May 20, 2024

Raag Ratlami- लम्बी मेहनत मशक्कत के बाद हुआ दुर्दान्त राक्षस का वध,वर्दी वालों का बढा गौरव

-तुषार कोठारी

रतलाम। रतलामी बाशिन्दों के लिए ये पहला मौका था,जब उन्होने चंद रुपयों के लिए एक भरे पूरे परिवार की नृशंस मौत देखी थी। एक ही परिवार की तीन चिताएं एक साथ देखी गई थी। शुरुआत में तो यह तक तय नहीं हो पा रहा था कि आखिर इस कुनबे पर ये कहर क्यो कर बरसा होगा? तरह तरह की बातें थी,तरह तरह के अंदाजे और अनुमान। वर्दी वालों के लिए ये बडी चुनौती थी कि पहले तो यही पता चल जाए कि कत्ले आम की असल वजह क्या रही होगी?

वर्दीवालेंं भी हैरान परेशान थे। शुरुआती दौर में तो यह सारा मामला घने अंधेरे में कोयला ढूंढने जैसा ही था। ना कोई सुराग था,ना कोई अंदाजा,कि ऐसा कहर किसने ढाया है। लेकिन वर्दी वाले हफ्ते भर तक दिन रात जुटे रहे। वर्दीवालों के कप्तान ने खुद ही इलाके में डेरा डाल दिया था। दिन रात की मेहनत आखिरकार रंग लाई और वर्दीवालों को धीरे धीरे सुराग मिलने लगे। सैकडों कैमरों के हजारों फुटेज,मोबाइल फोन के काल डिटेल और भी ना जाने क्या क्या खंगाला गया और तब जाकर वर्दी वालों को ये पता चल पाया कि वारदात में कौन कौन शामिल था?
वारदात में शामिल मुजरिम वर्दी वालों की गिरफ्त में आने के बाद जब वर्दीवालों को उनके मुखिया के कारनामें पता चले तो वर्दी वालों की आंखे भी फटी की फटी रह गई। इससे पहले तक नृशंस राक्षसों के किस्से उन्होने किस्से कहानियों में ही सुने थे,लेकिन अब पता चल रहा था कि अब भी ऐसे नृशंस राक्षस धरती पर मौजूद है और यहीं रतलाम में ही मौजूद है। गुत्थी तो सुलझ गई थी,लेकिन अब दूसरी बडी चुनौती उस नृशंस राक्षस को पकडने की थी,जिसके लिए इंसानी जान की कोई कीमत हीं नहीं थी। वह चंद रुपयों के लिए किसी की भी जान ले सकता था।
उस दरिन्दे की दरिन्दगी की और भी कई कहानियां वर्दी वालों के सामने आने लगी। वह राक्षस इससे पहले भी कई मासूम लोगों को मौत की नींद सुला चुका था। उम्रकैद की सजा होने के बाद भी वह वर्दीवालों की गिरफ्त से आजाद हो चुका था और कई सारे काण्ड कर चुका था। ऐसे राक्षस को अगर जल्दी नहीं पकडा जाता तो अभी और भी कई जानें जा सकती थी।
कत्ले आम की गुत्थी सुलझाने में जमीन आसमान एक कर चुके वर्दी वालों ने उस राक्षस को ढूंढने में भी कोई कसर नहीं छोडी। आखिरकार उसकी जानकारी मिल ही गई। जब वर्दी वाले उसे दबोचने के लिए पंहुचे तो कई बार गोलियां दाग चुके उस राक्षस ने वर्दीवालों को भी नहीं छोडा। आखिरकार वर्दीवालों ने भी अपनी सूरमाई दिखाई और रतलाम की धरती उस नृशंस राक्षस के अंत की साक्षी बन गई। कुछ वर्दीवाले इसमें घायल भी हुए,लेकिन उनके साथ लोगों की दुआएं थी,इसलिए किसी को भी गंभीर क्षति नहीं हुई। बरसों बाद रतलाम में वर्दीवालों की गोली से किसी को इस दुनिया से रुखसत होने का मौका मिला था। शहर के बाशिन्दे खुश है कि ऐसे राक्षस का अंत बिना किसी कोर्ट कचहरी के हो गया,वरना कई सालों की मुकदमेबाजी होती और तब तक वह राक्षस सरकारी खाना खाकर मोटा ताजा होता रहता। लोग खुश है कि ऐसे नृशंस राक्षस को न्यायालय में जाने से पहले ही न्याय मिल गया। निस्संदेह ऐसे नृशंस राक्षस के वध से वर्दी वालों का गौरव बढ गया है।

शहर सरकार चुनाव की हलचल बढी……

सूबे की सरकार ने आज से तीन दिन बाद ही सूबे के तमाम बडे शहरों की सरकार के मुखिया का आरक्षण करने की घोषणा की है। वार्डों के आरक्षण के बाद लम्बे समय से इसका इंतजार किया जा रहा था कि जल्दी से जल्दी शहरों के प्रथम नागरिक की आरक्षण स्थिति स्पष्ट हो ताकि नेता अपनी अपनी तैयारियां शुरु कर सके। रतलाम के लोगों का अंदाजा है कि रतलाम के प्रथम नागरिक का पद पिछडे पुरुष के खाते में जाने वाला है। इसलिए इस श्रेणी के तमाम छोटे बडे नेता इन दिनों आईने के सामने खडे होकर खुद को प्रथम नागरिक के रुप में देख रहे है। फुल छाप पार्टी में नेताओं की तादाद पंजा पार्टी से कहीं ज्यादा है। इसकी वजह यह है कि पंजा पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। पंजा पार्टी के लोग खुद भी जानते है कि चुनाव में उनके लिए मौके बहुत कम है। दूसरी तरफ फुल छाप वाले नेता यह मानकर चल रहे है कि संघर्ष तो केवल टिकट हासिल करने तक है। एक बार टिकट मिल गया तो जीत तो पक्की है। बस इसी चक्कर में फुल छाप के नेता अपनी अपनी जुगाड जमाने में व्यस्त है। बस अब थोडा सा इंतजार और है। जल्दी ही सूबे की सरकार पूरा प्रोग्र्राम घोषित कर देगी और तब शुरु होगा सियासत का असल दंगल।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds