MP में महंगी हुई बिजली, अगले बिल में सौ रुपए की वृद्धि तय
इंदौर,10 अप्रैल (इ खबरटुडे)। बिजली की बढ़ी हुई दरें सोमवार से लागू हो गई। सोमवार और उसके बाद से होने वाली खपत पर घरेलु और अन्य तमाम श्रेणियों के तमाम उपभोक्ताओं को अब ज्यादा पैसा देना होगा। लागू हुई नई दरों के लिहाज से आम मध्यम श्रेणी के उपभोक्ता पर सबसे ज्यादा बोझ बढ़ता नजर आ रहा है। न्यूनतम खपत की स्लैब में आने वाले घरेलू उपभोक्ता के बिल में भी करीब सौ रुपए प्रतिमाह की वृद्धि होना तय माना जा रहा है।
नई दरों के हिसाब से आम घरेलु उपभोक्ताओं को चार स्लैब में बांटा गया है। सबसे छोटी स्लैब में 50 यूनिट प्रतिमाह तक खपत करने वाले उपभोक्ताओं को रखा है। इस स्लैब में भी 20 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है। 51 यूनिट से 100 यूनिट प्रतिमाह खर्च करने वाले उपभोक्ताओं की दूसरी स्लैब बनाई गई है।
इसमें 35 पैसे प्रति यूनिट दरें बढ़ाई गई है। 101 यूनिट से 300 यूनिट तक खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को तीसरी स्लैब में रखते हुए 40 पैसे प्रति यूनिट का बोझ डाला गया है। 300 यूनिट से ज्यादा खपत वाले उपभोक्ताओं की घरेलू श्रेणी में चौथी स्लैब बनाई गई है। इनके लिए सिर्फ 20 पैसे प्रति यूनिट दाम बढ़ाए गए हैं।
दो स्लैब में सबसे ज्यादा
आम शहरी घरेलू उपभोक्ताओं में ज्यादातर बीच की दो स्लैब में आते हैं। छोटे घर में सिर्फ रोशनी, टीवी और जरुरी उपकरणों का उपयोग करने वाले निम्म आय वर्ग उपभोक्ता के यहां भी महीने की खपत 50 यूनिट से ज्यादा होना तय है। जबकी निम्न मध्यम वर्ग वाले घर में जो बिना एयर कंडीशनर के सामान्य उपभोग कर रहा है उसके यहां भी सौ यूनिट से ज्यादा खपत सामान्य मानी जाती है। नई दर के लिहाज से सबको प्रभावित करने वाली इन दोनों श्रेणियों में प्रतिमाह बिल में 100 से 200 रुपए तक की बढ़ोत्तरी होना तय है।
एकेवीएन को करोड़ों का घाटा
आम उपभोक्ताओं पर बिजली की दर वृद्धि का बोझ डालने वाले नियामक आयोग ने पीथमपुर स्पेशल इकोनॉमिक जोन (सेज) के उद्योगों को लगातार तीसरे साल राहत दी है। एकेवीएन की दर वृद्धि याचिका को नामंजूर करते हुए पुरानी दरें यथावत रखी गई है। एकेवीएन ने 33 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव दिया था। सेज के उद्योगों को सिर्फ 3 रुपए 35 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है जो जारी रहेगी।
एकेवीएन ने इसे 4 रुपए 10 पैसे करने का प्रस्ताव दिया था। एकेवीएन के मुताबिक वह खुद 3 रुपए 75 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदता है और हर यूनिट पर 40 पैसे का घाटे के साथ अन्य खर्च मिलाकर उसे हर माह करीब 20 करोड़ का घाटा हो रहा है। देश के किसी भी सेज में दी जा रही यह सबसे सस्ती बिजली है। इसके बावजूद नियामक आयोग ने दर नहीं बढ़ाई। जबकी सेज के बाहर के उद्योगों को कम से कम 6 रुपए 50 पैसे प्रति यूनिट बिजली के लिए चुकाना पड़ रहे हैं।