December 25, 2024

राजा बनना एक अधिकार नहीं बल्कि कर्तव्य का नाम- विधायक काश्यप

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-आचार्य चाणक्य स्मृति दिवस मना
-नागरिको की सेवा के लिए सम्मान

रतलाम 10 जनवरी (इ खबर टुडे)। आचार्य चाणक्य के अनुसार राजा को धर्म और जाति से ऊपर उठकर समभाव में रहना चाहिए, राजा बनना एक अधिकार नहीं बल्कि कर्तव्य का नाम है । आचार्य चाणक्य ने राजा को एक व्यवस्था माना है । एक ऐसी व्यवस्था जो समभाव से सबके लिए न्यायसंगत विकास तय करे ।उक्त विचार मुख्य अतिथि विधायक चैतन्य काश्यप ने सर्व ब्राह्मण समाज द्वारा आचार्य चाणक्य स्मृति दिवस पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में रखे ।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता तेजराम मांगरोदा ने कहा कि आचार्य चाणक्य दूरद्रष्टा थे । आने वाली विपत्तियों को वे पहले ही भाप लेते थे और उनसे निपटने के लिए कार्ययोजना बनाकर क्रियान्वित कर देते थे । आचार्य का मानना था कि यदि राजा जनता से संग्रहित कर को उपभोग में लगायेगा तो जनता को दुखी होना पड़ेगा, इसलिए राजा को जनता के पैसो का सदुपयोग कर निरंतर जनता की भलाई में लगना चाहिए ।

कार्यक्रम संयोजक पुष्पेन्द्र जोशी ने कहा कि अखंड भारत के नायक आचार्य चाणक्य सामाजिक समरसता के सदैव पक्षधर रहे है| हमें उनसे प्रेरणा लेकर जाति, वर्ण, धर्म के नाम पर समाज को विभाजित करने वालो से बचना चाहिए ।

इस अवसर पर सर्व ब्राह्मण समाज रतलाम द्वारा विधायक चैतन्य काश्यप का अभिनन्दन किया गया । समाज प्रमुखों ने उनके द्वारा किये गए विकास कार्यों एवं कोरोना काल में उनकी सक्रियता तन, मन एवं धन से शहर के नागरिको की गई सेवा के लिए सम्मान किया । संयोजक पुष्पेन्द्र जोशी ने कहा की ब्राह्मणों को सदेव सत्य, धर्मं, कर्तव्यनिष्ठ एवं अच्छे कार्यो का सम्मान कर प्रोत्साहन देना चाहिए एवं असत्य, अधर्म, अन्याय का मुखर होकर विरोध करना चाहिए ।

इस अवसर पर पं. रामचंद्र शर्मा, पातीराम शर्मा, प्रकाश व्यास, प्रेम उपाध्याय, कन्हैयालाल मौर्य, लालचंद टांक, प्रभाकांत उपाध्याय, सत्यनारायण पालीवाल, विजय शर्मा, मनकामनेश्वर जोशी, सुशील नागर, हितेश कामरेड, नंदकिशोर उपाध्याय, राजेश तिवारी, अशोक शर्मा, सत्येन्द्र जोशी, अनित पण्डे, भवानी शंकर मोड़, गौरी शंकर खीची, नर्मदाशंकर भट्ट, सत्यदीप भट्ट, सुरेश जोशी, जितेन्द्र भट्ट, हरिवंश शर्मा, बद्रीलाल शर्मा, राजेंद्र दुबे, कमल तिवारी, लखन उपाध्याय, जनक नागल आदि उपस्थित थे| कार्यक्रम का संचालन ब्रजेन्द्र नंदन मेहता ने किया एवं आभार पं. रामचंद्र शर्मा ने माना ।

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