Fourlane/ उज्जैन बदनावर पेटलावद के बीच बनेगा फोरलेन,गुजरात से होगा सीधा संपर्क
रतलाम,28 जून (इ खबरटुडे)। उज्जैन और पेटलावद के बीच फोरलेन रोड बनेगा। इसमें कई गांव सीधे जुड़ेंगे। इससे पेटलावद का संपर्क न केवल गुजरात से सीधे हो जाएगा, बल्कि व्यापार के हित में भी यह मार्ग काफी उपयोगी साबित होगा।
उज्जैन-बदनावर-पेटलावद फोरलेन निर्माण को लेकर अब दोबारा से कवायद शुरू हो चुकी है। हालांकि अभी इस फोरलेन को उज्जैन से बदनावर तक बनाने के लिए इन क्षेत्रों में अधिग्रहित भूमि में परिसंपत्तियों के मूल्यांकन का सर्वे कार्य किया जा रहा है। जमीन अधिग्रहण के साथ ही यहां पर फोरलेन बनाने का काम चालू हो सकेगा।
उज्जैन से पेटलावद-थांदला तक की सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग के अधीन है, जिसे करीब 16 वर्ष पहले टूलेन बनाया गया था। उक्त मार्ग पर वाहनों की आवाजाही की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसे फोरलेन में तब्दील करने की कार्रवाई प्रारंभ की गई। सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय ने इसकी डीपीआर बनाने का कार्य एसए इंफ्रास्ट्रक्चर कंसल्टेंट प्रालि को सौंपा है।
उज्जैन-बड़नगर-बदनावर होकर पेटलावद के सारंगी के पास अमरोही तक 139 किमी के हिस्से को फोरलेन बनाया जाना प्रस्तावित है। भविष्य में इसे दाहोद के पास लिमड़ी तक जोड़ने की योजना है। फिलहाल फोरलेन की प्रस्तावित लागत 1139 करोड़ रुपये बताई गई है। स्थानीय अधिकारियों की मानें तो अभी उन्हें क्षेत्र में सर्वे के लिए कोई पत्र नहीं मिला है। जैसे ही उन्हें इस संबंध में पत्र मिलता है, वैसे ही वे भी क्षेत्र में सर्वे शुरू कर देंगे।
वर्ष 2019 में इसी फोरलेन निर्माण के लिए सर्वे हुआ था। सर्वे के बाद 3 डी प्रकाशन की कार्रवाई भी हो चुकी थी। उस समय पेटलावद शहर में दो सर्वे हुए थे एक तो अगर पेटलावद के अंदर से होकर फोरलेन गुजरता है तो पेटलावद में एक बड़ा और लंबा अंडरब्रिज बनेगा और दूसरा अगर बायपास बनता है तो दुल्लाखेड़ी और पेटलावद के बीच से होकर इसे निकाला जाता, लेकिन फिर कुछ समय बाद इस फोरलेन निर्माण की प्रक्रिया फाइलों में कैद होकर रह गई।
बीते वर्ष रतलाम-झाबुआ को फोरलेन से जोड़ने की कवायद शुरू हुई, इसमें यह फोरलेन पेटलावद के बाहर से ही निकलने का सर्वे हुआ था, इसमें पेटलावद के बरवेट रोड होता हुआ एक बायपास बनता और रायपुरिया मार्ग पर आश्रम के आगे से होता हुआ फूलमाल फाटे पर नेशनल हाईवे में मिल जाता। इस फोरलेन में सारंगी ग्राम एक बड़ा सेंटर पाइंट बनता, इसमें बदनावर से आने वाले फोरलेन को मिलाने की भी प्रक्रिया चल रही थी, जिससे दो फोरलेन सारंगी में मिलकर एक हो जाते। हालांकि इसकी प्रक्रिया भी बंद हो गई और अब दोबारा उज्जैन-बदनावर-पेटलावद फोरलेन की कवायद शुरू हुई है।
अधिकारियों की मानें तो फोरलेन निर्माण में न्यूनतम मकानों को तोड़ना पड़ेगा, क्योंकि फोरलेन का सर्वे सेटेलाइट व अन्य उपकरणों के माध्यम से किया गया है। फिर भी प्रत्येक किलोमीटर पर कम से कम चार-पांच मकान आएंगे। मार्ग में आने वाली कृषि भूमि, मकान, टयूबवेल, कुओं, पेड़ों आदि संरचनाओं के लिए राजमार्ग भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1956 के प्रावधानों के तहत मुआवजा राशि दी जाएगी। इस रोड के जाल में पेटलावद को जंक्शन के रूप में देखा जाएगा, बड़े वाहनों का आवागमन बाहर से हो जाएगा।
शासन द्वारा जो योजना बनाई गई है, उसमें पेटलावद क्षेत्र को औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने में सड़कें सबसे बड़ा रोल अदा करेंगी। कसारबर्डी औद्योगिक क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा।