May 17, 2024

Raag Ratlami Food Zone : शहर में पहले से चल रहे है चार फूड झोन,क्या गुल खिलाएगा अब नया फूड झोन…?

-तुषार कोठारी

रतलाम। नमकीन के शौकीनों के इस शहर को नगर निगम एक नया फूड़ झोन देने की तैयारी कर रहा है। इस फूड झोन के लिए पचास से ज्यादा दुकानदारों को अपनी दुकानों से बेदखल करने का फरमान जारी कर दिया गया है। स्टेडियम की दीवार पर बने इस मार्केट के तमाम दुकानदार दो दशकों से ज्यादा वक्त से अपना काम धन्धा कर रहे है,लेकिन अब शहर के लोगों को तरह तरह के खानपान की चीजें खिलाने के नाम पर उन्हे बेरोजगार करने की तैयारियां जोर पकडने लगी है। बडा सवाल यह भी है कि नमकीन के शौकीनों के इस शहर को ये फूडझोन रास भी आएगा कि नही?

ये शहर नमकीन के शौकीनों का शहर है। पूरी दुनिया में रतलामी सेव का डंका तो बजता ही है। लेकिन तरह तरह की नमकीन चीजों के मामले में भी रतलाम का कोई तोड नहीं है। कचौरी हो या समोसा या आलूबडा रतलाम जैसा स्वाद और कहीं नहीं मिलेगा। इन्दौर की छप्पन दुकान हो या चाट नमकीन के लिए प्रसिद्ध सराफा,वहां की चीजों में भी वो स्वाद नहीं है जो रतलाम में मिलता है। किसी भी रतलामी से पूछ लीजिए,उसे रतलाम के अलावा किसी और शहर की कचौरी,आलूबडा या समौसा पसन्द ही नहीं आएगा। इन्दौरी छप्पन दुकान डेकोरेशन के मामले में तो रतलाम से कोसों आगे है,लेकिन खानपान की चीजें डेकोरेशन से नहीं स्वाद से पसन्द की जाती है। इसीलिए रतलाम के बाशिन्दे पोहे,कचौरी,समोसे या आलूबडे खाने के लिए दुकान का डेकोरेशन नहीं स्वाद देखते है। उन्हे डेकोरेटेड फूड झोन में बेस्वाद नमकीन खाने की बजाय शहर की किसी तंग गली में खडे होकर स्वादिष्ट कचौरी खाने में ज्यादा आनन्द मिलता है। इसलिए शहर भर के लोग अपनी पसन्दीदा दुकानों पर नमकीन खाने के लिए कई कई किमी चलकर वहां पंहुचते है।

जब से शहर में पचास लोगों को बेरोजगार करके फूड झोन बनाने की बात चली है,शहर में पहले से चल रहे फूड झोनों की भी बातें हो रही है। ये अलग बात है कि फिलहाल जो फूड झोन चल रहे है,उन्हे फूड झोन नहीं कहा जाता है। पहला फूड झोन कालिका माता में है। किसी जमाने में हाथठेले पर धन्धा करने वाले छोटे कारोबारियों के लिए सूबे की सरकार ने हाकर्स झोन बनाकर उन्हे सुव्यवस्थित जगह देने की योजना बनाई थी। इस वक्त नगर निगम के चतुर अफसरों ने नई जगहों पर हाकर्स झोन बनाने की बजाय उन जगहों पर हाकर्स झोन के बोर्ड लगा दिए थे,जहां बडी संख्या में लोग ठेलागाडी लगाकर व्यवसाय किया करते थे। इस तरह पहला हाकर्स झोन कालिका माता परिसर को घोषित किया गया। यहां चाट नमकीन के कई ठेले लगा करते थे। हाकर्स झोन घोषित हो जाने से यहां चाट नमकीन का धन्धा करने वालों की चल निकली। हाकर्स झोन बनने से पहले उनके ठेले बाकायदा पहियों पर चलाकर वहां लाए जाते थे,लेकिन जैसे ही हाकर्स झोन घोषित हुआ,उनके ठेले वहीं स्थिर हो गए और ठेलों के आस पास दुकानें बन गई। इस तरह पहला फूड झोन अस्तित्व में आया। दूसरा फूड झोन दोबत्ती पर तीस हजार रु. प्रति फीट वाली बेशकीमती जमीन पर चल रहा है। बोर्ड यहां भी हाकर्स झोन का ही लगा हुआ है। इस हाकर्स फूड झोन को अब चौपाटी कहा जाने लगा है। मजेदार बात यह है कि इस हाकर्स फूड झोन में कई नेताओं और बडे लोगों के कब्जाए हुए स्थान है। जिन पर ठेला लगाकर धन्धा करने वाले इन मालिकों को भारी भरकम किराया तो देते ही है,ट्रैफिक पु्लिस और नगर निगम को भी इस हाकर्स फूड झोन से तगडी कमाई होती है। शाम होते ही ये हाकर्स फूड झोन गुलजार होने लगता है। इसी तरह तीसरा फूड झोन आजकल आम्बेडकर मांगलिक भवन के इलाके में आकार ले रहा है,जहां शाम के वक्त खानपान की दुकानें सजने लगती है। चौथा फूड झोन न्यूरोड पर अजंता पैलेस वाली गली में तैयार हो रहा है,जहां बडी तादाद में पानीपतासे और चाट वाले अपनी दुकानें सजाने लगे है।

इतने सारे फूड झोन पहले से चल रहे है। लेकिन अब नगर निगम नया फूड झोन बनाने की मशक्कत कर रहा है। पहले से चल रहे सारे फूड झोन किसी का रोजगार छीनने का साधन नहीं बने,लेकिन नया बनने वाला फूड झोन पचास परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट लेकर आ रहा है। शहर के लोगों को तरह तरह के चटपटे खाने खिलाने के लिए पचास परिवारों को भूखा मारने की तैयारी की जा रही है।

यह सवाल भी बडा है कि दोबत्ती पर पहले से चौपाटी के नाम से चल रहे हाकर्स फूड झोन के होते हुए इसके ठीक पास में नए फूड झोन की जरुरत क्या है? इधर दो बत्ती पर फूड झोन,कालिका माता में फूड झोन,आम्बेडकर भवन के पास फूड झोन। ये सारे फूड झोन आसापास ही है। ऐसे में अब एक नया फूड झोन…?

फूड झोन के चक्कर में रोजी रोटी के खतरे से जूझ रहे तमाम दुकानदार इधर उधर दौड लगाकर किसी तरह से अपनी दुकानें बचाने की कोशिशों में जुटे है। उन्होने शहर विधायक से भी गुहार लगाई है कि उनके धन्धे बचाए जाए। विधायक ने भी मदद का भरोसा दिलाया है। अब देखना है कि आने वाले दिनों में फूड झोन की कहानी क्या शक्ल अख्तियार करती है?

सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि जब इन तीन फूड झोन में बिना कोई खर्चा किए लोग दुकानें चला रहे है और जमकर कमाई कर रहे है,तब नए फूड झोन में लाखों रु. की कीमत वाली दुकान लेगा कौन? नगर निगम के कुछ मार्केट पहले से बेकार पडे है। खरीददार मिल नहीं रहे है,ऐसे में खानपान की दुकानों के लिए लाखों रुपए लगाने को कौन तैयार होगा?

जिले में कार्यवाही,शहर में कब…?

माफिया के खिलाफ जिला इंतजामिया द्वारा चलाई जा रही मुहिम में जिले भर से नई नई खबरें सुर्खियों में छा रही है। पहले ताल में अवैध कालोनियां काटने जा रहे नौ लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए। अभी ढोढर में सौ से ज्यादा दुकानों वाला अवैध शापिंग मार्केट ढहा दिया गया। यूं तो रतलाम में भी कुछ नई बनती अवैध कालोनियों को तोडा फोडा गया था,लेकिन इन मामलों में अब तक कोई एफआईआर किए जाने की कोई खबर सामने नहीं आई है। जिले भर से आ रही खबरों के बीच शहर में इस बात का जोरों से इंतजार किया जा रहा है कि शहर में पनपे हुए मजबूत भू माफियाओं का सफाया कब से शुरु होगा? शहर में तमाम ऐसी कालोनियां है,जहां के रहवासी सुख सुïिवधाओं से वंचित है। लेकिन इन कालोनाईजरों के खिलाफ अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए है। हर के दिग्गज भू माफियाओं को अब तक कोई सीधी चुनौती नहीं दी गई है। हांलाकि इंतजामिया के बडे साहब बडे दिग्गजों को भी छोडने के मूड में नही ंहै। आने वोले दिनों में शहर के दिग्गज भू माफियाओं को भी बडे झटके दिए जा सकते है।

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