December 27, 2024

Forge Registry : लोकेन्द्र भवन फिर चर्चाओं में,जालसाजी कर रजिस्ट्री कराए जाने का आरोप,प्रकरण दर्ज करने की मांग

hare vruksh lokendra

रतलाम,12 जुलाई (इ खबरटुडे)। तमाम तरह के विवादों और गडबडियों को लेकर चर्चित रही रतलाम राजवंश की बेशकीमती धरोहर लोकेन्द्र भवन को लेकर फिर से एक सनसनीखेज दावा सामने आया है। दावा किया गया है कि लोकेन्द्र भवन की रजिस्ट्री, दस्तावेजों में हेरफेर और जालसाजी करके करवाई गई है। इसके लिए हाईकोर्ट के आदेश को भी अवैधानिक रुप से परिभाषित कर लिया गया। वर्तमान में लोकेन्द्र भवन के एक भाग में निर्माण कार्य किया जा रहा है। अगर जालसाजी से रजिस्ट्री का आरोप सही साबित हो जाता है,तो लोकेन्द्र भवन की कानूनी स्थिति भी पूरी तरह बदल सकती है।

कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को की गई एक शिकायत में शिकायतकर्ता ने अधिकृत दस्तावेजों के आधार पर लोकेन्द्र भवन की रजिस्ट्री में जालसाजी का आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा है कि लोकेन्द्र भवन की रजिस्ट्री इन्दौर उच्च न्यायालय में विक्रेता रणवीरसिंह और क्रेता सुभाष जैन की संयुक्त याचिका में दिए गए आदेश पर की गई थी। दोनो याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट मेें याचिका दायर करके कहा था कि उनके मध्य हुुए विक्रय अनुबन्ध पत्र को रजिस्टर्ड नहीं किया जा रहा है। अत: इस विक्रय अनुबन्ध को रजिस्टर्ड करने का आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के पश्चात उक्त दोनो याचिकाकर्ताओं के मध्य हुए विक्रय पत्र को रजिस्टर्ड करने के आदेश दिए थे।

शिकायतकर्ता राजेन्द्र सिंह ने अपनी शिकायत में कहा है कि इस विक्रय अनुबन्ध पत्र को याचिका के विचाराधीन रहने के दौरान रजिस्टार कार्यालय में प्रस्तुत किया गया था,जिसे रजिस्टर्ड कार्यालय में होल्ड पर रखते हुए रजिस्टार कार्यालय की मिनटबुक में क्र.519 दि. 31.03.07 पर दर्ज भी किया गया था। इन्दौर हाईकोर्ट के दिनांक 31 जुलाई 2007 को पारित आदेशानुसार मिनटबुक में करीब 4 माह पूर्व दर्ज इसी दस्तावेज को रजिस्टर्ड किया जाना था,लेकिन जब वास्तव में रजिस्ट्री हुई तो मिनटबुक में दर्ज दस्तावेज बदल चुका था। मिनट बुक में दर्ज दस्तावेज में विक्रेता रणवीर सिंह और क्रेता के रुप में सुभाष जैन के नाम थे,लेकिन जब रजिस्ट्री हुई तो क्रेता सुभाष जैन के स्थान पर सुवि इन्फो कन्सल्टेन्ट नामक कंपनी बन चुकी थी।

शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में बताया है कि इस तथ्य की पुष्टि रजिस्ट्री से भी होती है,क्योंकि रणवीरसिंह और सुभाष जैन के मध्य संपादित हुए विक्रय अनुबन्ध को मिनट बुक में दर्ज किए जाने का उल्लेख रजिस्ट्रार ने मूल दस्तावेज में भी किया है और इतना ही नहीं हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश को भी इस रजिस्ट्री का भाग बनाया गया है। रजिस्ट्री के मूल दस्तावेज के दूसरे पृष्ठ पर स्वयं रजिस्ट्रर ने पृष्ठांकन करते हुए इन सारे तथ्यों का उल्लेख किया है।

शिकायतकर्ता ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक रणवीरसिंह और सुभाष जैन के मध्य हुए विक्रय अनुबन्ध पत्र को रजिस्टर्ड किया जाना था,लेकिन विक्रेता,क्रेता और रजिस्टार कार्यालय के तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत से कार्यालय की मिनटबुक में दर्ज दस्तावेज को जालसाजी पूर्वक बदल दिया गया और लोकेन्द्र भवन की रजिस्ट्री सुवि इन्फो कन्सल्टेन्ट नामक कंपनी के पक्ष में कर दी गई। इस कंपनी को बाद में शहर के चर्चित भू माफिया राजेन्द्र पितलिया ने खरीद लिया और कंपनी के डायरेक्टर की हैसियत हासिल कर ली।

शिकायतकर्ता ने कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को शिकायत कर जालसाजी से रजिस्ट्र्ी करवाने के मामले में दोषी समस्त सम्बन्धित व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds