January 11, 2025

रतलाम-दाहोद रेल लाइन के 37 किमी में सफल रहा कवच ट्रायल, एक ही ट्रैक पर ट्रेन आमने-सामने होने पर लग जाएंगे ऑटोमेटिक ब्रेक

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रतलाम,30 नवम्बर(इ खबर टुडे)। दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर ट्रेनों की स्पीड 160 किमी प्रति घंटा करने के लिए ‘मिशन रफ्तार’ में ब्रिजों की मरम्मत, ओएचई रख-रखाव, सिगनलिंग सिस्टम में सुधार, कर्व री-अलाइनमेंट, एचबीम स्लीपर लगाने के साथ ही कवच सुरक्षा प्रणाली भी लागू की जा रही है। रतलाम रेल मंडल के रतलाम-दाहोद रेलखंड में बजरंगगढ़-बोरडी के बीच 37 रेल किमी के बीच कवच 4.0 का ट्रायल किया गया। लोको (इंजन) में कवच सिस्टम लगाने के बाद सभी इंतजाम परखे गए।

सुबह रेलवे स्टेशन पर डीआरएम रजनीश कुमार ने लोको का निरीक्षण करने के बाद ट्रायल शुरू करवाया। इसके बाद दोपहर तक अप व डाउन दोनों लाइन पर ट्रायल पूरा किया गया।

90 लोको के साथ 789 किलोमीटर पर काम जारी
वर्तमान में वडोदरा-अहमदाबाद खंड सहित मुंबई सेंट्रल-नागदा खंड पर 90 लोको के साथ 789 किलोमीटर पर कवच का काम चल रहा है। इसमें से 503 किलोमीटर तक लोको परीक्षण हो चुका है।

90 में से 73 लोकोमोटिव पहले ही कवच प्रणाली से लैस किया जा चुका है। इससे पहले वडोदरा-रतलाम-नागदा सेक्शन (गैर ऑटोमेटिक सिगनलिंग सेक्शन) के 303 किलोमीटर में 173 पर लोको ट्रायल पूरा हो चुका था। मार्च 2025 तक काम पूरा होने की संभावना है।
रतलाम-चंदेरिया और नागदा-भोपाल सेक्शन पर भी कवच संस्करण 4.0 का प्रावधान किया जाएगा। इसमें 120.72 करोड़ रुपये की लागत आएगी। रतलाम रेलमंडल के 427.83 किलोमीटर के पूर्ण ब्लाक सेक्शन में यह प्रणाली लगाई जाएगी। चार दिसंबर तक टेंडर भरे जा सकेंगे।

आरडीएसओ ने तैयार किया
स्वचालित ट्रेन सुरक्षा तकनीक ”कवच” ट्रेन सुरक्षा और परिचालन दक्षता को बढ़ाती है। इसमें इंजन पर लगे सेंसर, जीपीएस सिस्टम से एक ही ट्रेक पर दो ट्रेनों के आमने-सामने आने पर स्वचालित ब्रेक लग जाते हैं। आरडीएसओ द्वारा विकसित कवच को ट्रेन टकरावों को रोकने, खतरे में सिगनल पासिंग से बचने में लोको पायलटों को सहायता मिलती है। ट्रेनें तय गति सीमा के भीतर चले और इसकी रियल टाइम निगरानी भी होगी। किसी भी सिग्नल का उल्लंघन करने पर डेटा रिकार्ड में आ जाएगा।

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