December 25, 2024

Muslim India:सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा,भारत का मुसलमान सर्वश्रेष्ठ है दुनिया में

modi azad

-पंडित मुस्तफा आरिफ

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की राज्य सभा से बिदाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाव विह्वल हो गये। श्री आजाद भारत से असीम प्रेम के प्रतीक हैं, ये बात निर्विवाद रूप से सत्य है। उनकी अभिव्यक्ति में भारत के प्रति निष्ठा व स्नेह की इमानदार झलक मिलती हैं। उनका ये कहना कि वे अपने जीवन में कभी पाकिस्तान नहीं गयें हैं और भारत का मुसलमान दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मुसलमान हैं, हर एक भारती को भाव विह्वल कर गया। कश्मीर के लगभग हर एक नेता पर वो किसी भी पार्टी का हो भारत के प्रति पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाने का तमगा लगा है। श्री गुलाम नबी आजाद उन सबसे अलग विशुद्ध रूप से भारतीय हैं। कश्मीर में जब गुजरात के पर्यटकों की दुर्घटना हुई, तब उनके और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मध्य जो टेलिफोनिक संवाद हुआ, तब सिर्फ आंसू हीं नहीं छलके थे श्री आजाद की आंखों से, अपितु वो बच्चे की तरह रो रहे थे। राष्ट्र हो या उनकी अपनी पार्टी श्री आजाद हर मंच पर प्रजातंत्र के प्रबल पक्षधर के रूप मे सामने आए। कांग्रेस में आंतरिक तौर पर प्रजातांत्रिक मूल्यों के अवमूल्यन से उनकी व्यथा और संघर्ष सर्वविदित है। पार्टी मे उनकी स्थिति विपरीत होने के उपरांत वो पार्टी से अलग नहीं हुएं, क्या अब वे किसी अन्य पार्टी में जाएंगे पूछा जाने पर उनका सटिक उत्तर था- कश्मीर में काली बर्फ बरसे तब तक इंतजार करों।

भारत का मुसलमान दुनिया में सबसे अच्छा है, ये एक ऐसी अभिव्यक्ति हैं जिसके लिए श्री गुलाम नबी आजाद को हमेशा कोट किया जाता रहेगा। ये भारत के मुसलमानों की हालत की अभिव्यक्ति के लिए एक सूत्र वाक्य बन गया है। 2019 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने कहा था कि विश्व के सर्वाधिक खुश व सुखी मुसलमान भारत में रहते हैं। ये क्यों है, क्युंकि हम हिंदू हैं। संघ का उद्देश्य भारत में परिवर्तन के लिए सभी समुदायों को संगठित करने का है, न कि सिर्फ हिंदू समुदाय को। इन्हीं बातों का समर्थन केन्द्रीय मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने करते हुए कहा कि मुसलमानों के लिए भारत स्वर्ग जैसा है और उनके अधिकार यहाँ पुरी तरह से सुरक्षित है। अल्पसंख्यकों के साथ साथ देश के सभी नागरिकों के संवेधानिक, सामाजिक, धार्मिक अधिकारों की गारंटी है, किसी भी स्थिति में अनेकता में एकता की ताकत कमजोर नहीं हो सकतीं। एक मुस्लिम विद्वान और विचारक से मेरी इस संबंध में चर्चा हुई, उन्होंने ने भी स्वीकार किया कि भारत का मुसलमान निश्चित रूप से दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है खुश व सुखी हैं। इसकी वजह उसे इस्लाम से विरासत में मिली धैर्य व संतोष की सम्पत्ति हैं। वो हर हालत में सब्र करता है, खुश रहता है और ईश्वर पर भरोसा करता है। यहीं वजह है कि देश में लाखो की संख्या में आत्महत्या हुई, लेकिन उसमें मुसलमान एक भी नहीं है। भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद मुसलमानों को आरक्षण के पक्षधर नहीं थे, उनका मानना था कि कर्म के प्रति उसका आत्मविश्वास और ईश्वर में मुकम्मिल भरोसा उसका संबल है।

1909 में जब ऊर्दू के प्रसिद्ध शायर डाक्टर इकबाल ने जब शिकवा लिखा और ईश्वर से मुसलमानों की गिरती बिगङती हालत की शिकायत की तो तत्कालीन मुस्लिम समाज ने उनका समर्थन नहीं किया, इसलिए 1913 में इकबाल ने जवाबे शिकवा लिखा, जिसमें इकबाल की कलम से अल्लाह ने लिखवाया कि अपनी दयनीय स्थिति के लिए मुसलमान खुद जिम्मेदार हैं जिसने दीन, ईमान और कुरान के संदेशों से अपना नाता तोड़ लिया है। इसी इकबाल ने बाद में कोमी तराना “सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा, हम बुलबुले हैं इसके ये गुलिस्तां हमारा।” लिखा। आजादी के बाद से अब तक की स्थिति का आंकलन करें तो मुसलमान शत प्रतिशत साक्षरता की ओर अग्रसर होने के साथ-साथ संपूर्ण राष्ट्रीयता की ओर तेजी से आगे बङ रहा है। अब वो किसी भी राजनीतिक दल भले ही वो श्री असदुद्दीन ओवैसी का दल हीं क्यों न हो उनका जेबी सम्पत्ति नहीं रह गया है। जनसंघ के जमाने में श्री सिकंदर बख्त और श्री आरिफ बेग ने इन मिथकों को तौङ दिया है। अब भाजपा सहित अनेक राजनैतिक पार्टियों में मुसलमान हैं, ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भाजपा में मुसलमानों की संख्या पहले से ज्यादा हैं। संघ की ही मुस्लिम विंग मुस्लिम राष्ट्रीय मंच मुसलमानों में राष्ट्रीय व सांस्कृतिक चेतना जागृत करने की दिशा में सराहनीय कार्य कर रहीं हैं और उसे शिक्षित मुस्लिम समाज का समर्थन व सम्मान मिल रहा है।

जहां मुसलमानों को भारत में सर्वाधिक खुशी व सुखी बताया जा रहा है वहीं सच्चर कमेटी की रिपोर्ट उनकी भारत में दयनीय स्थिति की तस्वीर पेश करती हैं। जिस प्रकार शरणार्थियों और किसानों के लिए सरकार कानून बनाने पर ततपरता दिखा रहीं हैं, उसी प्रकार सच्चर कमेटी के प्रावधानों पर अमल करने की दिशा में कानून बना कर काम करें तो लगे कि मोदी जी के आंसुओं में सच्चाई है। दिल्ली उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज श्री राजिंदर सच्चर ने अपनी 403 पेज की रिपोर्ट में मुसलमानों की हालत अनुसूचित जाति और जनजाति से भी बदतर और बहुत नीचे बताते हुए लिखा था कि मुस्लिम समुदाय के पास शिक्षा के अवसरों की कमी हैं। सरकारी और निजी उद्योगों में भी उसकी आबादी के अनुपात के अनुसार उसका प्रतिनिधित्व काफी कम है। सरकारी डाटा का ताजा विश्लेषण दर्शाता है कि अभी भी स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं आया है। 2013 के बाद सरकार ने धर्म के आधार पर डाटा बनाना बंद कर दिया है। उच्च शिखर पर स्थापित मुस्लिम नेताओं की संतुष्टि से भारत का संपूर्ण मुसलमान मतैक्य नहीं रखता, उनका मानना है कि मुसलमानों के साथ अभी भेदभाव खत्म नहीं हुआ है मोब लिंचिंग व दंगों के समय पुलिस की साम्प्रदायिक वृति अभी भी नेताओं के दावों पर प्रश्न चिन्ह लगाती हैं। हाल ही में मुसलमानों की हालत के मद्देनजर पूर्व उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी की अभिव्यक्ति भी संतोषजनक नहीं हैं।

भारत के मुसलमानों का वैश्विक स्तर पर तुलनात्मक अध्ययन हमें इस बात को स्वीकार करने को बाध्य करता है कि अन्य मुस्लिम देशों विशेषकर भारतीय उप महाद्वीप के देशों में भारत के मुसलमानों की हालत सर्वश्रेष्ठ है, जहां वे सुखी, खुश व सम्पन्न है। श्री गुलाम नबी आजाद की स्वीकारोक्ति के बाद ये मुद्दा देश में चर्चा और बहस का ताजा विषय हैं। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ लेखक श्री वेद प्रताप से पिछले दिनों हुईँ मेरी मुलाकात में उन्होंने अपनी दुबई यात्रा के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि उन्होंने जब एक उद्बोधन में अमीर की उपस्थिति में इस बात को प्रतिपादित किया कि भारत का मुसलमान दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है खुश व सुखी हैं, तो उपस्थित भारतीय मुसलमानों ने ताली की घरघराहट से उनका स्वागत किया, लेकिन उपस्थित अरबों की भोंहें तन गयी। परंतु संपूर्ण उद्बोधन सुनने के बाद संतुष्ट अमीर ने उन्हें अपने महल में आमंत्रित कर उनके साथ लंच किया और सम्मानित किया। कुल मिलाकर पिछले दिनों प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की आत्मीयता प्रदर्शन के बाद गुलाम नबी आजाद की अभिव्यक्ति ने मुसलमानों को उत्साहित कर एकता का सशक्त मंत्र फूका है, इसके मद्देनजर नज़र राष्ट्रीय एकता को प्रबल करने का काम और अधिक सार्थक तरीके से जमीनी धरातल पर व्यवहारिक तोर पर आगे बढ़ाना चाहिए। अन्यथा अपने ईश्वर पर भरोसा करने वाला मुसलमान हमेशा की भांति संतुष्ट व संयमित ही दिखाई देगा।

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