December 23, 2024

गांव से लेकर फ्लाइट तक मिलेगा मोबाइल इंटरनेट, मस्क के रॉकेट से पहली बार लॉन्च हुआ ISRO का सैटेलाइट

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नई दिल्ली,19नवंबर(इ खबर टुडे)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पहली बार अमेरिकी कारोबारी एलन मस्क (Elon Musk) के मालिकाना हक वाली स्पेसएक्स (SpaceX) के फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से अपना कम्युनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च कर दिया। सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात इस सैटेलाइट को लॉन्च किया गया। इससे दूरदराज के इलाकों में ब्रॉडबैंड सर्विस मिलेगी. साथ ही फ्लाइट में पैसेंजरों को इंटरनेट की सुविधा भी मिल पाएगी।

भारत की स्पेस एजेंसी ने इस कम्युनिकेशन सैटेलाइट का नाम GSAT N-2 रखा है। इसे GSAT 20 भी कहा जाता है। GSAT-N2 की मिशन लाइफ 14 साल है। 4700 किलोग्राम वजन वाले इस कमर्शियल सैटेलाइट को अमेरिका के फ्लोरिडा के केप कैनावेरल में स्पेस कॉम्प्लेक्स 40 से लॉन्च किया जाएगा। इस लॉन्च पैड को SpaceX ने अमेरिका के स्पेस फोर्स से किराए पर लिया है, जो देश के आर्म फोर्स का एक स्पेशल विंग है। इसे 2019 में अपनी स्पेस प्रॉपर्टी को सुरक्षित करने के लिए बनाया गया था।

GSAT-N2 की खासियतें
-GSAT-20 सैटेलाइट को खासतौर पर दूरदराज के इलाकों में कम्युनिकेशन सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।

-यह अनिवार्य रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सुविधा देगा। ये सैटेलाइट 48Gpbs की स्पीड से इंटरनेट देगा।

-इस सैटेलाइट से अंडमान-निकोबार आईलैंड, जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप सहित दूरदराज के भारतीय क्षेत्रों में कम्युनिकेशन सर्विस मिलेगी।

-इसमें 32 नैरो स्पॉट बीम होंगे। 8 बीम पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए होंगे, जबकि 24 वाइड बीम बाकी भारत के लिए डेडिकेडेड हैं। इन 32 बीमों को भारतीय भू-भाग के भीतर स्थित हब स्टेशनों से सपोर्ट मिलेगा। केए बैंड हाई-थू्रपुट कम्युनिकेशन पे-लोड की क्षमता लगभग 48 GB प्रति सेकेंड है। यह देश के दूर-दराज के गांवों को इंटरनेट से जोड़ेगा।

-GSAT-N की 80% कैपेसिटी प्राइवेट कंपनी को बेची जा चुकी है। बाकी 20% भी एयरलाइन और मरीन क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों को बेची जाएगी।

-इस सैटेलाइट से केंद्र की ‘स्मार्ट सिटी’ पहल को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही फ्लाइट में इंटरनेट कनेक्टिविटी को सुविधाजनक बनाने में भी मदद मिलेगी।

अभी भारत के रॉकेट्स में 4 टन से ज्यादा भारी सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की क्षमता नहीं है। इसलिए ISRO ने एलन मस्क की स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया। इससे पहले ISRO हेवी सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए फ्रांस के एरियनस्पेस कंसोर्टियम पर निर्भर था।

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