Right to Information Act : सूचना के अधिकार कानून का पालन नहीं करने के मामले मे निगमकर्मी पर पच्चीस हजार रु. का अर्थदण्ड
रतलाम,26 फरवरी (इ खबरटुडे)। आमतौर पर नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी सूचना के अधिकार कानून को महत्व नहीं देते और आए दिन इस कानून की धज्जियां उडाते रहते है। लेकिन राज्य सूचना आयोग ऐसे मामलों में अब कडे कदम उठाने लगा है। पूर्व में दो निगमकर्मियों पर पच्चीस हजार रु. का अर्थदण्ड लगाने के बाद राज्य सूचना आयोग ने फिर से एक निगमकर्मी पर पच्चीस हजार रु. का अर्थदण्ड आरोपित किया है।
आरटीआई एक्टिविस्ट नीतिराज सिंह ने 04 मई 2019 को नगर निगम के तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी को एक आवेदन देकर तत्कालीन महापौर सुनीता यार्दे के पदग्र्रहण और उनके द्वारा बनाई गई मेयर इन कौंसिल के सम्बन्ध में जानकारियां मांगी थी। नीतिराज सिंह ने अपने आवेदन में यह भी पूछा था कि इस मेयर इन कौंसिल के प्रथम गठन के बाद से शहर विकास के लिए कौन कौन से प्रस्ताव रखे गए और उन पर क्या निर्णय किए गए?
उस समय रतलाम नगर निगम सहायक आयुक्त सुश्री रीता कैलाशिया लोक सूचना अधिकारी के रुप में कार्यरत थी और तत्कालीन सहायक वर्ग तीन रवीन्द्र भट्ट लोक सूचना विभाग में सहायक के रुप में कार्यरत थे। वर्तमान में सुश्री कैलाशिया नगर परिषद टीकमगढ में पदस्थ है,जबकि रवीन्द्र भट्ट राजस्व विभाग में पदस्थ है। राज्य सूचना आयोग ने उक्त दोनो को इसके लिए जिम्मेदार मानते हुए उन्हे सूचना पत्र जारी किए थे।
राज्य सूचना आयोग के समक्ष सुश्री रीता कैलाशिया ने अपने बचाव में बताया कि नीतिराज सिंह का आवेदन प्राप्त होते ही उन्होने तत्काल सहायक लोक सूचना अधिकारी रवीन्द्र भट्ट को सम्बन्धित विभाग से जानकारी प्राप्त कर आवेदक को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेजों से भी यह स्पष्ट हुआ कि महापौर कार्यालय के सचिव ने चाही गई जानकारियां सहायक लोक सूचना अधिकारी रवीन्द्र भट्ट को उपलब्ध करवा दी थी। श्री भट्ट की लापरवाही और त्रुटि के कारण सूचना आवेदक को प्रेषित नहीं की जा सकी।
राज्य सूचना आयोग ने तत्कालीन सम लोक सूचना अधिकारी रवीन्द्र भïट्ट को भी नोटिस जारी कर उत्तर मांगा गया था। रवीन्द्र भट्ट द्वारा प्रस्तुत उत्तर का प्रश्नाधीन प्रकरण से कोई सम्बन्ध नहीं था। श्री भट्ट ने किसी अन्य आवेदन के बारे में उत्तर प्रस्तुत किया। राज्य सूचना आयोग के समक्ष यह तथ्य स्पष्ट हो गया कि सम्बन्धित विभाग द्वारा चाही गई जानकारी समय पर श्री भट्ट को उपलब्ध करवा दी गई थी,लेकिन उनकी लापरवाही और त्रुटि के चलते आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
राज्य सूचना आयोग के आयुक्त डा. जी कृष्णमूर्ति ने पूरे प्रकरण के अवलोकन के पश्चात दिए अपने निर्णय में कहा कि तत्कालीन सम लोक सूचना अधिकारी रवीन्द्र भट्ट द्वारा समय पर जानकारी उपलब्ध नहीं कराने और आवेदन का विधि अनुरुप निराकरण नहींकरने के कारण उन पर 250 रु. प्रतिदिन के मान से कुल अधिकतम राशि पच्चीस हजार रु. की शास्ति व्यक्तिगत रुप से अधिरोपित की जाती है। श्री भट्ट को अर्थदण्ड की यह राशि आदेश प्राप्ति के एक माह के भीतर राज्य सूचना आयोग के कार्यालय में जमा कराई जाएगी। यदि नियत अवधि में राशि जमा नहीं कराई जाती तो आयोग द्वारा सूचना का अधिकार (फीस तथा अपील) नियम 2005 के नियम 8( 6) के तहत आगामी कार्यवाही की जाएगी।
राज्य सूचना आयुक्त डा. जी कृष्णमूर्ति ने अपने आदेश मेंयह भी कहा है कि आमतौर पर लोक सूचना अधिकारियों द्वारा अधिरोपित शास्ति राशि विलम्ब से जमा की जाती है। ऐसी स्थिति में निगम आयुक्त को आदेशित किया गया है कि यदि श्री भट्ट द्वारा निर्धािरित अवधि में राशि जमा नहीं कराई जाती,तो उनकी सेवा पुस्तिका में टीप अंकित की जाए और उनके वेतन भुगतान के समय पच्चीस हजार रु. की राशि उनके वेतन से काटकर शासकीय कोषालय में जमा कराई जाए।
उल्लेखनीय है कि नीतिराज सिंह के ही दो अन्य सूचना के अधिकार सम्बन्धी आवेदनों पर समयसीमा में सूचना नहीं दिए जाने पर पूर्व में भी दो निगम कर्मियों पर पच्चीस पच्चीस हजार रु.का जुर्माना किया गया था।