144 वर्षों बाद हो रहे प्रयागराज महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान का आंखों देखा हाल
रतलाम,15 जनवरी(इ खबर टुडे)। 144 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद बने शुभ संयोग में हो रहे महाकुंभ प्रयागराज को लेकर पूरे विश्व में कौतूहल है। महाकुंभ में आने वाले संत महात्माओं और श्रद्धालुओं के लिए योगी सरकार ने अदभुत व्यवस्थाएं की है। महाकुंभ के शुभारंभ के अवसर पर हुए पहले ही अमृत स्नान में 1 करोड़ 60 लाख से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए। रतलाम के अधिवक्ता नीरज सक्सेना भी सपत्नीक इस ऐतिहासिक अवसर पर संगम तट पर मौजूद थे। यहां प्रस्तुत है संगम तट पर महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान और महाकुंभ के लिए की गई व्यवस्थाओं के बारे में अधिवक्ता नीरज सक्सेना द्वारा आंखों देखा हाल –
इस समय सुबह के सात बजे हे और मेरी ट्रेन प्रयागराज के एन पहले नैनी सब स्टेशन पर रुकी हे यात्रियों का एक बड़ा जत्था यहाँ उतर रहा हे। चूँकि मैंने खिड़की के झरोखे में से जब बाहर झाँका तो सफेद धुंध के पार्श्व भाग पर भगवा धुंध दिखाई दे रही थी। झंडे झालर ने पूरा परिक्षेत्र भगवामय कर दिया था।अखंड भारत की कल्पना और परम वैभव की प्राप्ति का टीज़र नैनी स्टेशन पर दिखा रहा हे। लगभग बीस मिनट के बाद में प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर हूँ। जहाँ उतरने के पश्चात चऊ और हर हर महादेव और जय जय सिया राम के घोष से वातावरण में ऊर्जा और ऊष्मा का अहसास हो रहा है। हर हिन्दू के हृदय में सनातन हिलोरे मारता हुआ चरम पर हे।
अमृतकाल की बेला पर देवधरा को प्रणाम कर में सायकल रिक्शा से मेला क्षेत्र में आ चुका हूँ। रास्ते में धर्म नगरी की प्रत्येक दीवार सनातनी इतिहास की कलाकृतियों की मूक परंतु बोलती तस्वीरो से अपने अलग रंग बिखेर रही हे। जहाँ पता पूछने से जियादा बताने वाले पुलिसकर्मी नगर सरकार के आला अधिकारी स्वयं सेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता और दुकानदार अनुशासित तरीक़े से कर्तव्य निर्वहन कर रहे हे। कहीं कोई बुजुर्ग दिव्यांग व्यक्ति दिखाई देता हे तब उसे और उसके सहयोगी को प्रोटोकॉल से हटकर संगम तक ले जाने में मदद का जो सनातनी भाव लक्षित हुआ वह अप्रतिम हे। में कब मेले से माँ गंगा जमुना को प्रत्यक्ष निहारने और लुप्त सरस्वती माई के सामने घाट पर आकर खड़ा हो गया पता ही नहीं चला। घाट पर असंख्य तपस्वी और सनातनियों को शीश नवाकर में प्रत्यक्ष गंगा जमुना से डुबकी लगाकर विलुप्त माँ सरस्वती का आशीर्वाद लेकर बाहर आ गया हूँ। यद्यपि जाड़े की ठंड हे परंतु हिंदू हिलोर की ऊष्मा के सामने नगण्य प्रतीत हो रही थी। श्रद्धालुओं का इतना आशीष प्राप्त कर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के राजपथ शिखर पहुँचने की संभावना को नकारना लगभग नामुमकिन हे।
प्रशासन का विनम्र होना प्रशासक की सख़्ती का एहसास करवा रहा था। विभिन्न अखाड़ो के साधु संतों का जत्था जैसे ही निकलता भीड़ उनका आशीर्वाद प्राप्त करने दोड़ पड़ती। श्रद्धालु हर साधु में शिव के दर्शन करता प्रतीत हो रहा था। आकाश की और हाथ उठाकर हर हर गंगे हर हर महादेव मनमोहक दिख रहा हे। भसमधारी नागा साधुओ को देखकर आप उनके चरणों में गिरने और उनका आशीर्वाद लेने से अपने आप को रोक नहीं सकते हे। पहाड़ो से अखाड़ो तक का अदृश्य सफ़र कर नागा साधुओ का कुंभ में आना और चले जाना के बीच का सफ़र केवल अध्यात्म का विषय हे। संतों के दर्शन की अभिलाषा बड़ती जाती हे। स्नान के बाद कतारबद्ध तरीक़े से लेटे हुए बड़े हनुमानजी के दर्शन इसके बाद स्वर्ग की कल्पना करना बेईमानी होगा। इतना आनद की समग्र शब्दकोश बोना हो सकता ही पर वर्णन पूरा नहीं एक एक कर पांडालों और फिर जयघोष की भीड़ में साधुओ की झलक और कलकल करती अद्भुत त्रिवेणी यह ही हे। आज का मेरा अमृत स्नान वापस प्रयागराज हवाईअड्डा जो की मेला क्षेत्र से 16 किमी की दूरी पर हे पर निकलने के लिए मैंने ऑटो को हाथ दिया और उसने कहा कहाँ जाना हे। राम वास्तव में तन थक गया पर मन नहीं भरा 🙏नीरज सक्सेना