December 24, 2024

Fake marksheet/फर्जी अंकसूची से नौकरी हासिल की, अब बर्खास्त शिक्षकों से 8.77 करोड़ रुपये वसूलेगा शिक्षा विभाग

teacher

Indian man teacher standing with open book and pointer at the blackboard in classroom. School class interior. Education concept. Cartoon vector illustration. Back to school banner.

बुरहानपुर,26 नवंबर (इ खबरटुडे)।फर्जी अंकसूची और आदेश के जरिए शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल करने वाले 87 शिक्षकों को प्रशासन ने भर्ती घोटाला उजागर होने के बाद बर्खास्त कर दिया था। इन शिक्षकों से अब शिक्षा विभाग सालों तक लिए गए वेतन की वसूली भी करेगा।

शिक्षा विभाग करीब नौ माह से वेतन की गणना करा रहा था। यह काम पूरा कर लिया गया है। जिला शिक्षा विभाग के अफसरों के अनुसार विभागीय गणना के मुताबिक इन शिक्षकों से 8 करोड़ 77 लाख 72 हजार 733 रुपये वसूल किए जाने हैं।

इनमें से अधिकांश शिक्षकों ने 11 से 15 लाख रुपये तक वेतन लिया था। फर्जी दस्तावेजों से नौकरी हासिल करने वालों की सूची में 117 लोगों के नाम शामिल हैं, लेकिन इनमें से 29 लोगों ने पदभार ग्रहण नहीं किया था, जबकि एक की मृत्यु हो चुकी है। इसलिए तीस लोगों के नाम वसूली सूची से हटा दिए गए हैं।

ज्ञात हो कि बर्खास्त किए गए 59 लोगों के खिलाफ पुलिस में एफआइआर भी दर्ज कराई गई है। शेष लोगों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई सहित पुलिस जांच जारी है। विभाग ने मई में बर्खास्त शिक्षकों को नोटिस जारी कर वेतन की राशि जमा कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन अधिकांश लोगों ने राशि जमा नहीं कराई है। लिहाजा अब रकम वसूली का काम राजस्व विभाग को सौंपने का निर्णय लिया गया है। रकम जमा नहीं करने पर राजस्व विभाग संबंधित लोगों की संपत्तियां कुर्क कर राशि की वसूली करेगा।

चौदह साल बाद हुआ था खुलासा
शिक्षक भर्ती घोटाले का खुलासा करीब चौदह साल बाद हो सका था। वर्ष 2007 में जनपद पंचायत बुरहानपुर द्वारा संविदा शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस दौरान दस्तावेजों के सत्यापन से लेकर सारी जिम्मेदारी तत्कालीन जनपद सीईओ ने शिक्षा विभाग के लिपिक ज्योति खत्री को सौंप रखी थी।

लिपिक और अफसरों ने साठगांठ कर इस भर्ती घोटाले को अंजाम दिया था। साल 2018 में हुई एक शिकायत की जांच के दौरान कुछ शिक्षकों की अंकसूची, बीएड, डीएड की अंकसूची और नियुक्ति आदेश फर्जी पाए जाने पर इस घोटाले का खुलासा हुआ था। तब से करीब तीन साल का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक इस मामले में कार्रवाई अंजाम तक नहीं पहुंच पाई है।

एक सीईओ की हुई थी गिरफ्तारी
इस घोटाले के मास्टर माइंड शिक्षा विभाग के लिपिक ज्योति खत्री के साथ ही तत्कालीन सीईओ जनपद पंचायत अनिल पवार सहित करीब आधा दर्जन लोगों को इस मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।

हालांकि इस मामले में पचास से ज्यादा अन्य शिक्षकों व अफसरों के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज कराई गई है, लेकिन अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। जनपद पंचायत के दो पूर्व सीईओ, शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों पर भी कार्रवाई लंबित है।

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