Food Zone Crisis : इन्दौरी छप्पन दुकान की तर्ज पर फूडझोन बनाने के लिए पचास परिवारों को भूखा मारने की तैयारी
रतलाम,9 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। इन्दौर की छप्पन दुकानों की तर्ज पर रतलाम में फूडझोन बनाने के लिए निगम प्रशासन ने कम से कम पचास परिवारों को बेरोजगार कर भूखा मारने की तैयारी कर ली है। स्टेडियम मार्केट में दुकानें चलाने वाले छोटे कारोबारियों को दुकानें खाली करने के नोटिस दे दिए गए है।
उल्लेखनीय है कि स्टेडियम मार्केट में पचास से अधिक दुकानें बनी हुई है,जिनमें छोटे छोटे व्यवसायी अपनी दुकानें चलाते है। इनमें मोटर मैकेनिक,दर्जी,नाई इत्यादि की दुकानें है। इनमें से अधिकांश व्यवसाइयों ने ये दुकानें मूल आïंटियों से किराये पर ली है और इनके द्वारा नगर निगम में नियमित रुप से किराया भी जमा कराया जाता है। ये सारे दुकानदार पिछले कम से कम दो दशकों से यहां अपना व्यवसाय कर रहे है।
लेकिन नगर निगम का कहना है कि दुकानों के मूल आïवंटियों द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को उपकिरायेदार नहीं बनाया जा सकता। यह दुकान आïवंटन की शर्तों का उल्लंघन है और इसी आधार पर नगर निगम इन दुकानों को खाली कराने में सक्षम है। हांलाकि इनमें से कुछ दुकानदारों ने नगर निगम में नामांतरण भी करवा लिया है,लेकिन निगम के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि नियमानुसार किराये पर दी गई दुकान का नामांतरण किया ही नहीं जा सकता। यदि ऐसा हुआ है तो यह नियम विरुद्ध है।
नगर निगम ने स्टेडियम मार्केट के व्यवसाईयों को नोटिस जारी करने में भी बेहद चतुराई दिखाई। निगम द्वारा नोटिस 05 अक्टूबर की तारीख मेंजारी किए गए,लेकिन दुकानदारों को ये नोटिस तीन दिन बाद यानी 8 अक्टूबर शुक्रवार को तामील किए गए। नोटिस मेंदुकानदारों को दुकान खाली करने के लिए सात दिनों का समय दिया गया है। नोटिस की समयावधि सोमवार को समाप्त हो रही है। दुकानदारों को शुक्रवार को नोटिस दिए गए,शनिवार और रविवार को अवकाश है। ऐसे में दुकानदार यदि न्यायालय की भी मदद लेना चाहेंतो यह उनके लिए बेहद कठिन साबित होगा,क्योंकि सोमवार को नगर निगम दुकाने खाली करवाने पंहुच जाएगी और तब तक दुकानदारों के लिए किसी भी न्यायालय से स्टे आर्डर हासिल करना बेहद मुश्किल होगा।
यहीं किराये पर दुकान लेकर अपने परिवार पाल रहे व्यवसाईयों का दर्द यह है कि वे पिछछले कई सालों से यहां व्यवसाय कर रहे है। इतने सालों में कभी भी नगर निगम ने उन्हे यह नहीं बताया कि उन्होनेे नियम विरुद्ध दुकान ली है। आज जब इन व्यवसाईयों में से कई बुजुर्ग होने लगे है,तब नगर निगम उनके रोजगार बरबाद करने पर तुला है। दुकानदारों का दर्द यह भी है कि शहर में सैकडों दुकानें ऐसी है, जिन्होने पहले नगर निगम की जमीन पर अतिक्रमण कर गुमटियां लगाई थी और बाद में खुद नगर निगम ने उन्हे उसी स्थान पर पक्की दुकान बना कर दी थी। लेकिन ये लोग तो नगर निगम की ही दुकान में व्यवसाय कर रहे है,लेकिन नियमों की आड में उन्हे बेरोजगार करने का षडयंत्र किया जा रहा है। नगर निगम का फूड झोन पचास परिवारों को भूखा मारने की कीमत पर बनाया जा रहा है।
नगर निगम की कार्यवाही से घबराए दुकानदारों ने अपने स्तर पर कलेक्टर और निगमायुक्त से मुलाकात कर अपनी समस्या बताने के प्रयास किए लेकिन उन्हे ना तो कलेक्टर ने समय दिया और ना ही आयुक्त ने। शहर विधायक से भी उनकी मुलाकात नहीं हो पाई। इन दुकानदारों ने विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के अलग अलग नेताओं से भी मदद मांगी,लेकिन अब तक उन्हे किसी ने भी मदद का ठोस आश्वासन नहीं दिया है।