May 3, 2024

Consumer Forum : फसलबीमा योजना की नुकसानी नहीं देने के मामले में उपभोक्ता फोरम ने बैैंक व बीमा कंपनी को दिया मुआवजा देने का आदेश,मानसिक त्रास और वाद व्यय की राशि देने को भी कहा

रतलाम,03 फरवरी (इ खबरटुडे)। बेंक खाते से फसल बीमा योजना की किश्त काटने के बावजूद ग्यारह किसानों को बीमा कंपनी ने नुकसानी का मुआवजा नहीं दिया। ग्राम शिवपुर के नौ और नाकटवाडा के दो कुल ग्यारह किसानों ने जब बीमा राशि पाने के लिए उपभोक्ता न्यायालय की शरण ली,तो न्यायालय ने किसानों की बीमा राशि चुकाने के लिए बैैंक और बीमा कंपनी दोनो को उत्तरदायी माना। उपभोक्ता फोरम के विद्वान अध्यक्ष रमेशचन्द्र मावी ने बैैंक और बीमा कंपनी को संयुक्त रुप से सभी ग्यारह किसानों को फसल में हुए नुकसान का मुआवजा देने का आदेश दिया। साथ ही किसानों को हुए मानसिक त्रास और वाद व्यय की राशि देने का आदेश भी दिया।

किसानों की ओर से न्यायालय में पैरवी करने वाले अभिभाषक प्रकाश राव पंवार ने बताया कि वर्ष 2017 में ग्राम शिवपुर तहसील रतलाम के नौ किसान और ग्र्राम नाकटवाडा हल्का कोठडी तहसील ताल के दो किसान इस तरह कुल ग्यारह किसानों के बैैंक खाते से भारतीय स्टेट बैैंक ने फसल बीमा योजना की किश्त काट कर बीमा कंपनी आइसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्यौरेंस कंपनी लिमिटेड के खाते में जमा करा दी थी। किसानों ने अपने खेत में सोयाबीन की फसल बोई थी,लेकिन प्रकृतिजन्य कारणों से उनकी फसल पूरी तरह बरबाद हो गई। किसानों ने फसल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए जब इंश्योरैैंस कम्पनी के सामने क्लैम प्रस्तुत किया तो इंश्योरैैंस कंपनी ने उनके क्लैम इस आधार पर खारिज कर दिए कि इन सभी किसानों के गांवों में फसल को कोई नुकसान नहीं हुआ है।

जब किसानों ने मामले की जानकारी ली तो पता चला कि बैैंक ने बीमा की किश्त जमा करते समय आनलाइन पोर्टल पर किसानों के गांवों की जानकारी गलत दर्ज कर दी थी। ये किसान जिस गांव के थे,बैैंक ने उन का गांव कोई और दर्ज कर दिया। किसानों को जिस गांव का दर्शाया गया था,वहां फसल में कोई नुकसान नहीं हुआ था इसी आधार पर इन किसानों के क्लैम खारिज कर दिए गए। लेकिन वास्तविकता यह थी कि शिवपुर और नाकटवाडा दोनो हीं गांवों में फसलें पूरी तरह खराब हो गई थी।

एडवोकेट प्रकाशराव पंवार ने बताया कि जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष चले परिवाद में भारतीय स्टेट बैैंक की शिवपुर और नीली कोठी जावरा शाखाओं के प्रबन्धकों ने यह स्वीकार किया कि आनलाइन पोर्टल पर किसानों के गांव का विवरण गलत दर्ज हो गया था। दूसरी तरफ बीमा कंपनी आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने नुकसानी का मुआवजा देने की जिम्मेदारी बैैंक पर डालने का प्रयास किया। बीमा कंपनी का तर्क था कि बैैंक की गलती से किसानों के दावे अस्वीकृत हुए है,इसमें बीमा कंपनी की कोई गलती नहीं है,इसलिए बीमा राशि का भुगतान करने का उत्तरदायित्व बैैंक पर ही है।

जिला उपभोक्ता फोरम के विद्वान अध्यक्ष रमेशचन्द्र मावी ने दोनो पक्षों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और तर्को के अनुशीलन के पश्चात किसानों की परेशानी के लिए बैैंक के साथ साथ बीमा कंपनी को भी उत्तरदायी माना। विद्वान न्यायाधीश ने अपने निर्णय में कहा कि चूंकि बीमा कंपनी किसानों से फसल बीमा योजना की किश्त प्राप्त कर चुकी थी,इसलिए बीमा राशि के भुगतान के लिए बीमा कंपनी भी संयुक्त रुप से उत्तरदायी है।

अपने निर्णय में श्री मावी ने भारतीय स्टेट बैैंक की दोनो शाखाओं और बीमा कंपनी को साठ दिन के भीतर किसानों की मुआवजा राशि की गणना कर संयुक्त रुप से भुगतान करने के आदेश दिए है। अपने निर्णय में उन्होने स्पष्ट किया है कि इस बीमा राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 27 जून 2019 से आदेश दिनांक तक नौ प्रतिशत की दर से ब्याज भी दिया जाए। इसके साथ ही किसानों को हुए मानसिक त्रास के लिए तीन तीन हजार रु. और वाद व्यय के रुप में दो दो हजार रु. का भुगतान प्रत्येक किसान को किया जाए।

जिला उपभोक्ता फोरम में ग्राम शिवपुर के अजय कुमार पिता अशोक पाटीदार,कैलाशचन्द्र पिता हीरालाल पाटीदार,बाबूलाल पिता शंकरलाल पाटीदार,कांतिलाल पिता रत्तीलाल पाटीदार,देवेन्द्र पिता नानूराम गायरी,देवचन्द्र पिता नानूराम गायरी,रतनबाई पति मोहनलाल पाटीदार और बद्रीलाल पिता भेरुलाल पाटीदार तथा ग्राम नाकटवाडा के अमरसिंह पिता गोरधन डोडिया व जीतेन्द्र सिंह पिता बलवन्त सिंह डोडिया अभिभाषक प्रकाशराव पंवार के माध्यम से परिवाद प्रस्तुत किया था। एडवोकेट नीलेश शर्मा भी इस प्रकरण में उनके सहयोगी के रुप में उपस्थित थे।

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