SCO की मीटिंग में आतंकवाद पर घिरा पाकिस्तान, एनएसए डोभाल ने लश्कर-जैश पर बताया ऐक्शन प्लान
नई दिल्ली,25 जून(इ खबरटुडे)। भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की मीटिंग में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की सिट्टी-पिट्टी गुम कर दी। एससीओ देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) की मीटिंग में भारत ने सीमा पार आतंकी गतिविधियों में शामिल पाकिस्तानी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई का खाका पेश किया।
एनएसए अजित डोभाल ने इस बार सीधे-सीधे दो पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद का नाम लिया और कहा कि एससीओ के सदस्य देशों को इनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करवानी चाहिए। इस बार ताजिकिस्तान की राजधानी दुशाबे में एसीसीओ की मीटिंग हुई जिसमें पाकिस्तान के एनएसए मोईद युसूफ ने भी हिस्सा लिया।
डोभाल का प्लान भारत के लिए मास्टर स्ट्रोक कैसे?
पाकिस्तान पर FATF के इस बड़े फैसले से कुछ घंटे पहले डोभाल ने जैश और लश्कर के खिलाफ एसीओ देशों को प्लान थमाकर मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। ऐसे में पाकिस्तान का इससे बचकर निकलना नामुमकिन दिख रहा है। संभावना ज्यादा है कि पाकिस्तान अब भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में ही बना रहेगा। चीन और रूस के सामने पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के बारे में बोलकर भारत ने अप्रत्यक्ष रूप से इन दोनों देशों पर इमरान सरकार की मदद न करने का दबाव भी बढ़ा दिया है। उधर, दुनियाभर के देशों को भी सीधा संदेश गया है कि पाकिस्तान आज भी आतंक का स्पांसर बना हुआ है।
पाकिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर जोर
डोभाल ने एससीओ के सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों से कहा कि हथियारों की स्मगलिंग के लिए आतंकवादियों द्वारा ड्रोन समेत अन्य नई-नई तकनीक के इस्तेमाल पर नजर रखने की दरकार है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन डार्क वेब, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ब्लॉकचेन और सोशल मीडिया का दुरुपोयग कर रहे हैं। डोभाल ने कहा कि हमें आतंकियों की इन सभी गतिविधियों को बंद करना होगा।
FATF-SCO के बीच MOU का दिया हवाला
डोभाल ने आतंकवादी संगठनों और आतंकवादियों पर अंतरराष्ट्रीय पैमानों के मुताबिक नकेल कसने की वकालत की। उन्होंने एससीओ और फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) के बीच समझौते (MoU) का भी जिक्र किया और कहा कि आतंकी फंडिंग के लिए इन सभी इंटरनैशनल स्टैंडर्ड के मुताबिक कार्रवाई होनी चाहिए। ध्यान रहे कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को उसके यहां मौजूद आतंकवादियों और आतंकी संगठनों की फंडिंग के खिलाफ ऐक्शन प्लान सौंप रखा है जिसकी हर मीटिंग में समीक्षा की जाती है। एनएसए डोभाल ने कहा कि आतंक के आकाओं पर कानून का शिकंजा कसने की राह में सभी रोड़ों को हटाए जाएं और उन पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो।
अफगानिस्तान में सक्रिय हो एससीओ: डोभाल
डोभाल ने अफगानिस्तान के ताजा हालात पर कहा कि वहां दो दशकों में जो प्रगति हुई, उसका संरक्षण जरूरी है। उन्होंने कहा, “अफगानियों को कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए। भारत, अफगानिस्तान के लिए गठित एससीओ कॉन्टैक्ट ग्रुप का पूर्ण समर्थन करता है और हमें और ज्यादा सक्रिय रहना चाहिए।” डोभाल ने अफगानिस्तान में कनेक्टिविटी बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “कनेक्टिविटी बढ़ने से आर्थिक समृद्धि आती और विश्वास बहाली होती है। चाबहार, आईएनएसटीसी, रीजनल एयर कॉरिडोर्स, अशगबात एग्रीमेंट जैसी पहल इसका उदाहरण हैं।”
अफगानिस्तान पर पाकिस्तान को मुहंतोड़ जवाब
इधर, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जब अफगानिस्तान में भारत की बढ़ती भूमिका पर आपत्ति दर्ज की तो भारतीय विदेश मंत्रालय ने उसका मुहंतोड़ जवाब दिया। मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “भारत ने पाकिस्तान में बिजली, डैम, स्कूल, हेल्थ क्लीनिक, रोड, कम्यूनिटी प्रॉजेक्ट दिए और दुनिया को पता है कि पाकिस्तान ने उसे क्या दिया।” उन्होंने कहा कि यह अफगानिस्तान के लोगों पर निर्भर है कि वो किसे अपना साझेदार बनाएंगे और किस हद तक। दरअसल, कुरैशी ने कहा था कि भारत को अफगानिस्तान में जरूरत से ज्यादा तवज्जो दी जा रही है।
क्या है एससीओ, समझें
रूस, चीन, किर्गिजस्तान, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों ने वर्ष 2001 में शंघाई में एससीओ की नींव रखी थी। भारत को वर्ष 2005 में इसका ऑब्जर्वर बनाया गया। 12 साल बाद 2017 में भारत और पाकिस्तान को एससीओ का स्थाई सदस्य बना दिया गया। एससीओ को अमेरिका के नेतृत्व वाले नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) का समकक्ष समझा जाता है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूके समेत कुल 30 देश नाटो के सदस्य हैं। पिछले वर्ष सितंबर में एससीओ की मीटिंग में पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने कश्मीर का गलत नक्शा पेश किया तो एनएसए डोभाल मीटिंग का बहिष्कार कर दिया।