One Nation One Vehicle Number/एक राष्ट्र एक वाहन नंबर, केंद्र ने जारी किया अधिसूचना
रायपुर,29 अप्रैल (इ खबरटुडे)। एक राष्ट्र एक वाहन नंबर पर केंद्र सरकार काम कर रही है। केंद्र सरकार अब देशभर के वाहनों का रजिस्ट्रेशन आइएन (इंडिया) के नाम से जारी करने की तैयारी कर रहा है। इसके लागू होने पर वाहन मालिक को अब एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाने के लिए एनओसी (नान ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की तुलना में टैक्स की दर भी कम कर दिया है।
इसके लागू होने से जहां जनता को थोड़ी राहत मिलेगी तो वहीं राज्य सरकार को इससे नुकसान होगा। केंद्र सरकार ने प्रारंभिक अधिसूचना जारी कर छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग से दावा आपत्ति मांगी है। दावा आपत्ति के बाद यदि देशभर के परिवहन मुख्यालय से दावा आपत्ति आने के बाद इसे लागू किया जाएगा। परिवहन विभाग के अधिकारी का कहना है कि केंद्र से दावा आपत्ति आई है, दावा आपत्ति का जबाब दिया जाएगा।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में एक साल में छह लाख वाहनों का रजिस्ट्रेशन होता है। इन गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन से शासन को पांच सौ करोड़ रुपये के राजस्व का फायदा होता है। राज्य सरकार अलग-अलग अपने प्रदेश के नाम से वाहनों का रजिस्ट्रेशन करते हैं। मगर, एक राष्ट्र एक वाहन नंबर की योजना शुरू होने पर लोग आइएन (इंडिया) नंबर का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। वाहन का रजिस्ट्रेशन होने के बाद उसकी फीस सीधे केंद्र सरकार के खाते में चली जाएगी। उसके बाद केंद्र सरकार राज्यों को अपने हिसाब से पैसा आवंटन करेगी।
इसके लागू होने से यह होगा फायदा
परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, वर्तमान में परिवहन विभाग वाहन के रजिस्ट्रेशन के बाद वाहन मालिक से नौ प्रतिशत टैक्स वसूलता है। लेकिन केंद्र सरकार आठ प्रतिशत टैक्स लेगी। जनता की सीधे-सीधे एक प्रतिशत की बचत होगी। इसके साथ ही वाहन मालिक को एनओसी के लिए परिवहन कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। वाहन मालिक देशभर में बिना रोक-टोक वाहन लेकर आ-जा सकेगा।
जानिए क्या होगी दिक्कत
परिवहन विभाग के अधिकारी ने बताया कि एक राष्ट्र एक वाहन नंबर के लागू होने पर सबसे बड़ी दिक्कत यह आएगी कि वाहन के रजिस्ट्रेशन के बाद राज्य सरकार को पैसा केंद्र देगी। पैसे के लिए विभाग को चक्कर लगाना पड़ेगा। इसके साथ ही यदि छत्तीसगढ़ की गाड़ी तमिलनाडू में पकड़ाती है, तो उसका टैक्स कौन लेगा। इससे साथ ही केंद्र सरकार सिर्फ दो साल का रजिस्ट्रेशन करेगी, उसके बाद क्या होगा।