November 18, 2024

PM मोदी की जाति बताकर सीएम पद पर सचिन ने पेश की दावेदारी

नई दिल्ली,14 दिसंबर(इ खबरटुडे)। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों पर फैसला शुक्रवार के लिए टाल दिया है क्योंकि वह इस विषय पर पार्टी नेताओं से और चर्चा करना चाहते हैं. कांग्रेस सूत्रों ने गुरुवार देर रात यह जानकारी दी. कांग्रेस अध्यक्ष ने राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ कई बैठकें कीं, लेकिन उनके बीच कोई सहमति नहीं बन पाई.

बता दें कि पायलट ने राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए दावा किया है. राहुल गांधी के निवास के बाहर पायलट के समर्थकों ने उनके समर्थन में नारे भी लगाए. राहुल गांधी ने देर शाम पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक की. खड़गे ने कहा कि अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले शुक्रवार को प्रदेश नेताओं के साथ बैठक होगी.

बहरहाल, सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी राजस्थान में सरकार बनने पर दो बार के मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत पर दांव लगाने जा रही थी, काफी कुछ तय हो गया था, लेकिन ऐन मौके पर पायलट समर्थकों ने राहुल के सामने ऐसी तस्वीर पेश की, जिसके बाद पेंच और फंस गया.

आजतक को सचिन पायलट के करीबी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 7 अहम मुद्दों पर राहुल गांधी के सामने सचिन ने अपना पक्ष रखा. इसके बाद ही राहुल के दरबार में मामले को एक दिन के लिए टाल दिया गया वरना गहलोत तो सीएम बनने की हरी झंडी लेकर जयपुर जाने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पर बोर्डिंग पास तक ले चुके थे. लेकिन आखिरी मौके पर गहलोत और सचिन दोनों को दिल्ली रुकने को कह दिया गया.

सचिन पायलट ने राहुल के सामने रखा अपना पक्ष

1. मैं किसी जाति की राजनीति नहीं करता, फिर मुझ पर गुर्जर होने की बात क्यों चस्पा की जा रही है. कहा जा रहा है कि 4.5 प्रतिशत गुर्जर हैं, लेकिन मैंने सभी जातियों को साथ मिलाकर राजनीति की है.

2. जाति ही मायने नहीं रखती वरना तेली समाज से आने वाले पीएम मोदी को जोरदार बहुमत कैसे मिलता?

3. मध्य प्रदेश में जाति मायने रखती है, ऐसा सियासी विश्लेषक कहते हैं, लेकिन वहां कमलनाथ को चुना गया, जिनकी जाति मसला नहीं बनी.

4. जहां तक 2019 के लोकसभा चुनाव में नतीजे देने की बात है तो गहलोत साहब 1998 में सीएम बनने के बाद 2003 में पार्टी को नहीं जिता पाए, फिर 2008 में सीएम बनने के बाद 2013 और 2014 में पार्टी धरातल पर आ गई.

5.अगर गहलोत को राज्य का सीएम बनने की चाहत थी तो 2013 में हारने के बाद वो खुद प्रदेश अध्यक्ष बनते, लड़ाई लड़ते, लेकिन वह दिल्ली की राजनीति में व्यस्त होकर राज्य को कं ट्रोल करने की कोशिश क्यों करते रहे?

6.पार्टी में किसी को बनाना है तो उस हिसाब से फॉर्मूले बनाए जाते हैं और नहीं बनाना है तो उस हिसाब है. इसलिए साढ़े चार साल मेहनत के बाद मुझे बनाना है तो उसका फार्मूला तैयार कर लिया जाएगा और अगर किसी और को बनाना है तो उस हिसाब से फार्मूला बन जाएगा.

7. इसके अलावा गहलोत के खिलाफ ये भी कहा गया कि उन्होने बड़ा बहुमत रोकने के लिए कई बागियों का साथ दिया और पार्टी उम्मीदवारों के लिए मुश्किलें पैदा कीं, जिससे बड़ा बहुमत होने पर आलाकमान सचिन के पक्ष में फैसला ना ले पाए.

बहरहाल, अपनी सारी दलीलों के बाद सचिन खेमे ने राहुल को ये भी आश्वस्त किया कि आलाकमान का फैसला सर माथे. अब गेंद राहुल के पाले में है और राहुल शुक्रवार दोपहर तक अपना फैसला सुना देंगे.

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