Ghee Scam : दूध समितियों की आड़ में हो गया दो करोड़ का घी घोटाला,किसी समिति ने मांगपत्र नहीं भेजा,फिर भी मंगाते रहे घी
मंदसौर ,03 फरवरी (इ खबरटुडे /आशुतोष नवाल)। सांची दूध संघ के शामगढ़ स्थित शीत केंद्र से लगभग 2 करोड़ रुपयों का घी समितियों के नाम से मंगाकर केंद्र प्रभारी ने सहयोगियों के साथ मिलकर बाजार में बेच दिया । शामगढ़ केंद्र प्रभारी द्वारा मुख्यालय उज्जैन से स्थानीय समितियों के नाम से पिछले 2 सालों से लगातार घी मंगाया जाता रहा इसकी शामगढ़ केंद्र पर आवक भी बताई जाती रही थी । मामला तब उजागर हुआ जब स्थानीय दूध समितियों के कर्ताधर्ता को पता चला कि इनकी समितियों के नाम पर उज्जैन से भी मंगाया और बेचा भी गया है । स्थानीय समितियों में जब इस भ्रष्टाचार की खबरें पहुंचने लगी तो स्थिति बिगड़ने भी लगी थी क्योंकि किसी भी समिति ने संभागीय मुख्यालय उज्जैन से घी मंगाने के लिए मांग पत्र ही नहीं भेजा था ।
भरोसेमंद सूत्रों की माने तो लगभग 50 टन घी और इतनी ही लागत का पशु आहार का घोटाला शामगढ़ शीत केंद्र के अधिकारी द्वारा किया जा चुका है । इस घी घोटाले के रचनाकार केंद्र प्रभारी मुकेश आचार्य हैं। केंद्र प्रभारी रहते आचार्य ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों और राजनीतिक रसूख के कारण बेरोकटोक के जैसा चाहा वैसा भ्रष्टाचार करते रहे । इनके रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनका बुंदेलखंड तबादला होते ही इन्होंने निरस्त भी करा लिया था । तभी से दूध संघ में इनकी कार्यप्रणाली चर्चा का विषय बनी हुई थी। तबादला होना और निरस्त होने के दौरान में ही रामगढ़ शीत केंद्र पर इनकी घंटों की अनुपस्थिति के दरमियान दो करोड़ का घोटाला सतह पर आने लगा।
इस घोटाले की चर्चा सांची मुख्यालय में गंभीर विषय बन प्रतिस्पर्धा के कारण परीक्षण का विषय बनी। तब पता चला कि पिछले 2 सालों में 2 करोड़ रुपयों का घी घोटाला कर शामगढ़ केंद्र से बाहर बेचकर प्रभारी ने अपनी जेब भर ली। इसे सुनियोजित घपला इसलिए कहा जा रहा है कि मुख्यालय उज्जैन के वरिष्ठ अधिकारी भी मुकेश आचार्य को बचाने में लग गए हैं । तरीका पुराना है ओने पौने दाम चढ़ाकर कम राशि जमा कराकर भ्रष्ट केंद्र प्रभारी को क्लीन चिट देने की योजना पर काम भी शुरू हो गया है। जबकि सांची दूध संघ की बारीक प्रक्रिया मैं ऐसा घोटाला होना संभव ही नहीं था ।
जाहिर है कि मुख्यालय के अधिकारी भी इसमें शामिल रहे होंगे। प्रक्रिया की बारीकी जानिए शामगढ़ केंद्र प्रभारी तभी मुख्यालय से घी मंगा सकता है जब उनकी स्थानीय समितियों द्वारा मांग की जाती है । अगर समितियां मांग पत्र भेजती भी है तो सुपरवाइजर समितियों की खरीद क्षमता का परीक्षण कर मांग आगे बढ़ाता है। बाद की प्रक्रिया में फिर केंद्र प्रभारी इस मांग को उज्जैन भेजता है। यहां के डेयरी डाक से होकर प्लांट ,स्टोर तक मांग पत्र भेजा जाता है। जहां से प्रभारी अधिकारी समितियों की मांग अनुसार उत्पादन शीत केंद्र को भेजता है। जहां से समितियों की मांग और क्षमता अनुसार सप्लाई किया जाता है । इतने अवरोधों को पार कर फर्जी मांग पत्र पर 2 साल से घी शामगढ़ भेजा जाता रहा था । जाहिर है कि मुख्यालय उज्जैन से भी भरपूर सहयोग मिलता रहा था भ्रष्टाचारियों को ।
इस दो करोड़ के घी घोटाले के भ्रष्टाचार लगातार नजरअंदाज करने वाले मुख्यालय की वित्त शाखा प्रभारी कुणाल खराड़िया, उत्पादन के मयूर शहर जो पहले प्लांट में पदस्थ थे, स्टोर प्रभारी अतुल केकरे जो पहले लेखा शाखा में थे,फील्ड प्रभारी अशोक खरे,एम आई एस मनोज शेडांनी जिन्हें ऐसी गड़बड़ियों पर नजर रखना होती है । इतने विभागीय अनुभवी महारथियों के सामने से लगातार 2 सालों से यह दो करोड़ रुपयों तक ये भ्रष्टाचार गुजरता रहा , तो इन सभी ने ऐसे ही तो नजरअंदाज नहीं किया होगा !
इन सभी को इस बात से भी डर नहीं लगा कि इस सांची दुग्ध संघ के अध्यक्ष पदेन संभागायुक्त होते हैं और जिलाधीश संचालक सदस्य । साथ ही शासन की ट्रेज़री विभाग से एक अधिकारी लेखा शाखा में पदस्थ रहता है और वार्षिक अंकेक्षण में सहकारिता विभाग का वरिष्ठ निरीक्षक ऑडिट करता है। कुल मिलाकर सभी भ्रष्टाचार को रोकने वाले विभागीय अधिकारियों ने भी इसे नजरअंदाज किया अब जब मामला सतह पर आने लगा तो सभी ने बचने के लिए शामगढ़ केंद्र प्रभारी से भरपाई कराकर मामले को कार्रवाई की चादर से ढंकना शुरू कर दिया है।