January 22, 2025
anita dasaani

साहित्य। माखन मटकी चोर हो या
सर मुकुट विराजे मोर
प्रेम के सागर हो या
गीता ज्ञान की गागर
कारागार में जन्म लिया
या बंधन मुक्तिदाता
गइयों के ग्वाला हो या
दुर्जन विष का प्याला
हो धरती के मानव या
कोई योगेश्वर महामानव
राधा के हो प्रियतम या
कोई अपरिभाषित चिंतन
यशोदा का नटखट लाल हो या
द्रौपदी चीरहरण की ढाल
मोह लेते हो मन सबका
तुम बाँसुरी बजाते हो
रास रचाते गोपियों संग
मनमोहन बन जाते हो
वक्त पड़े तो सुदर्शन चक्र से
राह नई दिखाते हो
रुक्मणि पति हो अनुरागी
कब वैरागी बन जाते हो
ब्रह्मांड के विराट स्वरूप से
आत्म चिंतन जगाते हो
हे पूरण परमात्मा तुमको
कोटि कोटि नमन
है सर्वात्मा तुमको
बारम्बार नमन

अनिता दासानी ‘अदा’

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