Hari-Har “Hari” : आधी रात में हरि-हर मिलन में “हर” ने सौंपा “हरि” को सृष्टि का भार, रात 11 बजे महाकाल मंदिर से रजत पालकी में सवार हो “हर” पहुंचे “हरि” के गोपाल मंदिर
उज्जैन,07 नवम्बर(इ खबर टुडे/ब्रजेश परमार)। रविवार को वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व उत्साह से मनाया जाएगा। वर्ष में एक बार रात में बाबा महाकाल की सवारी परंपरागत रूप से निकलेगी। अर्धरात्रि में हरि और हर का मिलन गोपाल मंदिर में होगा। मान्यता अनुसार हर यानिकी भगवान महाकाल सृष्टि का भार श्री हरि को सौंपतें हैं। इसके साक्षी हजारों भक्त हुए। इस दौरान आतिशबाजी की गई।
रविवार को रात 11 बजे भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर से रजत पालकी में सवार होकर श्री सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट के श्री गोपाल मंदिर पहुंचे। यहां परंपरागत हरिहर मिलन हुआ।गोपाल मंदिर के गृभगृह में दोनों को आमने सामने बैठाया गया। इसके बाद स्वागम में भगवान श्री हरि की और से तुलसी दल की माला पहनाकर भगवान हर का स्वागत किया गया। भगवान हर की और से बिल्वपत्र की माला भेंटकर स्वागत किया गया। मध्यरात्रि 12 बजे त्रयोदशी और चतुर्दशी के महासंयोग में सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट के प्रसिद्ध गोपाल मंदिर में हरि हर मिलन हुआ। इसके बाद परंपरागत पूजन किया गया।यहां हर (भगवान महाकाल) हरि (गोपालजी) को पुन: सृष्टि का भार सौंपा। मान्यता अनुसार चातुर्मास के दौरान जब भगवान विष्णु शयन मुद्रा में होते हैं तक सृष्टि का भार भगवान शिव संभालते हैं। देव प्रबोधिनी एकादशी पर विष्णु योग निद्रा से जाग्रत होते हैं। तो शिव सृष्टि का भार वापस सौंपते हैं। इस परंपरा का निर्वाह भव्य रूप से होता है।
कुछ ऐसा रहा हरि – हर मिलन
रविवार मध्य रात्रि को गोपाल मंदिर में सृष्टि के भार का आदान-प्रदान हुआ। भगवान शिव की ओर से भगवान श्रीकृष्ण को बिल्वपत्र की माला अर्पित की जाएगी जबकि भगवान कृष्ण की ओर से शिवजी को तुलसी की माला भेंट की गई। हरिहर मिलन सवारी के दौरान आतिशबाजी के साथ हिंगोट भी चलाए जाते हैं। प्रशासन ने इन पर प्रतिबंध लगाया था।हरिहर मिलन के दौरान समस्त प्रकार की आतिशबाजी और हिंगोट चलाने पर दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (1) के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए गए थे।