,तो सीईओ ने साफ कह दिया कि उसका तबादला करवा दिया जाए। बडे नेताजी को पता है कि फूल छाप की सरकार में किसी बात का भरोसा नहीं है। पहले भी ग्र्रामीण इलाके के एक एमएलए साहब एक सीईओ के ट्रांसफर के चक्कर में धरने पर बैठ गए थे,लेकिन सरकार ने अपने ही एमएलए की नहीं सुनी थी। सीईओ सारे फूल छाप वालों को मुंह चिढाते हुए अपने दफ्तर में ही टिका रहा था। ये बात ध्यान में आते ही बडे नेताजी ने तबादला करवा देने की बात को हवा में उडा दिया। उन्होने कहा कि तबादला नहीं करवाएंगे लेकिन काम जरुर करवाएंगे। ये अलग बात है कि काम हुआ या नहीं कोई नहीं जानता।

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