December 24, 2024

पुलिस का विनम्रता सप्ताह……

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डॉ. डीएन पचौरी

प्रदेश की राजधानी से हमारे एक मित्र ने फोन किया उनके पुलिस इंस्पेक्टर जीजा जी का ट्रांसफर तुम्हारे शहर के बल्कि तुम्हारे मोहल्ले के पुलिस थाने पर हो गया है अतः उनकी कुशलक्षेम पूछते रहना और मिलकर आ जाना। हम कोई अपराधी नहीं हैं पर पुलिस थाने के नाम से हमारी रूह कांपती है इसके दो कारण हैं पहला तो पूज्य पिताजी ने अपने अंतिम समय में जो जीवन उपयोगी ज्ञान की बातें हमें बताई थी उसमें उन्होंने कहा था बेटा पुलिस वालों से दूर ही रहना नहीं इनकी दोस्ती अच्छी नहीं दुश्मनी अच्छी। दूसरा कारण यह है कि हमारे पुलिस थाने पर टीआई साहब आ गए हैं। जैसा कि इन टीआई साहब का नाम है और उनके नाम से ही स्पष्ट है कि जिस थाने पर ट्रांसफर होकर पहुंचते हैं उसके पहले ही उनके नाम की धूम मच जाती है जुए सट्टे वाले अपने बिलों में में घुस जाते हैं और छोटे-मोटे अपराधियों की तो उनको देखते ही जान सूखती है हां नेता संरक्षित अपराधियों की बात अलग है। उनकी क्रूरता एनकाउंटर और डंडे से धुनाई के किस्से मशहूर हैं।

हिम्मत करके हम थाने में मित्रवर के जीजा जी से मिलने चल दिए। पहले जब हम थाने के निकट से गुजरते थे तो मारपीट शोर शराबा भीड़ भाड़ दिखाई देती थी पर आज बड़ी शांति थी। थाने में घुसते ही सामने कुर्सी पर टीआई साहब आधे लेटे आधे बैठे दिखाई दिए। हम ऐसे ऐसे पहुंचे जैसे कोई शेर की गुफा में खरगोश पहुंचा हो. उनकी नुकीली मूछें जो घड़ी की सुई ओ की तरह 10:00 बज के 10 मिनट दर्शाती थी आज 8 बजे कर 20 मिनट पर झुकी हुई थी । उनके जूते जो हमेशा दूसरों के मरम्मत के लिए तैयार रहते थे आज लावारिस हालत में दूर पड़े हुए थे और उनका रूल जो अपराधियों की खाल खींचने के लिए तैयार रहता था दूर मेज पर रखा हुआ था। हमने डरते डरते एक हाथ उठाकर सलाम की मुद्रा में उनको नमस्ते की तो प्रत्युत्तर में उन्होंने दोनों हाथ जोड़ दिए यह देखकर हमें चक्कर आ गया हम मैदान में चारों खाने चित गिरते एक पेड़ के तने का सहारा लेकर खड़े रहे। सामने से आते हुए एक भद्र पुरुष से दुआ सलाम के बाद पूछने पर पता चला कि वही दोस्त के जीजा जी हैं और जब हमने जानना चाहा के थाने में वीरानी का राज क्या है? उन्होंने बताया कि आजकल विनम्रता सप्ताह चल रहा है और आज इसका अंतिम दिन है। हमने कहा कि चलो अच्छा है इसी प्रकार विनम्रता सप्ताह मनाते रहें तो आम आदमी भयमुक्त होकर पुलिस थाने में अपनी शिकायतें दर्ज करा सकता है जो डर से थाने का रूख ही नहीं करते हैं l मेरी इस बात से मित्र के जीजा जी कुछ नाराज दिखे। उन्होंने कहा की यदि पुलिस का भय नहीं रहेगा अपराधियों का हौसला बहुत बढ़ जाएगा इससे क्राइम रेट भी बढ़ेगाl नेताओं का क्या है वह तो विनम्रता सप्ताह मनाने का आदेश दे देते हैं भुगतना तो हमको पड़ता है जब गुंडे मवाली व्यंग से मुस्कुरा कर नमस्ते करते हैं तो दिल जलकर कबाब हो जाता है। उन्होंने कहा पुलिस का रुतबा ही डर पर आधारित है हमारा तो यही सिद्धांत है कि सोटा चल रे भाई सटासट तो जुर्म कबूल ते हैं फटाफटl उनका प्रवचन चालू रहा आगे उन्होंने कहा की यह पेशेवर अपराधी लातों के भूत हैं यह बातों से नहीं मानते। आप क्या सोचते हैं? क्या कभी ऐसा संभव है कि कोई चोर चोरी करने के पश्चात आकर कहे की माई बाप मेरे से गलती हो गई अब आगे चोरी नहीं करूंगा और यह चोरी का सामान आपके सामने है या कोई बलात्कारी आकर कहे हजूर मुझसे कुछ उल्टा सीधा हो गया है मेरा जमीर मुझे धिक्कार रहा है मैं हाजिर हो गया हूं मुझे गिरफ्तार कर लीजिए अथवा कुछ गुंडे आकर कहें कि हम चार 6 लोग कहीं डाका डालने की योजना बना रहे थे पर हमारे संस्कार आड़े आ गए अब आप मारे या छोड़ें हम अपने आप को आप के हवाले करते हैं, क्या ऐसा होता है? नहीं ना। तो फिर हर बात पर पुलिस को ही दोष क्यों दिया जाता है?

जब पुलिस शक्ति दिखाती है तो मीडिया आड़े आ जाता है मानवाधिकार दुहाई देने लगता है और जब नरमी बरतते हैं और क्राइम रेट बढ़ने लगता है तो आप लोग ही आगे आते हो अखबारों में छपने लगता है के जुर्म और गुंडागर्दी बढ़ रही है पुलिस कुछ नहीं करतीl बताइए करें तो क्या करें?

हमने कहा कि स्कॉटलैंड की पुलिस को देखिए कितनी विनम्रता से क्राइम कंट्रोल करते हैं। इस पर मित्र के जीजा जी उखड़ गए उनकी आंखों में लाल डोरे दिखने लगेl

उन्होंने कहा क्या आप पढ़े लिखे होते हुए भी बिना पढ़े लिखे लोगों जैसी बात क्यों करते हैं आप जानते हैं स्कॉटलैंड की पुलिस कहां की है अरे जिस देश के कुछ अंग्रेज इतने बड़े भारत देश पर शासन करके चले गए वहां की पुलिस की तुलना भारत की पुलिस से कर रहे हो शर्म आनी चाहिए आपको। इससे पहले कि वह कुछ और आगे कहते विनम्रता सप्ताह हम पर समाप्त होता और हमें किसी धारा में धड़ल्ले से बंद कर देते हमने खिसकना ही बेहतर समझा और तेजी से थाने से बाहर आ गए और उसके बाद हमने घर की ओर ऐसे दौड़ लगाई जैसे किसी अफगानी के पीछे कोई तालिबानी पढ़ा हुआ हो घर आकर दम लिया।

डॉ. डीएन पचौरी
आकाशवाणी केंद्र के सामने
दो बत्ती रतलाम

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