MP में मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व कार्यक्रम में प्लेसमेंट की कोई व्यवस्था ही नहीं
भोपाल , 14 अप्रैल ( इ खबर टुडे) । जन अभियान परिषद के मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम पर महालेखाकार ने ऑडिट में सवाल उठाए हैं। सरकार ने कार्यक्रम तो शुरू किया पर इसमें प्लेसमेंट की कोई व्यवस्था ही नहीं रखी। छात्रों ने जो समय इस कोर्स को करने में लगाया, उसका कोई फायदा आजीविका के रूप में उन्हें नहीं मिला। करीब ढाई हजार छात्रों ने पाठ्यक्रम बीच में ही छोड़ दिया। आदिम जाति कल्याण विभाग ने कार्यक्रम के लिए जो रकम दी, परिषद ने उससे 57 लाख रुपए ज्यादा खर्च किए।
महालेखाकार ने रिपोर्ट में बताया कि 2015-16 से 2017-18 तक 89 अनुसूचित जनजाति विकासखंडों में सामुदायिक नेतृत्व कार्यक्रम के लिए नौ करोड़ 98 लाख रुपए रुपए दिए। परिषद ने इस अवधि में 10 करोड़ 56 लाख रुपए खर्च कर दिए।
जब इसका जवाब परिषद से मांगा गया तो सिर्फ यह बताया कि खर्च आवश्यक कामों की प्रतिपूर्ति के लिए किया गया। जब आदिम जाति कल्याण विभाग से राशि मिलेगी तो समायोजन कर दिया जाएगा। लेखा परीक्षण में यह पाया गया कि कार्यक्रम में जितने भी छात्र सफल हुए उन्हें सरकारी विभाग, गैर सरकारी या निजी संस्थाओं में प्लेसमेंट की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
इससे सरकार ने इस कार्यक्रम पर जो व्यय किया और छात्रों ने जो समय निवेश किया, उसका कोई प्रतिफल आजीविका के रूप में सुनिश्चित नहीं किया जा सका। सूत्रों का कहना है कि सरकार इस कार्यक्रम की समीक्षा कर इसे बंद भी कर सकती है, क्योंकि परिषद के उद्देश्यों में पाठ्यक्रम चलाना नहीं है।
ग्रामोद्योग विवि के साथ करार
पाठ्यक्रम चलाने के लिए जन अभियान परिषद और महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोद्योग विश्वविद्यालय के बीच अक्टूबर 2015 में करार हुआ। इसके तहत एक वर्ष में सोशल वर्क सर्टिफिकेट, दो वर्ष में डिप्लोमा और तीन साल में डिग्री दिए जाने का प्रावधान रखा। आदिवासी विकासखंड में होने वाला खर्च आदिम जाति कल्याण विभाग ने उठाया तो गैर आदिवासी विकासखंडों में परिषद ने अपनी ओर से यह कार्यक्रम चलाया।