April 28, 2024

Raag Ratlam Loud Speaker : दिन में पांच बार भोंगलों की चीखपुकार लेकिन इंतजामिया के अफसरों का ‘डर’ है कि जाता नहीं ; ‘माझी’ की मेहरबानी से सडकों पर दौड रही मौत

रतलाम। सूबे के नए मुखिया ने कामकाज सम्हालते ही पहला फरमान भोगंलों यानी लाउड स्पीकरों को हटाने का जारी किया था। सूबे के तमाम जिलों के अफसरों को साफ साफ कहा गया था कि दिन में पांच पांच वक्त चीखने वाले सारे के सारे भोंगलों को फौरन हटा दिया जाए। इस फरमान का असर कई जगहों पर हुआ लेकिन यहां रतलाम के जिला इंतजामिया के अफसरों का डर उन पर हावी है। यहां इस फरमान का कोई असर अब तक नजर नहीं आ रहा है।

सूबे के मुखिया का फरमान आए को महीनों गुजर चुके है। फरमान आने के शुरुआती एक दो दिनों में तो अफसरों ने तो थोडी सक्रियता दिखाई थी,लेकिन उसमें भी उन्होने कलाकारी कर दी थी। सूबे के मुखिया का पहला फरमान था,बिना इजाजत के लगे भोंगलो को जब्त कर लिया जाए। दूसरा फरमान ये था कि अगर भोंगले इजाजत लेकर चलाए जा रहे हों,तो भी उनकी आवाज उस लेवल तक कम करवाई जाए,जो लेवल मुल्क की सबसे बडी अदालत ने तय किया है। जिला इंतजामिया के अफसरों ने पहले वाला फरमान तो सीधे सीधे अनसुना कर दिया और सीधे दूसरे फरमान को सुन लिया।

उन्होने जिले की तमाम तहसीलों में धर्मगुरुओं को बुलाकर सूबे के मुखिया का फरमान सुना दिया और सभी को आवाज कम करने का हुक्म दे दिया। मीटींग में आए लोगों में घण्टे घडियाल वाले धर्मस्थानों के धर्मगुरुओं ने तो हुक्म की तामील कर दी,लेकिन दिन में पांच बार चीखने वाले धर्मस्थलों के जालीदार गोल चोपी वाले धर्मगुरुओं ने एक दो दिन आवाज कम करने के बाद फिर से पहले वाला रवैया अख्तियार कर लिया। अब हालत ये है कि तमाम मजहबी स्थानों से रोजाना पांच बार भोंगलों के चीखने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। जिला इंतजामिया के अफसरों के बंगले उसी इलाके के नजदीक है जहां मजहबी स्थान दिन में पांच पांच बार भोंगलो से चीखते है,लेकिन अफसरों के कानों तक ये तेज आवाजें पंहुचती नहीं।

हद तो तब है जब हिन्दू जागरण मंच ने जिला इंतजामिया के बडे साहब से मिल कर उन्हे इस मामले में एक ज्ञापन भी दे दिया। ज्ञापन में बड़े साहब को बताया गया कि जिले भर में मजहबी स्थानों पर भोंगले बेहद तेज आवाज में चीख रहे है और मुल्क की सबसे बडी अदालत के आदेश की अवहेलना कर रहे है। यही नहीं बडे साहब को ये भी बताया गया कि खुल में मांस बेचा जा रहा है,अवैध कत्लखाने चलाए जा रहे है। इसके अलावा कई बेशकीमती सरकारी जमीनों पर मजारें बनाकर जमीनों को कब्जाया जा रहा है। सूबे के मुखिया के फरमान में इन तीनों ही बातों का जिक्र था। जिला इंतजामिया के बडे साहब ने तमाम बातें सुन ली,लेकिन कमाल देखिए कि इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नजर नहीं आई है।

सवाल ये पूछा जा रहा है कि मुल्क की सबसे बडी अदालत के आदेश और सूबे के मुखिया के फरमान के बावजूद भोंगले हटाए क्यो नहीं जा रहे है? जवाब ये दिया जा रहा है कि जिला इंतजामिया के अफसरों को जालीदार गोल टोपी वालों से डर लगता है। पहले तो ये डर पंजा पार्टी के खद्दरधारी नेताओं की वजह से लगता था,लेकिन अब फूल छाप पार्टी की सरकार होने के बावजूद उनका ‘डर’ बरकरार है। उनका ‘डर’ है कि दूर होने का नाम ही नहीं ले रहा। ‘डर’ है कि जाता नहीं।

अब जरुरत इस बात की है कि फूल छाप पार्टी के सरकार चलाने वाले नेता इन अफसरों के इस डर को दूर करवाए,तभी जाकर शहर के लोगों को इन कानफोडू भोंगलों की चीख पुकार से राहत मिल सकेगी।

सडकों पर एक गांव से दूसरे गांव तक जाने वाली सड़कों पर मौत को दौडते हुए देखा जा सकता है। इन सडकों पर चलने वाली जीपों और दूसरे वाहनों में जानवरों की तरह लोग ठूंसे जाते है और ये गाडियां अन्धाधुन्ध गति से दौडती है। गाडियों की छतों पर लोग बैठे होते है,दरवाजों से बाहर लटके होते है। गाडियोंवाले महकमे के तमाम नियम कायदों को ताक पर रख कर लोगों को गाडियों में ठूंसा जाता है।

कहीं एकाध हादसा होता है,तो गाडियों वाले महकमे के अफसर एक दो दिन सड़क पर नजर आते है। इसके बाद वे फिर से अपनी वसूली में व्यस्त हो जाते है। स्कूली बच्चों को ढोने वाली गाडियो की हालत भी खराब हो रखी है,लेकिन गाडियों वाले महकमे के अफसरों की जेब गर्म होते ही उनकी आंखे बन्द हो जाती है और फिर उन्हे कुछ भी गडबड नजर नहीं आती।

गाडियों वाले महकमे को चलाने वाले साहब पिछले कई बरसों से इस महकमे के ‘माझी’बने हुए है। महकमे के इस ‘माझी’ ने वसूली के पिछले तमाम रेकार्ड तोड दिए है। जेब गर्म होते ही ये साहब कण्डम हो चुके वाहनों को भी अच्छी फिटनेस का सर्टिफिकेट जारी कर देते है। इतना ही नहीं नन्हे बच्चो को लाने जे जाने वाले कई कण्डम हो चुके स्कूली वाहन भी इनकी मेहरबानी से फिटनेस सर्टिफिकेट लेकर धडल्ले से दौड रहे है। गाडियों वाले महकमे के इस ‘माझी’की वजह से सड़कों पर मौत को दौडते हुए देखा जा सकता है।

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