Fraud : फर्जी वसीयत बनाकर करोडों की धोखाधडी, भोपाल पुलिस कर रही है अपराधियों की मदद
भोपाल,1 जुलाई (इ खबर टुडे)। कोरोना काल में अचानक मृत हुए व्यक्ति की फजी वसीयत बनाकर करोडों की सम्पत्तियां हडपने का मामला सामने आया है। न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने धोखाधडी करने वाले आरोपी के विरुद्ध एफआईआर तो दर्ज की,लेकिन आरोपी से भारी भरकम रकम लेकर पुलिस धोखाधडी के इस मामले को रफा दफा करने में लग गई।
फरियादी मनमोहन मण्डलोई खुद 91 वर्ष के वयोवृद्ध व्यक्ति है। धोखाधडी का पूरा मामला उनके दो छोटे भाईयों की सम्पत्ति से जुडा है। मनमोहन मण्डलोई के दो छोटे भाई प्रमोद कुमार मण्डलोई और विनोद कुमार मण्डलोई थे। विनोद कुमार मण्डलोई बीएचईएल के महाप्रबन्धक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी थे,जबकि प्रमोद कुमार मण्डलोई भारतीय स्टेट बैैंक के उप महाप्रबन्धक पद से सेवानिवृत्त थे। दोनो ही अविवाहित थे। इनमें से प्रमोद मण्डलोई की मृत्यु 79 वर्ष की आयु में 7 अप्रैल 2019 को हो गई थी,जबकि विनोद कुमार मण्डलोई की मृत्यु कोरोना काल में 23 अप्रैल 2021 को 75 वर्ष की आयु में हुई। मनमोहन मण्डलोई के दोनो छोटे भाई वरिष्ठ अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होकर आजीवन अविवाहित थे,इसलिए उनके पास काफी सम्पत्ति थी।
मनमोहन मण्डलोई को अपने छोटे भाई विनोद की मृत्यु के बाद अचानक 4 सितम्बर 2021 को पत्रिका समाचार पत्र में छपी भोपाल विकास प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित एक आम सूचना के जरिये ये पता चला कि उनके भाई के स्वामित्व केएक फ्लैट और एक भूखण्ड का नामान्तरण किसी गुरविन्दर सिंह राठौर के नाम पर किया जा रहा है। यह आम सूचना देखकर मनमोहन मण्डलोई सकते में आ गए। चूंकि उनका भाई अविवाहित था और उसने कोई वसीयत भी नहीं की थी,ऐसी स्थिति में उनके भाई की सम्पत्ति किसी अनजान व्यक्ति के नाम पर नामान्तरित किए जाने की जानकारी मनमोहन मण्डलोई के लिए बेहद चौंकाने वाली थी।
भोपाल विकास प्राधिकरण की आम सूचना पढने के बाद मनमोहन मण्डलोई को पता चला कि उनके दिवंगत भाई की सम्पत्ति हडपने के लिए धोखाधडी का कोई बडा षडयंत्र रचा जा रहा है। मनमोहन मण्डलोई ने फौरन भोपाल विकास प्राधिकरण कार्यालय पंहुचकर पूरे मामले की जानकारी ली। तब उन्हे पता चला कि उक्त गुरविन्दर सिंह ने उनके दिवंगत भाई की कोई वसीयत पेश की है जिसके आधार पर फ्लैट और भूखण्ड का नामान्तरण करने का आवेदन दिया गया है। मनमोहन मण्डलोई को पहले से पता था कि उनके दिवंगत भाई ने कोई वसीयत नहीं की थी। ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट था कि भोपाल विकास प्राधिकरण में प्रस्तुत की गई वसीयत कूटरचित है।
इसके बाद मनमोहन मण्डलोई को पता चला कि उक्त गुरविन्दर सिंह और उसकी पुत्री मनप्रीत कौर द्वारा उनके दोनो छोटे दिवंगत भाईयों विनोद और प्रमोद के बैैंक खातों से अवैध रुप से लगभाग पचास लाख रु. निकाल लिए है। मनमोहन मण्डलोई ने तमाम बैैंकों में सम्पर्क कर बैैंक अधिकारियों को इस धोखाधडी की सूचना दी और दोनो दिवंगत भाईयों के समस्त बैैंक खातों को फ्रीज करने का आवेदन दे दिया।
फर्जी वसीयत के आधार पर की गई करोडो की धोखाधडी के मामले में मनमोहन मण्डलोई ने भोपाल की एमपी नगर पुलिस को शिकायत प्रस्तुत कर आरोपी गुरविन्दर सिंह राठौर और उसकी पुत्री मनप्रीत समेत अन्य सम्बन्धित व्यक्तियों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का निवेदन किया। लेकिन पुलिस ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की। पुलिस से निराश होकर मनमोहन मण्डलोई ने न्यायालय में गुहार लगाई। न्यायालय ने मनमोहन मण्डलोई की गुहार पर सुनवाई करते हुए भोपाल पुलिस को आरोपीगण के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर मामले में कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
न्यायालय के आदेश पर भी नहीं जागी पुलिस
न्यायालय द्वारा धोखाधडी करने वालों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने का आदेश दिए जाने पर पुलिस ने प्रकरण तो दर्ज किया,लेकिन आरोपीगण से भारी भरकम अवैध लाभ प्राप्त कर प्रकरण में मामूली धाराएं लगाई गई। शिकायतकर्ता मनमोहन मण्डलोई का स्पष्ट आरोप था कि आरोपी ने कूट रचित दस्तावेज के माध्यम से सम्पत्तियां हडपने का षडयंत्र किया है,लेकिन पुलिस ने कूटरचित दस्तावेज तैयार करने की धाराएं भादवि की धारा 467 और 468 नहीं लगाते हुए केवल धोखाधडी की धारा 420 भादवि के तहत प्रकरण दर्ज किया है। शिकायत कर्ता मनमोहन मण्डलोई का यह भी आरोप है कि पुलिस अधिकारी आरोपी से अवैध लाभ प्राप्त कर उसे बचाने के लिए पूरे प्रयास कर रहे है। इसी के तहत उन्होने आरोपी की औपचाारिक गिरफ्तारी लेकर उसे तुरंत जमानत पर रिहा कराने के प्रयास किए।
फरियादी मनमोहन मण्डलोई का कहना है कि करोडो की धोखाधडी के इस मामले में पुलिस को निष्पक्ष कार्यवाही करना चाहिए ताकि धोखाधडी करने वालों द्वारा हडपी गई पचास लाख से अधिक नगद राशि उनके वास्तविक हकदारों को मिले और अन्य अचल सम्पत्तियां भी वास्तविक उत्तराधिकारियों को मिल सके।