October 12, 2024

कमलनाथ का देवीय जुमला बन गया है ” कई विधायक मेरे संपर्क में है”

-चंद्र मोहन भगत

प्रदेश की राजनीति के असफल पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का जुमला देवीय शक्ति जैसा वाक्य बन गया है कि भाजपा के कई विधायक मेरे संपर्क में है। इसे मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा ही माना जाना चाहिए जिस राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से कमलनाथ विधायक बन मुख्यमंत्री बने थे उसी पार्टी के विधायक उनसे सार्वजनिक तौर पर संपर्क तोड़ भाजापा में समा गए थे । जो नाथ इतनी काबिलियत भी नहीं रखते हो कि उनके अपने दल के विधायक उनके संपर्क में नहीं रह पाए ऐसे में नाथ से दूसरे दल के विधायक कैसे संपर्क बनाए रख सकते हैं ?

ऐसा लग रहा है जैसे कमलनाथ कांग्रेस हाईकमान को इस भ्रम में उलझाए रख खुद को बचे हुए सिरमौर कांग्रेसी नेताओं में भी सर्वश्रेष्ठ दर्शाना चाहते हैं । खुद को सेवानिवृत्ति से बचाए रखने के लिए बार-बार इस जुमले को सार्वजनिक कर रहे हैं कि भाजपा के विधायक उनके संपर्क में हैं याने वही मुंगेरीलाल का सपना कि संपर्क वाले विधायक की संख्या मिलाकर मध्य प्रदेश में फिर से कांग्रेसी सरकार बनाकर राहुल और सोनिया गांधी को तोहफा देने वाले हैं । इसे कोरी गप्प कहानी या सपना समझने सुनने वालों के मन में एक सामान्य सा प्रश्न भी बिना समय गवाएं पैदा हो जाता है कि जब नाथ के संपर्क में भाजपा के विधायक हैं तो बाजी पलट कर खुद ही सरकार बना क्यों नहीं रहे, क्या कांग्रेसी हाईकमान उन्हें इजाजत नहीं दे रहा है । या अपने ही मन का विश्वास कि कहीं दूसरी बार फिर से उनके अपने ही कांग्रेसी विधायक जो भाजपा के संपर्क में हैं उनको ही छोड़ भाग जाएं ।

जिस तरह का प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य बना हुआ है उसे तो यही लग रहा है कि अभी और भी कांग्रेसी विधायक अपना दल छोड़ भाजपा में शामिल हो सकते हैं जो भी होगा सामने आएगा पर जो कमलनाथ के बार-बार के बयान कि भाजपा विधायक उनके संपर्क में को कोई भी यहां तक कि कांग्रेसी भी शगुफा ही मान रहे हैं । अब तो यह दावा भी किया जाने लगा है कि कमलनाथ के जुमले के कारण कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में हताशा का वातावरण बढ़ेगा जबकि भाजपाई विधायकों में जीत के प्रति उत्साह और विश्वास बढ़ रहा है ।

भाजपा विधायक मेरे संपर्क में हैं इस जुमले के साथ कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस के नेता बने रहने संभावना भी समाप्त हो जाएगी क्योंकि यही विश्वास उन्होंने शीर्ष नेतृत्व को तब भी दिलाया था जब नाथ सरकार के ही भावी विधायक कांग्रेसी छोड़ भाजपा में चले गए थे । कांग्रेस हाईकमान अगर जनता का साथ हांसिल करने के लिए दल की रीति नीति और कार्य प्रणाली बदलने के लिए नए सिरे से व्यू रचना बनाने जा रही है तो ऐसे जुमलो को त्याग कर वस्तु स्थिति को स्वीकार भी करना पड़ेगा और व्यवहार में भी लाना होगा ।

कमलनाथन एक बार कह चुके हैं कि उनके विधायकों को बड़ी रकम देकर बगावत करवाई गई थी तो सवाल यह भी उठता है कि उनके संपर्क में जो भाजपा के विधायक हैं उनसे भी बगावत कराने के लिए बड़ी रकम खर्च करना पड़ेगी। ऐसा करने को गंदी राजनीति बता ऐसा करने से इनकार भी करते हैं। तब क्या इस जमाने में विधायक भाजपा से बगावत कर के आदर्शों के भरोसे नाथ के साथ आएंगे ! या फिर अगर कमलनाथ अपनी अच्छी राजनीति का हवाला देकर सिर्फ जुमले को जिंदा रखना चाहते हैं और खुद को भी बनाए रखना चाहते हैं । कमलनाथ ये दावा तो तब भी कर रहे थे जब अविश्वास प्रस्ताव पेश हो रहा था कि कई विधायक उनके संपर्क बनाए हुए हैं हकीकत कमलनाथ की तरह ही राजनीतिक जगत को मालूम थी । इनसे सभी नाराज विधायक भाजपा समर्थक हो गए थे इनका दावा तब भी जुमला था आज भी जुमला ही है । इनके समर्थन में बाहर से तो कोई आया नही उल्टे इनके विधायक घट चुके थे पर नाथ के सपनों को कोई कैसे रोक सकता है अपने ही बचे हुए विधायकों पर भी नाथ कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं ।

जीतू पटवारी विधान सभा के मंच पर सरकार के विरुद्ध अपनी शैली में आवाज उठाते हैं और अमल भी अकेले ही करते हैं जबकि कमलनाथ विपक्ष के नेता की हैसियत से पटवारी के तरीके को खारिज करते हैं । जिस नेता में अपनों को ही एक बनाए रखने की कूवत ना हो उसके संपर्क में सत्ताधारी दल के विधायक कैसे हो सकते हैं कमलनाथ की बात मान भी लें तो क्या यह माना जाए कि अब खुद कांग्रेसी सरकार को अस्तित्व में आगे नहीं आने नहीं देना चाहते हैं । इस एक जुमले का अनेकों बार जिक्र करने के बाद भी असमंजस क्यों बनाए रखें हैं क्यों प्रदेश में भाजपा की सरकार चलने दे रहे हैं । बाहर हाल नाथ के संपर्क वाले विधायक नाथ के आदर्शों के साथ भाजपा की सरकार में ही सुरक्षित रहेंगे और नाथ का जुमला हो सकता है इसका निरीक्षण परीक्षण कराने की हिम्मत नीतिकार कर पाएं ऐसा आभास भी संभव नहीं है क्योंकि बंदर बांट नीति पर अब तक भरोसा करने वाला दल ऐसा सच क्यो उजागर करेगा जिसमें उनके नेता की जुमलेबाजी उजागर हो जाए ? हो सकता है कि प्रशांत किशोर की इंट्री जुमलेबाजों के कारण न हो सकी हो !

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