PM मोदी ने आबे संग की शिंकनसेन बुलेट ट्रेन की सवारी
जापान/टोक्यो 12 नवम्बर (इ खबरटुडे)। जापान के तीन दिवसीय दौरे के आखिरी दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को टोक्यो से कोबे जाने के लिए प्रसिद्ध शिंकनसेन बुलेट ट्रेन में सवारी की। उनके साथ शिंजो आबे भी मौजूद थे।पीएम मोदी और आबे दोनों कोबे में कावासाकी हैवी इंडस्ट्रीज फैसिलिटी का भी दौरा करेंगे, जहां उच्च गति के रेल पहिए तैयार किए जाते हैं।
जापान ने पारंपरिक रूख बदला, भारत के साथ ऐतिहासिक परमाणु करार
इससे पहले शुक्रवार को जापान ने अपनी आपत्तियों को खत्म करते हुए और अपने परंपरागत रूख से हटते हुए भारत के साथ ऐतिहासिक असैन्य परमाणु सहयोग करार पर हस्ताक्षर किया, जिसके साथ ही परमाणु क्षेत्र में दोनों देशों के उद्योगों के बीच गठजोड़ के लिए दरवाजे खुल गए। हालांकि टोक्यों की संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए इस करार में सुरक्षा के पहलू को भी शामिल किया गया है।
अपने जापानी समकक्ष शिंजो आबे के साथ विस्तृत बातचीत के बाद पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच हुए इस परमाणु करार को ऐतिहासिक बताया। दोनों नेताओं के बीच बातचीत में व्यापार एवं निवेश, सुरक्षा, आतंकवाद, कौशल विकास में सहयोग, अंतरिक्ष और जन संपर्क जैसै विषय भी शामिल रहे।
दोनों देशों के बीच छह साल से अधिक समय की गहन बातचीत के बाद दोनों देशों ने परमाणु करार पर हस्ताक्षर किए करार पर हस्ताक्षर के बाद विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि भारत और जापान ने जिस ऐतिहासिक परमाणु करार पर हस्ताक्षर किए वह अमेरिका और कुछ अन्य देशों के साथ हुए असैन्य परमाणु करार वाली विशेषताओं को समेटे हुए है, हालांकि जापान की संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के संदर्भ में कुछ अलग पहलुओ को भी इसमें शामिल किया गया है।
चीन की आपत्तियों के बावजूद दोनों नेताओं ने दक्षिणी चीन सागर के मुद्दे पर बातचीत की और इस बात पर सहमति जताई कि समुद्र से जुड़े कानून (यूएनक्लोस) को लेकर संयुक्त राष्ट्र संधि पर आधारित नौवहन और उड़ान भरने तथा निर्बाध कानूनी वाणिज्य की स्वतंत्रता का सम्मान होना चाहिए।
विश्व को परमाणु हथियारों से मुक्त बनाने की आकांक्षा के अनुरूप है करारः आबे
मोदी के साथ साक्षा प्रेस वार्ता में आबे ने कहा कि परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उद्देश्य से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने से वह बहुत प्रसन्न हैं।
जापानी पीएम ने कहा, यह समझौता एक कानूनी ढांचा है कि भारत परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उद्देश्य को लेकर तथा परमाणु अप्रसार की व्यवस्था में भी जिम्मेदारी के साथ काम करेगा हालांकि भारत एनपीटी में भागीदार अथवा हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
आबे ने कहा, यह परमाणु करार विश्व को परमाणु हथियारों से मुक्त बनाने की जापान की आकांक्षा के अनुरूप है
गौरतलब है कि परमाणु प्रसार को लेकर जापान का पारंपरिक तौर पर कड़ा रूख रहा है क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उसने परमाणु बम हमले की त्रासदी झेली है।
जापानी कंपनियों के परमाणु रिएक्टर स्थापित करने का रास्ता खुला
इस करार पर हस्ताक्षर के साथ अब भारत में जापानी कंपनियों के परमाणु रिएक्टर स्थापित करने का रास्ता खुल गया है। जापानी संसद के अनुमोदन के बाद यह करार प्रभावी होगा और भारत को पूरा भरोसा है कि जापान की संसद इसे अपनी संतुति प्रदान कर देगी।
करार के संदर्भ में विदेश सचिव एस जयशंकर ने संवाददाताओं से बातचीत में याद किया कि भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार में चार चरण थे जैसे कि 2007 में 123 समते पर हस्ताक्षर किया गया, 2008 में एनएसजी की मंजूरी मिली, 2010 में पुन:संवर्धन समझौते को अंतिम रूप दिया गया और फिर 2015 में आखिरकार इस करार पर हस्ताक्षर हुआ।
जापान के साथ हुए करार को लेकर उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ जो चार चरण थे वे जापान के साथ एक ही चरण में समाहित हो गए तथा कल करार पर हस्ताक्षर कर दिया गया।जयशंकर ने कहा कि जापान की चिंताओं का निदान कर दिया गया और परमाणु सुरक्षा पर अधिक जोर दिया गया।