Fake court decision:कोर्ट के फर्जी फैसले से बने आएएस संतोष वर्मा गिरफ्तार
इंदौर,11 जुलाई (इ खबर टुडे)। विशेष न्यायाधीश (सीबीआइ/व्यापमं) की कोर्ट के फर्जी फैसले से आइएएस बने संतोष वर्मा को 12 घंटे चली कड़ी पूछताछ के बाद पुलिस ने शनिवार रात गिरफ्तार कर लिया। वर्मा ने जज विजेंद्र सिंह रावत के आदेश और वकील एनके जैन का नाम लेकर बचने का प्रयास किया, लेकिन देर रात हुई सख्ती से टूट गया। अफसरों ने वल्लभ भवन (भोपाल) से अनुमति ली और करीब 12 बजे गिरफ्तारी ले ली। इस मामले में कोर्ट की ओर से ही 27 जून को एमजी रोड थाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कोतवाली सीएसपी हरीश मोटवानी के मुताबिक, वर्मा फिलहाल नगरीय एवं विकास प्रशासन विभाग में अपर आयुक्त है। पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर तलब किया था।
शनिवार सुबह 11.30 बजे वह वकील कपिल शुक्ला के साथ सीएसपी दफ्तर पहुंचा और कहा कि फर्जीवाड़े में उसका हाथ नहीं है। शुरुआत में उसने सवालों को टालने की कोशिश भी की और बोला, उसे तो वकील ने काल कर बताया था कि तुम्हारे विरुद्ध दर्ज प्रकरण का फैसला हो गया है। उसने नकल आवेदन लगाया और प्रतिलिपी ले ली।
पुलिस के प्रतिप्रश्न पर उलझ गया
पुलिस पहले तो वर्मा के बयान टाइप करती रही, लेकिन शाम को जब प्रतिप्रश्न किए गए तो वह उलझ गया। देर रात उसकी संलिप्तता की पुष्टि होते ही एमजी रोड थाना टीआइ डीवीएस नागर ने गिरफ्तार कर लिया। वर्मा ने भोपाल में पदस्थ अफसरों को काल करने का प्रयास किया, लेकिन उसका फोन सीएसपी पहले ही जब्त कर चुके थे।
वर्मा को पुलिस ने रात में उसके भाई-भाभी द्वारा लाया खाना खिलाया और एमजी रोड थाने की हवालात की सफाई भी कराई। वहां नई चादर भी बिछाई। तब पुलिसकर्मी कोतवाली थाने से हाथ पकड़ कर वर्मा को एमजी रोड थाने लाए।
आइएएस अवार्ड करवाने रचा षड्यंत्र्
आरोपि वर्मा राज्य प्रशासनिक सेवा का अफसर था। चार साल पहले हर्षिता ने उसके खिलाफ लसूड़िया थाना में केस दर्ज करवाया। यह मामला न्यायाधीश रावत की कोर्ट में चल रहा था। डीपीसी में वर्मा का नाम जुड़ गया और शासन ने आपराधिक प्रकरण की जानकारी मांगी। वर्मा ने सामान्य प्रशासन विभाग को फैसले की प्रति पेश कर कहा कि मामले में समझौता हो गया है। शासन ने कहा समझौता बरी की श्रेणी में नहीं आता है। उसी दिन वर्मा ने एक अन्य फैसला पेश कर कहा, कोर्ट ने उसे बरी कर दिया है। वर्मा के करीबी जज ने फैसले को सही बताते हुए शेख से अपील न करने का प्रस्ताव तैयार करवा दिया। एक ही दिन में दो फैसले मिलने पर अफसरों को शक हुआ तो आइजी हरिनारायणाचारी मिश्र ने जांच बैठा दी।
मोबाइल में मिली जज से चैटिंग
वर्मा नोटिस, फैसले की और एफआइआर आदि की फाइल लेकर आया था। सीएसपी ने वकील को बाहर कर सबसे पहले वर्मा का मोबाइल जब्त किया। सूत्रों के मुताबिक मोबाइल में वर्मा और एक जज के बीच हुए चैटिंग भी मिल गई। इसके बाद वर्मा ने बहाने बनाने की कोशिश की और कहा फर्जी की कापी हर्षिता ने दी थी। जब उससे पूछा हर्षिता खुद शिकायतकर्ता है तो उस पर आरोप लगाने लगा।
डीपीओ के बयान से उजागर हुआ गठजोड़
जांच में शामिल अफसर के मुताबिक फर्जीवाड़ा उजागर करने में डीपीओ अकरम शेख की अहम भूमिका रही है। शेख ने कहा, एक जज अपील न करने का प्रस्ताव तैयार करने का दबाव बना रहे थे। जज ने उन्हें वाट्सएप पर मैसेज भी किए थे। प्रस्ताव बनाने के बाद शेख ने उन्हें प्रति भेजी तो जज ने इमोजी भेजी।