Mazar Jihad : रतलाम में भी चल रहा है मज़ार जिहाद,अवैध और नकली मजारों ने दबाई करोड़ों की बेशकीमती सरकारी जमीनें,प्रशासन बेखबर
रतलाम,08 अप्रैल (इ खबरटुडे)। उत्तराखण्ड में अरबों रु. की सरकारी जमीनों को नकली और अवैध मजारें बनाकर कब्जा करने का मामला हाल ही के दिनों में सामने आया है। रतलाम भी इस मामले में पीछे नहीं है। अकेले रतलाम शहर में ही करोडों की सरकारी जमीनों पर इसी तरह की नकली और अवैध मजारें बनाकर कब्जा किया गया है।
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा राज्य में सरकारी जमीनों पर बनी मजारों का जब सर्वे कराया गया,तब पता चला कि अरबों रु. कीमत की सरकारी जमीनों को नकली मजारें बना कर कब्जा कर लिया है। इस सर्वे के बाद उत्तराखण्ड सरकार ने कई नकली मजीरों को बुलडोजर चला कर ढहा दिया। बुलडोजर चलने पर पता चला कि इन नकली मजारों के अन्दर मानव शरीर का कोई अंश तक नहीं था।
रतलाम जिले के हालात भी इसी तरह के है। मजार जेहाद रतलाम में भी जोरों पर चलाया जा रहा है। इसकी प्रक्रिया बेहद धीमी गति से चलाई जाती है। सबसे पहले चयनित सरकारी जगह पर कुछ ईंटे रख कर उस पर हरा कपडा लगा दिया जाता है। कुछ हफ्तों तक इसी तरह का दृश्य बना रहता है। इसके बाद धीमे से इन ईंटों को चूने और सीमेन्ट से एक छोटी सी मजार का रुप दे दिया जाता है और फिर इस पर हरा रंग पोत कर हरा झण्डा भी लगा दिया जाता है। फिर धीरे धीरे इसका आकार बढने लगता है और कुछ वर्षों के बाद यहां किसी नकली बाबा का उर्स शुरु हो जाता है,जिसमें कुछ गिनती के लोग इकट्ठे होते है।
रतलाम शहर को देखिए तो बंजली के समीप बनाई गई एक दरगाह इसका ज्वलन्त उदाहरण है। बंजली रोड पर मेडीकल कालेज के सामने की ओर कुछ वर्षो पहले एक छोटी सी मजार बनाई गई थी। फिर धीरे से इसकी बाउण्ड्री बनाई गई। इसके बाद इस मजार के उपर पक्का निर्माण कर इसे दरगाह का रुप दे दिया गया। आज ये दरगाह सडक के किनारे एक बडे भूखण्ड पर कब्जा जमा चुकी है। इस दरगाह पर आजकल “हजरत मस्तान शाह बाबा एरोड्रम इंदौर वाले” का बोर्ड लगा दिया गया है। कोई भी ये नहीं जानता कि “हजरत मस्तान शाह बाबा एरोड्रम इंदौर वाले” कौन था? ये कथित कब रतलाम आया ? इस बाबा की मृत्यु कब हुई और किसने इसे कब दफनाया? सवाल ये भी है की इंदौर एरोड्रम वाला कोई बाबा बंजली हवाई पट्टी के नजदीक ही क्यों आया? शुरुआत में यह एक छोटी सी दरगाह थी जैसे किसी नन्हे बच्चे को दफनाया गया हो। वक्त गुजरने के साथ इसका आकर कैसे बढ़ गया? इतना ही नहीं इस नकली मजार के निर्माण को लेकर प्रशासन को शिकायतें भी की जा चुकी है,लेकिन प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। जबकि वास्तविकता यह है कि यदि इस मजार की खुदाई कराई जाए,तो यह तय है कि इसके नीचे किसी मानव अंग का कोई अंश तक नहीं मिलेगा।
शहर के कई स्थानों पर इस तरह की मजारें देखी जा सकती है। गोन्दडे की पुलिया के नीचे भी इसी तरह की एक नकली मजार देखी जा सकती है। शहर के कई ईलाकों में इस तरह की नकली मजारें मौजूद है। शहर में इस तरह की कई नकली मज़ारो पर बड़ी संख्या में हिन्दू धर्मावलम्बी भी जाते हुए देखे जा सकते है। वे यह भी नहीं जानते कि यह मज़ार वास्तव में किसकी है ? लेकिन फिर भी वे अंधश्रद्धा के चलते वहा जाते है।
मजार जेहाद का एक उदाहरण जिले के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल देवझर में भी देखा जा सकता है। देवझर में अत्यन्त दर्शनीय झरना,प्राचीन गुफाएं,प्राचीन भित्ति चित्र और मन्दिर है। लेकिन कुछ समय पूर्व यहां भी इसी तरह के प्रयास देखे गए थे। कुछ अज्ञात तत्वों ने नदी के बीचोबीच बने टीले पर कुछ ईंटे रख कर उस पर हरा कपडा लगा दिया था और वहां एक हरा झण्डा भी लगा दिया गया था।
रतलाम से देवझर घूमने गए कुछ पत्रकारों ने जब इसे देखा,तो उन्होने तत्काल इन ईंटों और झण्डे को वहां से हटा दिया था। इस दर्शनीय स्थल पर नकली मजार बनाने के प्रयास फिर से किए जा सकते है।