November 22, 2024

Taliban’s new decrees: सरकारी कर्मचारियों के लिए दाढ़ी रखना अनिवार्य, पुरुष रिश्तेदार के बिना महिलाओं को प्लेन में चढ़ने की इजाजत नहीं

काबुल,29मार्च(इ खबर टुडे)। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे को करीब 9 महीने बीत चुके हैं। लेकिन वहां के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। वहां लोगों को गरीबी और भुखमरी जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच तालिबान हुकूमत ने नया फरमान जारी कर सरकारी कर्मचारियों के लिए दाढ़ी रखना अनिवार्य कर दिया है। सोमवार को बिना दाढ़ी वाले सरकारी कर्मचारियों को आफिस आने से रोक दिया गया इसके साथ ही उनके ड्रेस कोड की भी जांच की गई। अफगानिस्तान के धार्मिक मंत्रालय ने सरकारी कर्मचारियों को दाढ़ी न हटाने और स्थानीय पोशाक जिसमें लंबा और ढीला कुर्ता पायजामा पहनने का आदेश जारी किया है।

एक अन्य आदेश में एयरलाइंस से कहा गया है कि अगर महिलाओं के साथ कोई पुरुष रिश्तेदार न हो उन्हें फ्लाइट में चढ़ने से रोक दिया जाए। इससे पहले एक जारी एक आदेश में महिला और पुरुषों के एक ही दिन अम्यूज्मेंट पार्क जाने पर रोक लगा दी गई थी।

अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान महिलाओं को लेकर कई अजीब फरमान जारी कर चुका है। इनमें के महिलाओं के अकेले सफर करने पर मनाही और स्कूल न जाने के आदेश शामिल हैं। इसके अलावा दुकानों के बाहर से महिलाओं की तस्वीर वाले बोर्ड हटा दिए गए थे। तालिबान इन सब के पीछे इस्लामी नियमों का हवाला देता है।

तालिबान ने अफगानिस्तान पर 1996 से 2001 तक शासन किया था। इस दौरान महिलाओं की स्थिति बेहद चिंताजनक थी।

महिलाओं और लड़कियों को काम करने और स्कूल/कॉलेज जाने की आजादी नहीं थी। साल 2000 में अफगानिस्तान में एक भी लड़की स्कूल नहीं जाती थी।
छोटी-छोटी बच्चियों को भी बुर्का पहनना जरूरी था। महिलाएं अकेले घर से बाहर नहीं निकल सकती थी। घर से बाहर जाने के लिए अपने साथ किसी पुरुष को ले जाना होता था।
महिलाओं को ऊंची हील पहनने पर पाबंदी थी।
पर्दा इतना सख्त था कि महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर बात तक नहीं कर सकती थीं, ताकि उनकी आवाज कोई दूसरा पुरुष न सुने।
अखबारों, किताबों, दुकानों और घरों में महिलाओं की फोटो लगाने पर पाबंदी थी। महिलाओं के नाम पर किसी भी सार्वजनिक जगह के नाम नहीं रखे जाते थे।
इन नियम-कायदों को तोड़ने पर महिलाओं को सख्त सजा दी जाती थी। उन्हें सार्वजनिक जगहों पर पत्थरों से मारा जाता और शरिया कानून के मुताबिक सजा दी जाती थी।

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