December 25, 2024

Raag Ratlami Land Mafia : जमीनखोरो को बडा झटका देने की तैयारी में है जिला इंतजामिया के बडे साहब

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-तुषार कोठारी

रतलाम। जिला इंतजामिया के बडे साहब जब से आए है,जिले भर के नामचीन जमीनखोरो को झटके पर झटके दिए जा रहे है। अब वे फिर से नया झटका देने की तैयारी में है। कोई बडी बात नहीं कि आने वाले दिनों में कई सारे जमीनखोरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाए। शहर के जमीनखोरों में इस बात को लेकर हडकम्प सा मचा हुआ है।

जिला इंतजामिया के बडे साहब ने बडा ही नायाब तरीका ढूंढा है,जिससे कि न सिर्फ गरीबों को अच्छी कालोनियों में प्लाट मिल पाएंगे,बल्कि कई सारे जमीनखोरों के घोटाले भी सामने आ जाएंगे। बडे साहब का ये नायाब तरीका आने वाले दिनों में पूरे सूबे में मुहिम की तरह भी चलाया जा सकता है। बडे साहब की ये पहल पूरे सूबे में पहली बार हो रही है।

ये नायाब तरीका बडे साहब ने पुरानी कालोनियों की जांच से ढूंढा है। सरकारी कायदे के मुताबिक शहर में बनने वाली हर कालोनी में कुछ प्लाट गरीब वर्ग के लिए आरक्षित रखे जाते है। जब कालोनी का नक्शा स्वीकृत होता है,तो उस नक्शे में गरीबों के लिए आरक्षित प्लाट अलग से दर्शाए जाते है,ताकि उन्हे गरीबों को रियायती दरों पर मुहैया कराया जा सके। तमाम कालोनाईजर नक्शा स्वीकृत कराते समय तो गरीबों के लिए प्लाट आरक्षित करना बताते है,लेकिन जैसे ही कालोनी के प्लाट बिकना शुरु होते है,गरीबों के लिए रिजर्व प्लाट भी सक्षम लोगों को बाजार भाव पर बेच देते है।

बडे साहब ने जिले की तमाम कालोनियों में गरीबों के लिए रिजर्व रखे गए प्लाटों की जानकारी इकट्ठा करवाई। पता चला कि कागजों पर तो शहर की कालोनियों में गरीबों के लिए सैकडों की तादाद में प्लाट रिजर्व रखे गए है। बस फिर क्या था,बडे साहब ने तमाम कालोनाईजरों की मीटींग बुलाई और उन्हे गराबों के लिए रिजर्व प्लाट गरीबों को देने के फरमान जारी कर दिए।

बडे साहब के इस फरमान से जमीनखोरों की हालत खराब है। बडे साहब को पता है कि कागजों पर जितने प्लाट खाली दिखाए जा रहे है,उनमें से कई तो पहले ही उंचे दामों पर अपात्र लोगों को बेचे जा चुके है। अब जब इन प्लाटों की सच्चाई सामने आएगी,तो प्लाट बेचने वाले पर मुकदमा दर्ज होना तय हो जाएगा। इसके अलावा जो प्लाट सचमुच में अब तक खाली पडे है,वो पात्र निम्न आय वर्ग वाले लोगों को मिल सकेंगे।

जिला इंतजामिया के बडे साहब ने तमाम कालोनाइजरों को अगले हफ्ते तक इन प्लाटों के विज्ञापन अखबारों में जारी करने का भी फरमान दिया है। इसके बाद जिला इंतजामिया की देखरेख में इन प्लाटों की पात्र लोगों को बिक्री की जाएगी।

पूरे सूबे में यह अपनी तरह की पहली नायाब योजना है,जिसमें गरीब वर्ग के लोगों को तो सीधा फायदा होगा,वहीं सरकारी नियम कायदों को ताक पर रख कर जमीनखोरी करने वालों को सजा देने का रास्ता भी खुल जाएगा। थोडा इंतजार और इसके बाद सच्चाईयां सामने आने लगेगी। जो प्लाट खाली नहीं होंगे उस हर प्लाट की एक नई कहानी बनेगी। अगले हफ्ते से ही इस कहानी की शुरुआत होने वाली है,आगे आगे देखिए होता है क्या…?

कहानी सब्जी मण्डी की

कोई जमाना था,जब शहर के बीचो बीच माणकचौक में एक बडी सब्जी मण्डी हुआ करती थी। फिर शहर फैलने लगा तो सब्जी मण्डियां भी फैलने लगी। देखते ही देखते पूरा शहर जैसे सब्जी मण्डी बन गया। शहर के हर इलाके की सडक पर सब्जी मण्डियां सज गई। टीआईटी रोड हो या डाट की पुल,लोहार रोड हो या राम मन्दिर,जिधर देखिए सब्जी मण्डी। सडके सब्जी मण्डी बन गई तो सड़क पर चलना और वाहन चलाना भी असंभव हो गया। लेकिन पिछले एक हफ्ते में जिला इंतजामिया ने सब्जी मण्डियों की इस कहानी में जबर्दस्त तब्दीली पैदा कर दी है। सड़कों की तमाम सब्जी मण्डियां हटा दी गई है और सब्जी बेचने वालों को नई जगहें दी जा रही है,जिससे सब्जी भी बिकती रहे और सडकें सड़कें बनी रहे।

जैसा कि हमेशा होता है,बदलाव की खिलाफत होती है। इस बदलाव की भी खिलाफत हुई। सब्जी बेचने वाले तो खिलाफत कर ही रहे थे,सब्जी खरीदने वाले भी दुखडा दिखा रहे थे कि अब उन्हे सब्जी खरीदने के लिए लम्बी दूरी तय करना पडेगी। लेकिन इंतजामिया की सख्ती के चलते खिलाफत की तमाम आवाजें अब दब चुकी है। उम्मीद की जाना चाहिए कि सब्जी मण्डी के नए इंतजाम से शहर की सूरत सुधरेगी और सब्जी बेचने वाले भी आसानी से धन्धा चले सकेंगे। शुरुआती दिनों की थोडी तकलीफों के बाद सबकुछ ठीक हो जाएगा।

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